परम पूज्य मुनि श्री 108 चिन्मय सागर जी महाराज (जंगल वाले बाबा) के 18 अक्टूबर 2021 द्वितीय समाधि दिवस पर
अपने जीवन काल मे इतिहास बहुत कम लोग बना पाते है बाकी सब लोग तो जीवन बिता देते है। जीवन तो सभी जीते हैं जो जीवन को जीवंत कर दे वही जीवन सार्थक है ।भारत वसुन्धरा पर समय-समय पर अनेक ऋषि मुनि संत महात्मा दिव्य महान पुरुषों का अवतरण हुआ है ।आज के दिन ऐसे ही एक दिव्य विभूति परम पूज्य गुरुदेव श्री चिन्मय सागर जी महाराज का द्वितीय समाधि दिवस है। गरूदेव चिन्मय सागर जी महाराज के ह्रदय में प्राणी मात्र के प्रति अटूट वात्सल्य, करुणा, प्रेम कूट कूट के भरा था। सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि जो व्यक्ति एक बार उनके सम्पर्क में आता वो उनका होकर रह जाता। आज ही के दिन आपकी समता पूर्वक समाधि आपके जन्म स्थान जुगुल में 18 अक्टूबर 2019 को सांयकाल 6: 17 यम सल्लेखना पूर्वक हुई
आपकी 33 वर्ष की साधना और 3 आचार्य महाराज 13 साधु संत भट्टारकजी एवम अनेक त्यागी वृति की उपस्थिति में 33 दिन तक उत्कृष्ट समाधिमरण पूर्वक मरण को प्राप्त होना दुर्लभ संयोग है दूसरी बात जहां गुरुदेव का जन्म हुआ वहीं पर ही उनका अंतिम समय बिता । यह भी दुर्लभ योग की बात है वीर प्रभु से मंगल कामना है कि एक दिन मेरा भी समाधि मरण हो।परम पूज्य गुरुदेव श्री चिन्मय सागर जन्म कर्नाटक प्रान्त के जिला बेलगांव के अंतर्गत छोटे से गाँव जुगुल में हुआ था। मुनि श्री के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर कुछ भी बोलना लिखना सूर्य को दीपक की रोशनी दिखाने के बराबर है साधारण शरीर वाले व्यक्ति का असाधारण व्यक्तित्व होता है तथा परम पूज्य मुनि चिन्मय सागर जी महाराज के ह्रदय में वात्सल्य, प्रेम, स्नेह, करुणा कूट-कूट कर भरी थी कर्नाटक प्रांत के जिला बेलगाम के अंतर्गत छोटे से ग्राम जुगुल में देव शास्त्र गुरु के परम भक्त उदार व्यवहार कुशल श्री अनंत मोले जी धर्म निष्ठ सदगृहिणी संस्कारवान श्रीमती जी के आंगन में दिनांक 6 अगस्त 1961 श्री धर्मेंद्र कुमार जी जैन का जन्म हुआ ।
शिक्षा हायर सेकेंडरी स्कूल तक रही आपने ब्रह्मचारी व्रत 1982 में अंगीकार किया एवं आपका 9 जुलाई 1987 अतिशय क्षेत्र डोलजी में संत शिरोमणि विद्यासागर जी महाराज के संग में मंगल प्रवेश हुआ। आपकी सोनागिरी जैन मंदिर मध्यप्रदेश सिवनी में संत शिरोमणि आचार्य 108 विद्यासागर जी महाराज के वरदहस्त कर कमलों से दिनांक 31 मार्च 1988 को हुई आपने अपने संपूर्ण चातुर्मास अलग-अलग बिहड़ जंगलों में जंगली जानवरों के बीच किये ।
आप संयम तप त्याग और साधना की साक्षात मूर्ति थे आपका एक मंगल वर्षायोग ऐतिहासिक कोटा नगरी के समीप बोराबास (रावतभाटा रोड )के जंगलों में हुआ यहां हजारी भील मीना गुर्जरों को अंडा ,मांस, मछली का त्याग करवा दिया । वहाँ मैं पारस जैन पाटनी “पार्श्वमणी “पत्रकार रोज दर्शन को आया करता था गुरुदेव के पैर पकड़ कर एक ही विनंती हर बार करता था कि गुरुदेव एक धर्म का जैन टीवी चैनल खुलवा दीजिए। 40 दिन तक रोज यही बारम्बार आग्रह किया। गुरुदेव ने पारस टीवी चैनल दे दिया एक बार बड़ौत (उत्तर प्रदेश) में सबके सामने मुझे बुलाकर कहा कि देख पारस तेरे नाम को विश्व के घर घर में पहुंचा दिया मैंने भीगी पलको के साथ गुरुदेव के चरणों को छूते हुए कहा कि गुरुदेव मुझे नहीं आज सम्मेद शिखरजी में विराजमान पारस नाथ बाबा को घर-घर पहुंचाया है।
जैन धर्म दर्शन का प्रचार प्रसार किया है ।यही भावना थी जो आपने पूरी की। आज के इस वैश्विक महामारी काल में जब अधिकांश धर्म आयतन बन्द है । दिनांक 22 मार्च 2020 से लोक लोक डाउन लग गया था । अतिशय तीर्थ , सिद्ध क्षेत्र के मंगल दर्शन श्री जी के अभिषेक शांति धारा सभी जैन संतों के मंगल प्रवचन शंका,जिज्ञासा समाधान, तीर्थ दर्शन समस्त जानकारियां हमे पारस टी वी चेनल से ही मिल रही है । युगों युगों तक आपका यह उपकार लोग याद रखेंगे आपकी कठोर साधना देखते ही बनती थी आप तप त्याग और वात्सल्य करुणा की साक्षात मूर्ति थे। आपने लाखों लोगों को शाकाहारी संयमी व्यसन मुक्त बनाया है। श्रवणबेलगोला महामस्तकाभिषेक 2018 मैं आपने उपस्थित होकर आयोजन की गरिमा में चार चांद लगा दिए थे।*
– पारस जैन पार्श्वमणि पत्रकार कोटा (राज) , 9414764980