आजाद भारत में किसी साधु की सबसे घिनौनी, नृशंस हत्या और इससे ज्यादा चुप्पी भीआज तक नहीं देखी गई , ना समाज द्वारा , ना मीडिया द्वारा,ना नेताओं द्वारा

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09 जुलाई 2023/ श्रावण अधिमास कृष्ण सप्तमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन/ दिल्ली/EXCLUSIVE
हां , इतिहास गवाह है कि जैन साधुओं पर सातवीं सदी से 16वी, 17वी सदी तक बहुत अत्याचार हुए । उन्हें घानी में से तेल निकालने की भाति डाला गया। हजारों को सूली पर चढ़ा दिया । हजारों की गर्दन कलम कर दी । वह सब धर्मांतरण का दवाब था, कि धर्म बदलो, नहीं तो हमारे ऐसे जुल्म ही होंगे । पर शरीर आत्मा का भेद विज्ञान करने वाले हमारे साधुओं ने उफ नहीं की और नश्वर शरीर को समर्पित कर दिया। तब गुलाम भारत था।

पर आजाद भारत में शायद 76 साल के इतिहास में, किसी भी धर्म के साधु की इतनी वीभत्स, नृशंस हत्या नहीं की गई होगी, जैसी जैन दिगंबर आचार्य श्री काम कुमार नंदी जी की । अफसोस आज इस बात का है कि ऐसे बड़े घोर निंदा वाले कांड के बाद भी, हम एक होकर आवाज नहीं उठा रहे ।मौन हो गए , जैसे कुछ हुआ ही नहीं। इतिहास गवाह है कि इतनी घिनौनी किसी साधु की हत्या ,आजाद भारत में आज तक नहीं हुई।

आज क्या हम इतने बंट गए हैं कि हमें कोई चिंता नहीं। अपने एक साधु कि ऐसी घिनौनी हत्या पर, कोई आवाज नहीं उठा रहा।

5 जुलाई की रात एक माली गोल टोपी वाले के साथ राक्षस बन गए और शायद जिंदा ही उनके टुकडे कर दिए गए।दानवता का नंगा नाच किया गया , उसकी वीडियो और फोटो खींच, राक्षसों का जैसे नंगा तांडव । इस पर अफसोस कुछ संतो के अलावा, किसी विद्वान या किसी समाजिक सैकड़ों कमेटी से किसी की आवाज नहीं उठी।जैसे अब सब सो गए। देश का मीडिया चाहे प्रिंट हो या इलेक्ट्रॉनिक, चंद लाइनों में कुछ अखबारों के अलावा बाकी को इसमें आंख बंद करना ही जैसे सही लगा। नेताओं ने भी आंखे बंद रखी।

कुछ माह पहले , एक अन्य संप्रदाय के कुछ साधुओं को गाड़ी से खींच कर पिटाई कर दी थी कि तब सारे साधुओं में, सब नेताओं में, सारे मीडिया में , सभी ने खूब बयान दिए, घोर निंदा की पर अब सब कुछ शांत है।, किसी को कोई चिंता नहीं, साधु जगत में ऐसी नृशंस हत्या आजाद भारत पहले कभी नहीं देखी । चैनल महालक्ष्मी उस हत्या की पूरे चिट्ठे की जानकारी सोमवार , 10 जुलाई, को रात्रि 8:00 बजे के एपिसोड नंबर 1978 में देगा ।

एक दिगंबर आचार्य ने अन्न जल त्याग दिया है । आमरण अनशन की घोषणा कर दी है , जब तक सरकार लिखित में यह गारंटी नहीं देती, कि कर्नाटक में साधुओं की सुरक्षा के लिए वह कटिबद्ध है ।

आज हम सब की चुप्पी क्या संदेश दे रही है कि हम एक नहीं है, पंथ और संत वाद में इतना बट गए कि आज इस क्रूर नृशंस कांड पर आवाज भी नहीं निकाल सकते, घोर निंदा भी नहीं कर सकते। देश की सत्ता ने तो भुला दिया, शोर मचाना वाला मिडिया चुप हो गया। यह बहुत हैरत की बात है । जैन समाज को चिंता करने वाली बात है । इस पर एक विशेष एपिसोड आप सबके चिंतन के लिए चैनल महालक्ष्मी, सोमवार, 10 जुलाई रात्रि 8:00 बजे दिखाएगा ।

जान दे दूंगा, एक दिगंबर आचार्य ने कहा, क्यों हो गया मजबूर, देखिएगा जरुर।