30 सितम्बर 2022/ अश्विन शुक्ल पंचमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी
श्री मुनिसुव्रतनाथ दिग. जैन अतिशय क्षेत्र मंदिर केशवरिया पाटन में चंबल नदी के पास एक ऊंचे स्थान पर बना है, यहां भगवान मुनिसुव्रतनाथ (20 वें तीर्थंकर) की 4.5 फिट ऊंची चतुर्थकालीन पद्मासन प्रतिमा भूमिगत स्थापित है। जो संवत 336 में प्रतिष्ठित की गई । इसकी पॉलिश मौर्य व मध्यवर्ती कुषाण काल की सिद्ध होती है। इसके अलावा यहाँ तेरहवीं शताब्दी की अन्य छ प्रतिमायें भी हैं।
इसमें स्थित मूर्ति को मोहम्मद गौरी द्वारा क्षतिग्रस्त किया गया था, जिसकी पुष्टि कर्नल टॉड, दशरथ शर्मा इत्यादि विद्वान् करते हैं। श्री कुंड कुंड आचार्यदेव ने भी निर्वाणकांड में इस स्थान का वर्णन किया है। श्री सिद्धांत चक्रवर्ती आचार्य नेमीचंद्रदेव ने यहां दो महान ग्रंथों, लघु द्रव्य संग्रह और बृहत द्रव्य संग्रह को पूरा किया है। यतिवर मदनकीर्ति और उदयकीर्ति ने इस नगर की पवित्रता का वर्णन किया है, यह शहर बहुत ही प्रसिद्ध रहा है।
इतिहास – इस क्षेत्र में आक्रमण के दौरान मोहम्मद गौरी ने इस चमत्कारी मूर्ति को तुड़वाने की कोशिश की, जब सैनिकों ने इस प्रतिमा को तोड़ने के लिए प्रहार किया तो प्रतिमा जी मे से प्रबल वेग से दूध की धार निकलने लगी। यह देख आक्रमणकारियों को घबरा कर वहां से भागना पड़ा। प्रतिमा जी पर जो निशान दिख रहे है वे उस मूर्ति को तोड़ने के प्रयास में आये हुए निशान है।
लगभग 100 वर्ष पूर्व इस नगर में एक महामारी का प्रकोप हुआ था, जिससे पीड़ित होकर अनेकों नागरिक मारे गए थे तब भयभीत लोगो को अपनी जीवन रक्षा के लिए यह नगर छोड़ कर अन्यंत्र स्थान पर जाना पड़ा था। जाने से पूर्व कुछ श्रद्धालु भगवान के दर्शन करने आये और प्रभु के समक्ष दीपक जला गए । क़ई माह के पश्चात जब महामारी का प्रकोप खत्म हुआ तो लोग अपने घरों को लौटे एवं जब वे पुनः प्रभु के दर्शन करने गये तो वे यह देखकर आश्चयचकित रह गए जो दीपक वे जला कर गए थे वह इतने लंबे समय बाद भी प्रवजल्लित था।
15 सितंबर 2012 के दिन शाम 5:15 से 6:30 तक इस प्रतिमा जी का चमत्कारी रूप से स्वतः ही अभिषेक हुआ।
प्रमोद जैन, भोपाल 9691916053