आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य मुनि पाय सागर महाराज का कोणकोंडला गांव में प्रवेश हो गया,यह गांव आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले में है, मुनि संघ का विहार हैदराबाद की तरफ चल रहा है, वर्तमान ज्ञात श्रमण परम्परा के इतिहास में पहली बार कोई मुनि कोणकोंडला आया है।
यह कोणकोंडला दिगंबर जैनियों के लिए अति महत्त्वपूर्ण तीर्थभूमि है इस स्थान पर महान आचार्य कुन्दकुन्द का जन्म हुआ पिछले 2 हजार सालों के इतिहास में कोणकोंडला के दो पहाड़ों से हजारों मुनियों ने सल्लेखना की साधना की है,जिसके शिलालेख इधर-उधर बिखरे है, कुंदकुंद के परमागम पर टीका लिखने वाले मुनि पद्मप्रभ मल्लधारि देव भी इस क्षेत्र से संबंधित थे।
दुख की बात है कि एक समय जैन बाहुल्य यह क्षेत्र आज जैन रिक्त हैं,पर गांव गांव में जैन मंदिर के अवशेष अभी भी बिखरे है,यहां के सब जैन श्रावकों का धर्मपरिवर्तन हो चुका है,जैन समाज को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।
सुरेश जैन पेद्दाहोठुर कोणकोंडला
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