5 फरवरी 2022, शनिवार को बसंत पंचमी/ज्ञान पंचमी के दिन दिगम्बर जैन धर्म के महानतम आचार्य कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य कुंदकुंद स्वामी की जन्मजयंती

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हमारे प्राचीन आचार्यो ने आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी को मंगलाचरण में महत्वपूर्ण स्थान दिया है गौतम गणधर के बाद उनको स्थान दिया है क्योंकि आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी ने आज से लगभग 2300 वर्ष पूर्व पड़े भीषण अकाल के पश्चात् उत्तर भारत में सर्वत्र विहार करके शिथिलाचारियों द्वारा चलाए गए नवीन मत का खण्डन कर दिगम्बर जैन धर्म की पुनर्स्थापना की थी,

आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी अन्तिम श्रुत केवली आचार्य भद्रबाहु के शिष्य आचार्य चन्द्रगुप्त के शिष्य आचार्य कुन्दकुन्द हुए ऐसा श्रवणबेलगोला के शिलालेख में भी वर्णन है.

आचार्य कुंदकुंद स्वामी द्वारा किए उपकार को न भूलते हुए हम सभी का कर्तव्य है कि हम आचार्य कुंदकुंद स्वामी के साथ ऐसा न होने दें, उन्हें दिगम्बर जैन आम्नाय में जो स्थान प्राप्त है, उसे यथावत् बनाए रखते हुए आचार्य कुंदकुंद स्वामी को जैनाभासी कहने वालों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार मुंहतोड़ जबाब अवश्य दें.