जन्मपत्री पर नहीं ,कर्म पत्री पर विश्वास रखो- जो जब जैसे होना है होकर रहेगा, जो हमने कर्मों के द्वारा लिख रखा है

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आज हमें हर चीज पर सोच समझकर कदम उठाना चाहिए कुछ बातें जो रूड वादी हैं उन्हें त्याग कर आगे बढ़ना चाहिए जब हम जैन हैं और हमारा सिद्धांत है कि जो जब जैसे जिस समय होना है होकर रहेगा फिर बच्चों की शादी में जन्मपत्री का क्या काम है।

हम दृष्टांत कोई पौराणिक कथाओं का नहीं देना चाहते लेकिन जो हम लोगों के साथ अक्सर बीत ती है उस पर हमें गौर करना चाहिए।

क्या देश की जो जनता है उसमें हर कोई जन्म पत्रिका मिलाकर ही शादी करता है “नहीं” हमारे समाज में ही मात्र 30/ से 40/ परसेंट तक ही लोग जन्मपत्री मिलाते होंगे इससे अधिक कदापि नहीं फिर क्या जो लोग जन्मपत्री नहीं मिलाते क्या उनके संबंध चलते नहीं -जन्मपत्री मिलाने वालों से अधिक अच्छे चलते हैं जिस समाज मे जन्म पत्री नही मिलाई जाती जैसे मुस्लिम समाज में, इंसाई समाज में, वैष्णव समाज में या देहात क्षेत्रों में शादियां नहीं होती क्या वहां रिश्ते नहीं निभते।

आज हमें लड़की पसंद है जन्मपत्री नहीं मिली हम दर-दर भटक रहे पर रिश्ता नहीं हो पा रहा लड़का पसंद है लेकिन जन्मपत्री नहीं मिल रही हमें जन्मपत्री पर नहीं अपनी कर्म पत्री पर विश्वास करना चाहिए

मैं आप लोगों को एक सच्चा वाकिया सुनाता हूं एक साहिबान जिनको जन्मपत्री पर विश्वास नहीं था लेकिन लड़की वालों के आने पर उनके मुंह से अक्स मात निकला कि क्या आप जन्मपत्री लाए हैं लड़की वाले बोले हां लाए हैं उन्होंने जन्मपत्री लड़के वालों को सौंप दी लड़के वाले जन्मपत्री लेकर पंडित जी के पास पहुंचे पंडित ने मना कर दिया कि लड़की 6 माह के अंदर विधवा हो जाएगी संबंध नहीं हुआ अगला संबंध जब फिर से उनके यहां पहुंचा तो लड़के वालों ने जन्मपत्री की बात भी नहीं चलाई और लड़की देख कर संबंध कर दिया आज उनकी गृहस्थी फल फूल रही है लेकिन वह लड़की 6 माह के अंदर ही विधवा हो गई थी क्योंकि इस लड़के की उम्र छीण ही नहीं थी तो यह विवाह होता कैसे इसलिए मेरा कहना है सिर्फ परिवार देखिए लड़के लड़की को पसंद कीजिए और संबंध कीजिए समाज को गर्त में जाने से बचाइए

आज हमारे साधु संत भी समाज की स्थितियों को देखते हुए जन्मपत्री को दूर करने की बात बोल रहे हैं

आप जैन हो कर सिर्फ एक ही सिद्धांत को मानिए कि जो जब जैसे होना है होकर रहेगा उसे आप टाल नहीं सकते चाहे जन्मपत्री किसी भी पंडित से क्यों ना मिलवा लें होना वही है जो हमने कर्मों के द्वारा लिख रखा है!!
–सोशल मीडिया पर आई एक पोस्ट से