अब ऐसा लगने लगा है कि भगवान के चरणों में बैठा हूं और भगवान आशीष दे रहे हैं। बस यह स्मरण सदैव बना रहे: आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज

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कुंडलपुर महोत्सव: दूसरा दिन : माता मरूदेवी की गोद भराई में उमड़ा महिलाओं का हुजूम

– महाराजा नाभिराय ने बताया 16 सपनों का अर्थ
– तीर्थंकर बालक के गर्भ में आते ही कुबेर ने रत्नों की बरसा
– 21 फरवरी को मुख्यमंत्री पहुंचेंगे कुंडलपुर

कुंडलपुर (दमोह)। मप्र के प्रसिद्ध जैन तीर्थ कुंडलपुर में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन महाराजा नाभिराय का दरबार सजाया गया। तीर्थंकर बालक के गर्भ में आते ही कुबेर ने पूरे पांडाल में रत्नों की बरसा की। दोपहर में तीर्थंकर बालक की माता मरूदेवी की गोद भराई में बड़ी संख्या महिलाएं शामिल हुई। ऐसा माना जाता है कि जो महिला पंचकल्याणक में माता मरूदेवी की गोद भरती है, उसकी गोद खाली नहीं रहती। महोत्सव में सुबह मुनि श्री प्रणम्यसागर जी महाराज के प्रवचन भी हुए। गुरुवार को पचास हजार से अधिक लोग महोत्सव में पहुंचे। सवा लाख वर्ग फीट में बना विशाल पांडाल दूसरे दिन ही छोटा पड़ गया। 21 फरवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कुंडलपुर पहुंचेंगे।

कुंडलपुर में आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के पावन सान्निध्य में पंचकल्याणक महोत्सव की धार्मिक क्रियायें प्रतिष्ठाचार्य विनय भैया के निर्देशन में सम्पन्न हो रही हैं। गुरुवार सुबह भगवान का अभिषेक, शांतिधारा एवं नित्य पूजन एवं गर्भ कल्याणक की पूजन की गई। इस अवसर पर मुनिश्री प्रण्यम सागर जी महाराज ने कहा कि स्वयं के साथ साथ जगत के कल्याणक के लिये तीर्थंकर भगवान का जन्म होता है। उन्होंने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारा जन्म आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के काल में हुआ। हमें आचार्यश्री का शिष्य बनने का अवसर मिला है और आप सभी को आचार्यश्री का भक्त होने का गौरव मिला है।मुनिश्री प्रणम्य सागर जी महाराज ने कहा कि उन्होंने आचार्यश्री को पहली बार सपने में देखा था। तब के मित्र वर्तमान के मुनिश्री अभिनन्दन सागर जी महाराज ने आचार्यश्री का चित्र दिखाया तो चौंक गया कि यही तो सपने में आये थे। तभी तय कर लिया कि आचार्यश्री के दर्शन करने जाऊंगा तो फिर घर नहीं आऊंगा। आचार्यश्री ने मेरी भावना को समझा और मुझे दीक्षा देकर मेरे ऊपर सबसे बड़ा उपकार किया है।

सादें का जुलूस और गोद भराई
कुंडलपुर पंचकल्याणक में पहली बार भगवान के 24 माता पिता बनाये गये हैं। गुरुवार को दोपहर में 24 माताओं का सादें का जुलूस निकाला गया। इसके बाद मुख्य पांडाल में 24 सिंहासनों पर माता मरूदेवी को बिठाकर उनकी गोद भराई की रस्म की गई। हजार महिलाओं ने नारियल के गोले, मखाने अगर ड्रायफ्रूट से माता की गोद भराई की। महोत्सव के मुख्य पात्रों व इन्द्र इंद्राणी के बाद आम महिलाओं ने गोद भराई की। इस अवसर पर पूरा पांडाल महाराजा नाभिराय और माता मरूदेवी के जयकारों से गूंजता रहा।

गुरु को यादकर आचार्यश्री हुए भावुक
दोपहर में आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज अपने गुरु आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज को याद करके भावुक हो गये। रूंधे हुए गले से उन्होंने कहा कि- “गुरु ने, गुरु समय दिया, लघु बनने के लिये।” अब ऐसा लगने लगा है कि भगवान के चरणों में बैठा हूं और भगवान आशीष दे रहे हैं। बस यह स्मरण सदैव बना रहे। आचार्यश्री मात्र 8 मिनट बोले, लेकिन बहुत भावुक होने का कारण उनके शब्द ठीक से नहीं निकल पाए रहे थे। दोपहर की धर्मसभा में मुनिश्री वीरसागर जी महाराज ने प्रवचन दिये।

नाभिराय ने बताया 16 सपनों का अर्थ
शाम को महाराजा नाभिराय का दरबार सजाया गया। यहां माता मरूदेवी ने जो 16 सपने देखे थे, उनका अर्थ पूछा। महाराजा नाभिराय ने अपने अवधि ज्ञान से महारानी के 16 सपनों का अर्थ बताते हुए कहा कि – महारानी के गर्भ से तीर्थंकर बालक का जन्म होने वाला है। यह बालक धर्म का प्रवर्तन करेगा, सत्य धर्म का प्रचार करेगा, अतुल पराक्रमी होगा, यशस्वी होगा, अंधकार का नाश करेगा, अनेक लक्षणों से सुशोभित होगा, केवल ज्ञान प्राप्त करेगा, सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान सम्यक चारित्र का धारक होगा।

अनेक हस्तियां पहुंचेंगी कुंडलपुर
कल शुक्रवार से देश प्रदेश की अनेक विशिष्ट हस्तियों का कुंडलपुर पहुंचना शुरू हो जाएगा। कल 18 फरवरी को सुबह पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कुंडलपुर पहुंचकर आचार्यश्री के दर्शन करेंगे एवं महोत्सव में शामिल होकर नर से नारायण बनने के अनुष्ठान के साक्षी बनेंगे। बताया जा रहा कि 19 फरवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला कुंडलपुर पहुंचेंगे। 21 फरवरी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई मंत्रियों के साथ कुंडलपुर पहुंचेंगे।

भगवान का जन्म कल्याणक शुक्रवार को
पंचकल्याणक महोत्सव में भगवान का जन्म कल्याणक कल शुक्रवार को सुबह धूमधाम से मनाया जाएगा। सुबह 7 बजे भगवान का जन्म होगा, उस समय करोड़ों वाद्ययंत्र बजाकर खुशी मनाई जाएगी। जन्म के बाद सौधर्म इन्द्र और उनकी पत्नि शची तीर्थंकर बालक को सुमेरु पर्वत पर ले जाकर 1008 कलशों से अभिषेक करेंगे।

– रवीन्द्र जैन पत्रकार भोपाल 9425401800