संकल्प पूर्वक समस्त आडम्बरो,दिखावो,प्रदर्शनों व महंगे आयोजनों का – सभी अपव्यय -प्रदर्शनों के लिए प्रतिज्ञा पूर्वक त्याग- , बिना किसी बोली के,अब होगा चातुर्मास

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8 जुलाई 2022/ आषाढ़ शुक्ल नवमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
300 सन्तो के शिक्षागुरु व जैन दर्शन के जीवंत विश्व विद्यालय का धर्म नगरी भीलूड़ा में होगा पावन वर्षायोग-
जिनके आगे आगे माँ सरस्वती व पीछे पीछे माँ लक्ष्मी का गमन होता है ऐसे अहिंसामयी विश्व धर्म के कालजयी सन्त जिनवाणी पुत्र वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनन्दी जी गुरूराज का वर्षायोग हेतु भव्य मंगल प्रेवश- सेकड़ौ सन्त बड़े बड़े आचार्य भी अपने स्वाध्याय, प्रतिक्रमण के प्रारम्भ में जिनकी वन्दना करते है ऐसे महान शिक्षा गुरु स्वाध्याय तपस्वी वैज्ञानिक धर्माचार्य श्री कनकनन्दी जी गुरूराज का 6 जुलाई को प्रातः 9 बजे राजस्थान के डूंगरपुर जिले में स्थित भीलूड़ा नगरी में पावन वर्षायोग हेतु सादगी पूर्वक भक्ति भव्यता के साथ मंगल प्रेवश हुआ। जेठाना से लेकर भीलूड़ा जैन मंदिर तक जगह जगह जैन व अजैन बंधुओ ने अपने अपने आंगन से पद पक्षाल पूजा पूर्वक महागुरु संघ का अभिनन्दन किया।

पूज्य गुरुदेव ने वर्षायोग स्वीकृति से पूर्व पुयार्जक भरड़ा गेंदमल जी परिवार व भीलूड़ा श्री समाज को वर्षायोग निमित्त स्वागत गेट, बड़े पंडाल,महंगी पत्रिका,होर्डिग बोर्डिग ,धूम धड़ाका आदि सभी अपव्यय -प्रदर्शनों के लिए प्रतिज्ञा पूर्वक त्याग करवाया। गुरुदेव ने भीलूड़ा जिनालय परिसर के मंच पर आते ही स्थित सिंहासन को भी हटवा दिया और सामान्य पट पर विद्यमान होकर धर्म सभा आरम्भ करवाई। गुरु आज्ञानुसार बिना किसी बोली के उपस्थित श्रावको द्वारा दीप प्रज्ज्वल,पद पक्षालन द्वारा धर्म सभा संचालित हुई विश्वव्यापी महाज्ञानी सन्त आचार्य श्री कनकनन्दी जी गुरूराज जिनकी वाणी व रचित साहित्य बिना किसी प्रपंच, बिना किसी चंदे चिट्ठे व बिना किसी भौतिक निर्माण के सात समंदर पार पांचों महाद्वीपो में शंखनाद करते है ऐसे कालजयी अलौकिक सन्त का पावन वर्षायोग नगर भीलूड़ा में होना निश्चित रूप से समस्त ग्राम वासियो का भाग्योदय का प्रतीक हैजैन धर्म की ज्ञान साधना को विश्व शिखर पर चमकाने वाले पूज्य आचार्य श्री कनकनन्दी जी का वर्षायोग अर्थात 3 शतक साधुओं का वर्षायोग-आहारदान-सेवा व वैयावृत्ति के समान है।

वात्सल्यरत्नाकर आचार्य श्री विमलसागर जी व गणाधिपति गणधराचार्य श्री कुंथुसागर जी ऋषिराज के शुभाशीष से पूज्य आचार्य श्री कनकनन्दी जी गुरुदेव का जहाँ प्रवास होता है वहाँ ज्ञान-ध्यान साधना से ऐसा स्वाभाविक अतिशय होता है की वह नगर-वहाँ के सेवारत समस्त श्रावको का निश्चित रूप से चहुमुखी विकास होता है।
पूज्य गुरुदेव के प्रवास में संकल्प पूर्वक समस्त आडम्बरो,दिखावो,प्रदर्शनों व महंगे आयोजनों का पूर्ण रूप से त्याग होता है
निश्चित रूप से धर्म नगरी भीलूड़ा,स्थानीय जैन समाज व भरड़ा श्रीपाल जी-भरड़ा चंद्रकांत जी-भरड़ा विमल जी आदि तीन भाइयों के भव भवान्तरो से संचित इस असीम महा पुण्य की हम सब अनुमोदना करते है जिनके पुरुषार्थ में ऐसे महागुरु का पावन वर्षायोग होने वाला है

सन 2022 वर्षायोग में सतत स्वाध्याय साधना में लीन रहने वाले युगऋषि सिद्धान्त चक्रवर्ती आचार्य श्री कनकनन्दी जी गुरूराज ससंघ की सत्संगति से स्वयं को निर्मल करते हुए अपने जीवन को धन्य करे,इस स्वर्णिम समय का सदुपयोग करे क्योकि ऐसे गुरु सानिध्यता को देने वाला ये श्रेष्ठ समय पुनः नही मिल सकता
भीलूड़ा की समस्त जैन समाज व भरड़ा गेंदालाल जी परिवार को बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं पुनश्च आपके पुण्य-पुरुषार्थ की कोटिशः अनुमोदना

-शाह मधोक जैन चितरी