हस्तीनापुर तीर्थ नगरी में, 16वें तीर्थंकर श्री शांतिनाथ जी के बाद, वैशाख शुक्ल एकम को महाराज श्री शूरसेन जी की महारानी श्रीकांता जी के गर्भ से आपका जन्म हुआ। आपकी आयु 95 हजार वर्ष थी और शरीर की ऊंचाई थी 210 फुट।
तपाई हुए स्वर्ण के समान आपके शरीर का रंग , छठे चक्रवर्ती , 13 वें कामदेव और जाति स्मरण से वैशाख शुक्ल एकम को ही आपको वैराग्य की भावना बलवती हो गई और आप सहेतुक उपवन में तिलक वृक्ष के नीचे , तीन उपवास कर 16 वर्ष के लिए कठोर तप किया
और जब आयु कर्म का एक माह शेष रह गया , तब आप 23 हजार 734 वर्ष केवली काल के बाद, पावन शाश्वत तीर्थ श्री सम्मेद शिखरजी पहुंच गए ,जहां ज्ञान धर कूट से अपराह्न काल के प्रदोष काल में इसी वैशाख शुक्ल एकम, जो इस वर्ष 12 मई को है। उस दिन ज्ञान धर कूट से 1000 राजाओं के साथ मोक्ष गए।
आपका केवली कॉल 9 9 9 करोड़ 99 लाख 97 हजार 250 वर्ष कम पल्य के चौथे भाग तक रहा।
इस कूट की निर्मल भावों से वंदना करने पर एक करोड़ उपवास का फल मिलता है। बोलिए 17 वे तीर्थंकर ,श्री कुंथु नाथ स्वामी के जन्म तप मोक्ष कल्याणक की जय जय जय।