समयसार एवं आचार्य कुन्दकुन्द महाराज जी के अवर्णवाद का कुत्सित प्रयास और समाज को भ्रमित करने का पाप

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धर्म रक्षा के लिए सकल दिगम्बर जैन समाज को करबद्ध आव्हान

मंगलम भगवान वीरो, मंगलम गौतमो गणी
मंगलम कुन्दकुन्दाद्यो, जैन धर्मोस्तु मंगलम

वंदित्तु सव्वसिद्धे, धुवमचलमणोवमं गइं पत्ते। वोच्छामि समयपहुडमिणमो सुयकेवलीभणियं ।।१।।

विगत कुछ महीनों से ग्रन्थराज समयसार जी एवं आचार्य कुन्दकुन्द महाराज जी का अवर्णवाद किया जा रहा है

ये अवर्णवाद का कार्य इंदौर निवासी कुंथुगिरी प्रवासी स्वघोषित विद्वान हेमन्त काला द्वारा अबतक कुल 7 पोस्ट व्हाट्सएप आदि पर डालकर करने का प्रयास किया गया है जिसमें दुर्ग निवासी अरिहंत पाटनी भी उपरोक्त अवर्णवाद के पोस्ट वायरल करने में हेमन्त काला का सहयोग कर रहा है

ऐसी जानकारी मिली है कि इन लोगों ने व्हाट्सएप पर 13000 समूह बनाकर यह दुष्प्रचार किया है जिसके अंतर्गत ये असामाजिक तत्त्व समयसार जी को अप्रमाणिक ग्रंथ एवं आचार्य कुन्दकुन्द महाराज को जैनाभासि एवं श्वेतांबर मत से प्रभावित आचार्य साबित करने का कुत्सित प्रयास और समाज को भ्रमित करने का पाप कर रहे हैं

हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी यही तक नहीं रुके उन्होंने अपनी पोस्ट में यहां तक लिख दिया कि कुन्दकुन्द आचार्य जी के समयसार ग्रंथ पर टीका लिखने वाले सभी आचार्य जैसे आचार्य अमृतचंद्र सूरी, आचार्य जयसेन महाराज आदि भी जैनाभासि है एवं उनको भी आगम का ज्ञान नहीं है

शायद हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी भूल गए कि समयसार पर आचार्यश्री जयसेन जी महाराज की तात्पर्यवृत्ति संस्कृत टीका पर आचार्यश्री ज्ञानसागर जी महाराज द्वारा हिंदी टीका लिखी गई जिसका हिंदी पद्यानुवाद आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज द्वारा किया गया है

शायद हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी भूल गए कि आचार्य अमृतचंद्र सूरी एवं आचार्य जयसेन जी की समयसार पर लिखी गई दोनों संस्कृत टीकाओं पर गणिनीप्रमुख ज्ञानमति माताजी द्वारा ज्ञानज्योति नामक हिंदी टीका लिखी गई है।

शायद हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी भूल गए कि आचार्य विशुद्धसागर जी महाराज द्वारा समयसार पर प्रवचनों का संकलन समय देशना नाम से प्रकाशित हुआ है एवं समयसार पर आत्मा की सैतालीस शक्तियाँ नाम से भी पुस्तक प्रकाशित हुई है। वर्तमान के अनेक आचार्यों द्वारा समयसार पर संस्कृत अथवा हिंदी टिकाएं लिखी गई हैं

तो क्या हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी उपरोक्त सभी आचार्यों एवं माताजी को जैनाभासि या अज्ञानी मानते हैं

शायद हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी भूल गए कि वर्तमान में लगभग सभी प्रतिष्ठित प्रतिमाओं की प्रशस्ति में कुन्दकुन्दाम्नाय अनुसारेण लिखा हुआ है

तो क्या हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी वर्तमान की उन सभी प्रतिष्ठित मूर्तियों को जैनाभासि आचार्यों द्वारा प्रतिष्ठित मूर्तियां मानेंगे अथवा वो प्रशस्ति मिटाने के लिए कोई नया षड्यंत्र रचेंगे अथवा उन मूर्तियों को अप्रतिष्ठित व अपूज्यनीय घोषित कर देंगे?

इस कुचक्र के विरोध में मुनिपुंगव श्री सुधासागर जी महाराज ने 14-12-2021 के जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम में जिनशासन संघ द्वारा प्रेषित जिज्ञासा पर लगभग 15 मिनट तक उद्बोधन दिया एवं इसका पुरजोर निषेध किया

उसके उपरांत उपरोक्त अवर्णवाद एवं कुप्रचार को रोकने के लिए पण्डित महेश कुमार जी शास्त्री, डीमापुर एवं जिनशासन संघ के संयुक्त प्रयास से सकल दिगम्बर जैन समाज के मूर्धन्य विद्वानों को इस अवर्णवाद की रोकथाम के लिए आव्हान किया गया एवं 19-12-2021 को एक zoom मीटिंग का आयोजन किया गया जिसमें शताधिक विद्वान एवं श्रावक श्रेष्ठी जुड़े एवं भविष्य की रणनीति पर लगभग ढाई घण्टे तक हुई इस मीटिंग में विचार विमर्श किया गया। विशेष बात यह रही कि आपसी मतभेद भुलाकर इस मीटिंग में 13 पंथी, 20 पंथी एवं कांजि पंथी सभी आम्नाय के विद्वान जुड़े और हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी का संगठित प्रतिकार करने का निर्णय लिया गया।

उपरोक्त मीटिंग के संदर्भ में दिनांक 21-12-2021 को हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी द्वारा एक मनगढंत पोस्ट व्हाट्सएप पर प्रसारित की गई जिसमें मीटिंग में क्या निर्णय हुए उसके काल्पनिक व कपोलकल्पित मुद्दे लिखे गए जो कि सर्वथा असत्य है एवं यह फर्जी पोस्ट इन असामाजिक तत्त्वों की झूठ बोलने और प्रसारित करने के संस्कारों को प्रदर्शित करती है। जिनको भी यह देखना हो कि वास्तविक मीटिंग में क्या चर्चा हुई एवं हेमन्त काला व अरिहंत पाटनी द्वारा क्या झूठ फैलाया गया वो मीटिंग की यूट्यूब वीडियो देख सकते हैं। सत्य सूर्य समान स्वयं प्रकाशित रहता है झूठ के बादल उसे कुछ ही क्षणों के लिए ढक सकते हैं

जिनशासन संघ के सुझाव
1️ सकल दिगम्बर जैन समाज को समयसार जी एवं आचार्य कुन्दकुन्द जी महाराज के विरुद्ध हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी द्वारा किए गए अवर्णवाद का पुरजोर निषेध करते हुए प्रत्येक स्थानीय कमेटी, संस्था, ट्रस्ट एवं समाज की बड़ी संस्थाएं जैसे तीर्थ क्षेत्र कमेटी, दिगम्बर जैन महासभा, दिगम्बर जैन विद्वत परिषद आदि को हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित करना चाहिए एवं इनको चेतावनी देनी चाहिए कि ऐसे ही दुष्प्रचार करते रहे तो इनको समाज से निष्कासित किया जाएगा

2️ हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी को यह भी चेतावनी देनी चाहिए कि यदि इन्होंने यह दुष्प्रचार ऐसे ही चालू रखा तो सकल दिगम्बर जैन समाज इनसे रोटी बेटी का संबंध समाप्त कर देगा

3️ सकल दिगम्बर जैन समाज को चाहिए कि हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी को किसी भी प्रकार से ऐसे कुप्रचार के लिए सार्वजनिक मंच उपलब्ध न कराए एवं इनको किसी भी धार्मिक सामाजिक कार्यक्रम में मंच से बोलने की संधि / अनुमति नहीं देवे

4️ हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी एवं इनके कोई भी सहयोगी यदि किसी व्हाट्सएप समूह, फ़ेसबुक ग्रुप, यूट्यूब आदि पर ऐसा कुप्रचार करते हुए कोई पोस्ट डालते हैं तो उनको तुरंत उस समूह से रिमूव किया जाए

5️ जिनशासन संघ जैन समाज के सभी पूज्य आचार्यों, उपाध्याय, साधु परमेष्ठियों से एवं पूज्य आर्यिका माताजी, ऐलक जी, क्षुल्लक जी, क्षुल्लिका जी, जैन समाज के सभी विद्वान, शास्त्री, पण्डित एवं सभी श्रावकों से करबद्ध निवेदन करता है कि आप सभी कृपया हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी द्वारा समयसार एवं आचार्य कुन्दकुन्द जी महाराज के विरुद्ध किए जा रहे अवर्णवाद की रोकथाम के लिए सार्वजनिक मंच से अपने प्रवचनों द्वारा एवं उद्बोधन द्वारा ऐसे कुप्रचार का निषेध अवश्य करें एवं उसकी एक छोटी वीडियो बनाकर व्हाट्सएप, फ़ेसबुक एवं यूट्यूब आदि के माध्यम से प्रसारित करें।

यदि प्रसारण के लिए सहयोग की आवश्यकता हो तो जिनशासन संघ सदैव इस कार्य के लिए अपनी निःशुल्क सेवाएं देने के लिए तैयार है। सभी श्रावक भी अपनी अपनी भूमिका के अनुसार इस कुप्रचार के विरुद्ध कार्यवाही करें।

कुछ श्रावकों का मानना है कि हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी जैसे लोगों की उपेक्षा करने से ही समस्या समाप्त हो जाएगी उनके लिए आगम की क्या आज्ञा है वो निम्नलिखित आगम प्रमाणों से स्पष्ट होता है

आचार्य श्री शुभचन्द्र जी ज्ञानार्णव के 9 वे प्रकरण के श्लोक संख्या 15 में लिखते हैं कि
धर्मनाश के उपस्थित होने पर, शास्त्रविहित अनुष्ठान का विनाश होने पर अथवा परमागम के अर्थ के नष्ट होने पर सत्पुरुषों को पूछने के बिना भी उसके स्वरुप को प्रकाशित करने वाला संभाषण करना ही चाहिए ।।१५।।

मूलाचार गाथा संख्या 365 पर सिद्धांत चक्रवर्ती आचार्य वसुनन्दि जी अपनी अचारवृत्ति टीका में लिखते हैं कि
पंच परमेष्ठियों का अनुराग करना, उन्ही की पूजा करना, उन्ही के गुणों का वर्णन करना, उनके प्रति लगाए गए अवर्णवाद अर्थात असत्य आरोप का विनाश करना और उनकी असादना अर्थात अवहेलना का परिहार करना – ये भक्ति आदि गुण कहलाते हैं

उपरोक्त शास्त्रों में जो कथन आया उससे स्पष्ट है कि शास्त्र हमें देव शास्त्र व गुरु की रक्षा करने और उनके अवर्णवाद, अवहेलना व उपसर्ग दूर करने का ही उपदेश देते हैं और ऐसी स्थिति में मौन रहने का तो उपदेश कोई शास्त्र नहीं देते अपितु प्रतिकार करने का उपदेश देते हैं।

यह प्रतिकार केवल हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी का नहीं अपितु उनके दुष्प्रचार का है जिससे वो लाखों श्रावकों को भ्रमित कर रहे हैं। जिन श्रावकों का स्वाध्याय है वो तो समझ जाते हैं कि हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी की एकांतवादी पोस्ट रद्दी से ज्यादा कुछ नहीं है। लेकिन जिन श्रावकों का स्वाध्याय नहीं है वो इस कुप्रचार को सही मानकर यदि अपनी धारणा बना लें तो यहां एक नए पंथ का जन्म होने की संभावना है जो आने वाले भविष्य में जैन समाज का एक और वैचारिक विभाजन करवा सकता है।

कुछ लोगों का यह भी मानना है कि हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी को सामने बैठालकर उनके कुतर्कों का आगम सम्मत जवाब दिया जाए।

वो मान गए तो ठीक है अन्यथा उनकी उपेक्षा की जाए। हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि इन व्यक्तियों द्वारा जो अवर्णवाद किया जा रहा है वो केवल कुछ पंथ विशेष के आधारभूत रूप समयसार जी ग्रंथ एवं कुन्दकुन्द आचार्य की नींव हिलाने के लिए किया जा रहा है जिससे वे पंथ विशेष स्वयं ही धराशायी हो जाए। इसका दूसरा प्रयोजन शिथिलाचार का पोषण दिखता है क्योंकि आचार्य कुन्दकुन्द महाराज ने अपने ग्रंथों में शिथिलाचार का पुरजोर विरोध किया है और उनको जैनाभासि एवं अप्रमाणिक साबित करने से उनके ग्रंथ स्वयं ही अप्रमाणिक साबित होकर उनमे दिए गए प्रमाण स्वयं निरस्त हो जाएंगे।

अतः यह सुनियोजित षड्यंत्र है और हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी इनसे शास्त्रार्थ करना व्यर्थ है क्योंकि इनके उद्देश्य एवं गंतव्य पहले से सुनिश्चित हैं।

अतः समाज को वक़्त रहते ऐसे असामाजिक तत्त्वों के विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए जिससे जैन धर्म की आत्मा स्वरूप समयसार जी एवं आचार्य कुन्दकुन्द महाराज जैसे पूज्य परमेष्ठी का अवर्णवाद न हो और समाज में यह विष और न फैले

यदि आपमे से कोई हेमन्त काला एवं अरिहंत पाटनी से सीधा संपर्क करना चाहते हैं तो उनके निम्नलिखित नम्बरों पर सम्पर्क कर सकते हैं
हेमन्त काला, इंदौर, मध्यप्रदेश (कुंथुगिरी प्रवासी) 9425075774,9424025595
अरिहंत पाटनी, दुर्ग, छत्तीसगढ़ – 9300251404
धर्मो रक्षति रक्षितः
– जिनशासन संघ
22-12-2021 को सोशल मीडिया पर जारी की गई एक पोस्ट

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