नई हिंदी फिल्म #जयेश_भाई_जोरदार में किया गया, जैन संस्कृति व तीर्थंकर प्रतिमाओं का अपमान निरादर, तत्काल यह दृश्य काटे जाएं, आवाज उठाएं #JayeshbhaiJordaar

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19 मई 2022/ जयेष्ठ कृष्णा चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/

एक चर्चित हीरो की और एक चर्चित निर्देशक द्वारा गत सप्ताह एक नई हिंदी फिल्म रिलीज हुई #जयेश_भाई_जोरदार, #JayeshbhaiJordaar जिसमें लड़का लड़की के जन्म में भेदभाव पर तीखा हमला किया है, ऐसे विषय को उठाना चाहिए ।

पर उसकी आड़ में सामाजिक व धार्मिक ठेस पहुंचाना यह कभी उचित नहीं है, इस फिल्म में एक दृश्य है , जब सरपंच अपने पुत्र और पुत्रवधू के साथ, लड़के की कामना के लिए मनौती मांगने जाता है। जिस जगह पर जाता है , वहां पर एक चौमुखी रूप में तीर्थंकर प्रतिमा विराजमान है।

उसके आगे बकरा खड़ा होता है और उससे हाथ जोड़कर, सरपंच परिवार निवेदन करता है कि मेरी बहू को कुलदीपक मिले , लड़का मिले। ऐसे अंधविश्वास को प्रकाशित करते ,जब यह बताते हैं कि बकरा अगर गर्दन हिलाता है तो समझ लीजिए, कुलदीपक वरना लड़की होगी। और वहां खड़ा आदमी कुछ मंत्र बोलकर , उस बकरे के ऊपर , लोटे से पानी डालता है और पानी हटाने के लिए वह बकरा, अन्य जानवरों की तरह, प्राकृतिक रूप में सर को झंझारता है ।

यह कोई अलग बात नहीं है पर इसके पीछे का दृश्य जो होता है । वह जरूर जैन धर्म के लिए एक आपत्तिजनक दृश्य है। इसमें यहां पर तीर्थंकर प्रतिमा चौमुखी को दर्शाया गया है । मूर्ति के साथ में किया गया दृश्य, संभवत गुजरात के इदर किले का है । जहां पर यह शूटिंग की गई और जो किसी समय एक भव्य जैन मंदिर हुआ करता था। इस फिल्म में तीर्थंकर पद्मासन मुद्रा वाली मूर्ति , के साथ में पिछी कमंडल धारी मुनिराज की मूर्ति का तिलक, आदि लगाकर कथित बाबा और बकरे के साथ यह इडर किले में शूटिंग की गई है । निश्चित शूटिंग करते समय, जैन समाज की जैन धर्म की मान्यताओं का सम्मान नहीं रखा गया।

कलाकार रणवीर सिंह हो , या बोमन ईरानी, या फिर शालिनी पांडे , इस फिल्म की घोर निंदा करनी चाहिए और भारत सरकार से अपील करनी चाहिए कि दृश्य को हटाने तक, तत्काल इस फिल्म पर रोक लगे। दृश्य को तत्काल हटाया जाए । अल्पसंख्यक मंत्रालय विभाग से भी हमारा यही विनम्र अनुरोध है , इस बारे में पूरी रिपोर्ट पर जानकारी , आप आज गुरुवार 19 मई के चैनल महालक्ष्मी के रोजाना की तरह, आज रात्रि 8:00 बजे आने वाले एपिसोड में देख सकते हैं , कि बड़ी फिल्म के नाम पर, किस तरह एक अल्पसंख्यक धर्म यानी जैन मान्यताओं का सम्मान नहीं रखा जा रहा।

आराम प्रिय जैन समाज से यह अपेक्षा तो नहीं कर सकते कि वह अपने घरों से निकलकर , सिनेमा हालों पर जाकर इसका विरोध कर पाएगा। पर इतनी आशा तो कर सकते हैं कि अपनी कलम और आवाज के साथ, इसकी घोर निंदा करेगा और यह हर मंच तक अपनी आवाज पहुंचाने में साथ देगा ।

अपनी संस्कृति, विरासत अनमोल है। उसे यूं ही मत गवाएं और ना ही किसी को उसका असम्मानीय दृश्य दिखा कर, अपमानित करने की छूट दे । यह कर्तव्य हमारा, आवाज उठाएं।