तिरुअनंतपुरम: सोशल मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार केरल के तिरुअनंतपुरम जिले के 50 परिवारों ने किया जैन धर्म का त्याग कर दिया है. यह सब वह लोग है जिन्होंने एक साल पहले जैन धर्म अपनाया था. वास्तव में कुछ सदी पूर्व तक इनके पूर्वज जैन धर्म के ही अनुयायी थे, लेकिन बाद में इस समाज के लोग जैन धर्म से दूर गए थे. पिछले साल इस समाज के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रयत्नों से इस समाज के लगभग 80 परिवारों ने जैन धर्म अपनाया था.
इनके जैन धर्म छोडने के पीछे वहां के प्रस्थापित जैन समाज की दकियानुसी मानसिकता हैं. प्रस्थापित जैनियों ने इन नए जैनियों को अपनाया नहीं और ना ही इन्हें अपने मंदिरों में प्रवेश दिया.
इस समाज के एक कार्यकर्ता एन सुधाकरन ने कहा, ‘हमारे पूर्वज जैन थे. हमारा समाज परंपरा से शाकाहारी है. हमें लगा था कि जैन धर्म में भेदभाव का कोई स्थान नहीं, इसलिए हम कार्यकर्ताओं ने हमारे समाज के लोगों को जैन धर्म अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया. लेकिन कुछ ही दिनों में हमारा भ्रमनिरास हुआ. हमने अनुभव किया है कि जैन समाज ही नहीं, जैन साधू तक हम से भेदभाव करते हैं. इसलिए हम अब जैन धर्म छोड रहे हैं’
यह पूछे जाने पर कि फिर आप लोग आगे क्या करने जा रहें हैं, इस समाज के दूसरे एक कार्यकर्ता रत्नशेखरन ने कहा, ‘हमारे समाज के कई लोग पहले से ही इस्कॉन के अनुयायी हैं. हमारे कई युवक इस्कॉन मंदिरों में सेवा देते रहते हैं. वहां हम लोगों से किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता. इसलिये हमारे समाज के लिए इस्कॉन ही ठीक है’.
रत्नशेखरन ने आगे कहा, ‘जैन धर्म महान है. लेकिन दुर्भाग्य से प्रस्थापित जैन समाज इतना महान नहीं हैं कि वह दूसरों को अपना सके’