लाल मंदिर वेदी में रखी र्इंट और मुस्लिम कारीगर ने आजीवन त्यागा अभक्ष्य सबकुछ ॰ लाल मंदिर में मानो फिर हुआ चमत्कार

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॰ लालमंदिर के 432 साल के इतिहास में पहली बार नई वेदी शिलान्यास ॰ जैन दातारों को लगा एक माह रात्रि भोजन त्याग के लिये सोचने में वक्त, पर मुस्लिम कारीगर ने नहीं लगाई एक क्षण की देर

04 मई 2024/ बैसाख कृष्ण एकादशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/शरद जैन /
शुक्रवार, 26 अप्रैल, प्रात: 8 बजे, ऐतिहासिक लाल मंदिर के 432 साल के इतिहास में नई इबाबत लिखने की शुरूआत हुई, जब पुराने स्नान घर के स्थान से ऊपर तक जाने वाली जगह पर, वेदी के शिलान्यास का मंत्रोच्चार आरंभ हुआ। गणिनी आर्यिका श्री चन्द्रमती माताजी की उपस्थिति में पं. धर्मचंद शास्त्री, अध्यक्ष चक्रेश जैन, मैनेजर पुनीत जैन व अनेक गणमान्य श्रेष्ठी उपस्थित थे। कारीगर वेदी की तैयार कर रहे थे।
तब उस वेदी में स्वर्ण शिलायें, रजत शिलायें, अर्हंत शिलायें आदि की निश्चित राशि के साथ दातार आगे आये। तब पण्डित जी ने सबसे कुछ त्याग करने के लिये कहा। बड़ी असमंजस सी स्थिति कुछ समय के लिए हो गई। तब माताजी से स्वीकृति ले, उन्होंने कहा कि सभी को एक माह रात्रि भोजन त्याग का संकल्प लेने को कहा। हां, उनमें से कुछ का आजीवन त्याग भी था, पर बाकि को नानुकुर से ‘हां’ करने में समय लगा।

पण्डितजी ने कारीगर की तरफ देखा जो र्इंट रख रहा था, उससे कहा – तुम्हें भी कोई त्याग करना होगा, नियम लेना होगा, वर्ना भगवान के द्वार पर तुझे पुण्य नहीं मिलेगा। क्या नाम है तुम्हारा – मौहम्मद इरफान। यह सुनकर एक क्षण सब चौंके, पर वह बोलते नहीं रुका – मैं आज से, अभी से पूरे जीवन अभक्ष्य, मांस-अण्डे आदि को हाथ तक नहीं लगाऊंगा। शांत वातावरण में तालिया गूंज गई। हर कोई हैरान था, एक मुस्लिम कारीगर क्या ऐसा वचन ले सकता है।

सान्ध्य महालक्ष्मी परिवार वहीं था। एक क्षण आंखों के आगे उतर गया, वही दृश्य जब आचार्य श्री विद्या सागरजी एक मछली का कारोबार करने वाले ठेकेदार की नाव में बैठकर नदी पार कर रहे थे। पार कराते समय वो आचार्य श्री को बस निहारता रहा और फिर जब आचार्य श्री बाद में मंच पर पहुंचे, तो उसने वहीं तत्काल घोषणा कर दी, मैं अभी से अपनी सभी नावें, जाल, मछली पकड़ने के काम को छोड़ता हूं, तब उसके पास करोड़ के ठेके थे। ऐसा हृदय परिवर्तन लाल मंदिर के इस वेदी शिलान्यास में स्वयं देख रहे थे।

सान्ध्य महालक्ष्मी ने मौहम्मद इरफान और उसी के साथ काम कर रहे मोहम्मद मुकीम से बात की। इरफान यूपी के गोण्डा का रहने वाला है, पिछले 6 साल से दिल्ली आया और मिस्त्री का काम करता था। अब उसे भगवान की वेदी बनाने का सौभाग्य मिला था। मुकीम से हमने पूछा कि क्या यह संकल्प पूरा कर लेगा, तो उसने कहा – जब उसने वादा किया है, तो पूरा जरूर करेगा।

लाल मंदिर में अनेक चमत्कारों का इतिहास है, हां, शाहजहां जैसे मुगल शासक की अनुमति से अगर यह मंदिर बन सकता है, तो एक मुगल कारीगर इस मंदिर के 432 साल बाद बन रही पहली वेदी के लिये आजीवन अभक्ष्य का त्याग भी कर सकता है।

कितनी तहजीब और संस्कृतियों का मूक गवाह यह लालमंदिर फिर आज एक और मिसाल पेश कर गया। अंदर वैसे चंदा-पारस प्रभु, मुल्तान से आई चौबीसी सहित अनेकों प्रतिमाओं का तेज आज भी हर के हृदय में परिवर्तन और पुण्य का संचार करता ही है। है ना अद्भुत, अनोखी घटना।