ऐतिहासिक पंचकल्याणक -आज कुंडलपुर में आयोजन समिति और ट्रस्ट के पदाधिकारियों की एक बड़े स्तर पर बैठक , जिसमें अंतिम निर्णय लिया जाएगा

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जैन तीर्थ सिद्ध क्षेत्र कुण्डलपुर (कुण्डलगिरि) में 12 फरवरी से महा महोत्सव प्रारंभ होने जा रहा है। इसके लिए रविवार को कुंडलपुर में आयोजन समिति और ट्रस्ट के पदाधिकारियों की एक बड़े स्तर पर बैठक होने जा रही है। जिसमें अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

फिलहाल यह तय हो गया कि महोत्सव होना है, 12 फरवरी से कब तक महोत्सव में कार्यक्रम होंगे। यह रविवार को पदाधिकारियों की होने वाली बैठक के बाद स्पष्ट होगा। दरअसल कुण्डलपुर में दुनिया का सबसे ऊंचा 189 फीट शिखर वाला नागर शैली का मंदिर कंपलीट होने जा रहा है। इसको लेकर यहां पर गजरथ महोत्सव प्रस्तावित किया गया था, लेकिन बीच में काेरोना संक्रमण फैलने पर आयोजन समिति ने तिथि का एलान नहीं किया था, लेकिन अब कोविड संक्रमण धीरे-धीरे कम हो रहा है, जिसके चलते यहां पर आयोजन की तैयारियां फिर से शुरू हो गई हैं। रविवार को फिर से यहां पर एक बड़ी बैठक होने जा रही है। जिसमें आयोजन समिति के सभी पदाधिकारी शामिल होंगे और विधिवत महोत्सव होने की घोषणा करेंगे।

ध्यान रहे कल शनिवार, दोपहर को गुरुवर संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज ने कमेटी को अपनी भावना व्यक्त कर दी कि आगामी शनिवार 12 फरवरी से यह ऐतिहासिक पंचकल्याणक शुरू होगा और पांच कल्याणक का यह महा महोत्सव 5 दिन नहीं, 7 दिन नहीं, पूरे 11 दिन चलेगा । अनियत विहारी मुनिराज ने एकाएक अनियत घोषणा इस तरह कर दी है कि हर कोई हैरान रह गया और भागम भाग शुरू हो गई तैयारियों की ।

आचार्य श्री ने अभी कुछ संकेत नहीं दिए हैं, पर संभावना यह भी है कि इसमें कुछ आर्यिका दीक्षा भी दी जा सकती है। ब्रह्मचारी सुनील भैया जी ने चैनल महालक्ष्मी को बताया कि यह पंचकल्याणक गुरुवर से दीक्षित लगभग ढाई सौ पिछियों के सानिध्य में अभूतपूर्व रूप से होगा, जिसमें तप कल्याणक 2 या 3 दिन का और ज्ञान कल्याणक भी 2 दिन का होने की संभावना है। तप कल्याणक के दिन कुछ दीक्षा भी हो सकती हैं। अभी तक जो जानकारी मिलती है उसमें 567 दिन के पंचकल्याणक तो देखे गए हैं, पर पहली बार 11 दिन का यह महा पंचकल्याणक, कुंडलपुर के हमारे प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ जी के समोशरण में आयोजित किया जा रहा है जो संभवत अब तक का सबसे अभूतपूर्व पंचकल्याणक होगा। फिलहाल यह खबर चंद घंटों में जंगल की आग की तरह हर तक पहुंच चुकी है।

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