जीत शाकाहार की – कृश जैन को मिला नेशनल स्वीमिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल, मिथ्या धारणा मांसाहार लेना आवश्यक

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यू तो जैन समाज को बौद्धिक एवं समर्द्धशाली समाज के रूप में जाना जाता है पर बालक कृश जैन ने अपनी प्रतिभा से यह सिद्ध कर दिया कि जैन किसी से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है ।
प.पू. आचार्य 108 श्री योगीन्द्र सागर जी महामुनिराज के परम शिष्य शिकोहाबाद निवासी आदरणीय श्री अशोक जी जैन के पौत्र व गुड़गांव निवासी श्रीमती रजनी-मयंक जैन के पुत्र 13 वर्षीय बालक कृश जैन ने हाल ही 19 से 23 अक्टूबर को बैंगलोर में आयोजित नेशनल स्वीमिंग चैंपियनशिप में 50 मीटर बेक स्ट्रोक में गोल्ड मेडल एवं 200 मीटर बेक स्ट्रोक में ब्रांज मेडल प्राप्त किया ।
यह भारत की सबसे प्रतिष्ठित स्वीमिंग चैंपियनशिप प्रतिस्पर्धा है जिसमें अपने अपने प्रदेशों से चयनित होकर आए 1400 तैराकों ने भाग लिया ।

आम तौर पर किसी भी खेल प्रतिस्पर्धा में भाग लेने वाले प्रत्याशियों के लिए यह मिथ्या धारणा रखी जाती है कि किसी भी खिलाड़ी के लिए मांसाहार लेना आवश्यक होता है, क्योंकि उससे शारीरिक क्षमता बढ़ती है किन्तु पूर्ण रूप से शाकाहार पर निर्भर रहने वाले बालक कृश जैन ने उस मिथक को तोड़ते हुए केवल जैन समाज ही नहीं बल्कि पूरी शाकाहारी समाज को गौरवान्वित किया है ।
हम सभी शाकाहारी बन्धुओ से यह अनुरोध करते है कि ऐसी खेल प्रतिस्पर्धाओं में हमे अपनी व अपने बच्चों की भागीदारी को सुनिश्चित करना होगा ताकि हमारी प्रतिभा के साथ शाकाहार की श्रेष्ठता का प्रदर्शन भी हो ।

-राकेश जैन ‘चपलमन’