09 फरवरी 2023/ फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/जनकपुरी
जनकपुरी। सी-2ए ब्लाक जनकपुरी स्थित प्राचीन कलाकृति से परिपूर्ण त्रय शिखर निर्मित जिन मंदिरजी में श्री मज्जिनेन्द्र 1008 ऋषभदेव जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव 27 जनवरी से 01 फरवरी तक राष्ट्र गुरु परम्पराचार्य 108 श्री प्रज्ञ सागरजी मुनिराज की दिव्य देशना एवं मार्गदर्शन में हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुए। भगवान मल्लिानथ एवं भगवान नमिनाथ की मनमोहक नविनिर्मित वेदी पर प्रतिष्ठित हुए। तीन शिखर वाले इस भव्य मंदिरजी में भव्यातिभव्य निर्वाणकांड में वर्णित सिद्ध क्षेत्र की सम्पूर्ण मनोहारी रचना की गई है। पंचकल्याणक की सभी क्रियाएं भारती कॉलेज जनकपुरी के पास दशहरा ग्राउंड में सम्पन्न हुई। मुनि श्री प्रथमानंद जी एवं क्षुल्लिका प्रयागमती माताजी, मूडबद्री भट्टारकजी का भी सान्निध्य प्राप्त हुआ। प्रतिष्ठाचार्य पं. श्री अरवनिंद जैन आदर्श रोहिणी, पं. सतीश शास्त्री सरल दिल्ली थे तो संगीतकार श्री केशव एंड पार्टी भोपाल तथा मंच संचालन श्री उमेश जैन भिंड ने कुशलता पूर्वक किया।
पंचकल्याणक महोत्सव में माता-पिता बनने का सौभाग्य सुशील जैन-वीना जैन, सौधर्म इन्द्र पंकज जैन-अंजलि जैन, कुबरे रोहन जैन-सुप्रिया जैन, महायज्ञनायक सचिन जैन – स्वाति जैन, ईशान इन्द्र विजय जैन-उर्मिल जैन, सानत इन्द्र सचिन जैन – शिखा जैन, शुक्र इन्द्र आशीष जैन – सरिता जैन, प्राणत इन्द्र मितेश जैन-स्वाति जैन, लान्तव इन्द्र अजय जैन-जयमाला जैन, सतार इन्द्र राजकुमार जैन – सुनीता जैन, बह्म इन्द्र राजेश जैन – अंजू जैन, अच्युत इन्द्र अतुल जैन – इंदु जैन, राजा श्रेयांस भीम जैन- कविता जैन, राजा सोम कपिल-सारिका जैन, नीलांजला कु. युक्ति – कु. सौम्या जैन व भगवान की बुआ अंजलि जैन, चक्रवर्ती भरत – आदित्य जैन, बाहुबली – शुभम जैन, ब्रह्मी – कु. युक्ति जैन, सुंदरी- कु. स्वाति जैन तथा अष्ट कुमारियां कु. नवधा जैन, श्रेष्ठा जैन, अनन्या जैन, मानसी जैन, श्रुति जैन, मनी जैन, स्वर्णा जैन, स्वस्ति जैन, अखंड सौभाग्यवती – निधि जैन, अंतिमा जैन, अमिता जैन, सौम्या जैन, इन्दु जैन, शिखा जैन, जयमाला जैन, एकता जैन, कविता जैन आदि लोगों ने पात्र बनने का सौभाग्य प्राप्त किया।
ध्वजारोहण करने का सौभाग्य डॉ. कैलाश जैन- प्रभा जैन जनकुपी, विधिनायक प्रदाता श्री सेठ धर्म चन्द परिवार रहे। आचार्य श्री ने प्रतिदिन कल्याणकों पर विशेष मंगल प्रवचन किये तथा पंचकल्याणक क्रियायों से अपने में विशुद्धि बढ़ाने का आह्वान किया।
27 जनवरी : गर्भ कल्याणक पूर्वार्ध – आचार्य श्री को पंचकल्याणक एवं मंदिर कमेटी ने श्रीफल भेंट कर गुरु आज्ञा ली, प्रतिष्ठाचार्य निमंत्रण, तीर्थ मंडल पूजन, घटयात्रा आदि निकाली गई। तत्पश्चात् पांडाल में ध्वजारोहण, पंडाल उद्घाटन, चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वल, भूमि शुद्धि, वेदी शुद्धि व आचार्य श्री के मंगल प्रवचन हुए। प्रतिदिन पूजन, इन्द्र प्रतिष्ठा, मंडप प्रतिष्ठा आदि सम्पन्न हुआ। दोपहर की सभा में सौधर्म इन्द्र दरबार में सिंहासन कंपायन, कुबेर आगमन, माता की सेवा, सोलह स्वप्न आदि का मंचन किया गया। प्रथम दिवस वात्सल्य भोजन के पुण्यार्जक श्रीमती मोनिका जैन-राजन जैन परिवार रहा।
28 जनवरी : गर्भ कल्याणक उत्तर रूप – प्रात: नित्य क्रियाएं के बाद दोपहर में सीमंतनी क्रिया, गोद भराई तथा श्री केशव एंड पार्टी भोपाल व रंगमंच कलाकार उमेश जैन भिंड द्वारा किया गया। नवीन वेदी शुद्धि, वेदी संस्कार किये गये। महाराज नाभिराय का दरबार लगा, स्वप्नों का फल आदि का मंचन हुआ। इस दिन के भोजन पुण्यार्जक श्रीमती रीना जैन – विक्रम जैन परिवार रहा।
29 जनवरी : जन्मकल्याणक – सभा में चित्र अनावरण कर्ता श्री दिगम्बर जैन पश्चिमी महासभा के अध्यक्ष श्री सुनील जैन, महामंत्री श्री विनोद कुमार जैन, दीप प्रज्ज्वलनकर्ता श्री महेश जैन नारांग कॉलोनी रहे। आचार्य श्री प्रज्ञ सागरजी ने मंगल प्रवचन में कहा कि जन्म कल्याणक ऐसा कल्याणक है जिसमें जिसका जन्म होता है, उसका कल्याण तो होता ही है, साथ ही उनके जन्म कल्याणक में जो अनुमोदना करने आ जाता है, उसका भी कल्याण हो जाया करता है। तीर्थंकर की चाहे बाल्यवस्था हो चाहे अरिहन्त अवस्था, किसी भी अवस्था से जो भी जीव किसी भी रूप में जुड़Þता है उसका कल्याण हो जाया करता है। कमठ का जीव का साक्षात उदाहरण आपके सामने है। दस भवों तक वह बैर करता रहा और फिर उसका उद्धार हो ही गया। जब तीर्थंकर बालक का जन्म होता है, चारों ओर खुशियां छा जाती हैं। जब गर्भगृह से शचि इन्द्राणी तीर्थंकर बालक को लेकर आती है, तो उसका स्पर्श करते ही वह अंतमुहूर्त में सम्यक दर्शन को प्राप्त करती है और एक भवतारी हो जाती है। सौधर्म इन्द्र तीर्थंकर बालक की छवि को अपने एक हजार नेत्रों से निहारता है, लेकिन फिर भी उसकी तृप्ति नहीं हो पाती। सुमेरु पर्वत की पांडुक शिला पर सहपरिवार चारों प्रकार के देवों के साथ वह धूमधाम के साथ तीर्थंकर बालक को ले जाता है और वहा जन्माभिषेक होता है। जन्म कल्याणक के पावन दिवस पर नगर में जुलूस के साथ इन्द्र देवता भी खुशियां मना रहे हैं, धीमी-धीमी फुव्वार के बीच सौधर्म इन्द्र व सुंदर झांकियां बैंडबाजे जुलूस की शोभा बढ़ा रहे थे। हल्की फुहार से ऐसा प्रतीत हुआ कि सचमुच इन्द्र देवता आकर तीर्थंकर बालक के जन्म की खुशियां मना रहा था।
जन्माभिषेक में प्रथम कलश करने का सौभाग्य कुशल जैन – रीना जैन परिवार को प्राप्त हुआ। पांडुकशिला को बड़ौत के कलाकारों ने बहुती ही सुंदर रूप से बनाया। पांडुकशिला के पीछे शिखरबंद मंदिरों, भगवान महावीर स्वामी तथा देवियों का मनोरम चित्रण झांकी के रूप में प्रदर्शित किया गया।
30 जनवरी : तप कल्याणक – प्रात: कल्याणक पूजन, हवन प्रवनच के पश्चात् दोपहर की सभा में महाराजा नाभिराय का दरबाल लगा। आदिकुमार का राज्याभिषेक, राज्य संचालन, असि-मसि-कृषि का प्रदर्शन, नीलांजला नृत्य से वैराग्य, भरत-बाहुबली को राज्य सौंपना, लोकांतिक देवों द्वारा वैराग्य स्तुति, दीक्षा वन प्रस्थान प्रदर्शित किया गया। रात्रि में डॉ. कमलेश जैन बसन्त राष्ट्रीय कवि के संचालन में वृहद कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ जिसमें मशहूर हास्य कवि सरदार प्रताप फौजदार, डॉ. राहुल जैन जैन दर्शन, गौरव चौहान राष्ट्रीय वीररस, सुश्री सोनल जैन स्वर कोकिला, कुशल कुशवाह, गीताकर पैरोडी, विक्की सास्त्री जैन दर्शन व गीत आदि ने उपस्थित श्रोताटों को अपने कविरस से मंत्रमुग्ध कर दिया। पंचकल्याणक समिति ने सभी कवियों का तिलक, पटके शील्ड भेंट कर सम्मानित किया। तीसरे दिन के भोजन पुण्यार्जक श्री राजीव जैन सुपुत्र स्व. श्री डी.डी. जैन परिवार रहे।
31 जनवरी : ज्ञान कल्याणक – नित्य पूजन, हवन सम्पन्न हुआ। राजा श्रेयांस, भ्राता श्री सोमप्रभ लक्ष्मीमती को जाति स्मरण से नवधा भक्तिपूर्वक तीर्थंकर महामुनिराज आदिनाथ का पड़गाहन एवं इक्षु रस के रूप में प्रथम आहार कराया। दोपहर को नयनाभिराम प्राण प्रतिष्ठा, सूरि मंत्र क्रियाएं आचार्य श्री द्वारा सम्पन्न की गर्इं। समोशरण में विराजमान आचार्य श्री – मुनि श्री के दृश्य को देखकर हर कोई गदगद था। गणधर के रूप में आचार्य श्री प्रज्ञ सागरजी मुनिराज का उद्बोधन हुआ, उन्होंने सभी प्रश्नों के उत्तर दिये। उन्होंने अपनी दिव्य देशना में बताया कि संसार में जो जीव है, वह मिथ्यात्व – अज्ञानता- कषाय के कारण अनादिकाल से भ्रमण कर रहा है और अनन्त दुखों को सह रहा है। बिना सम्यकदर्शन के यह जीव संसार में भ्रमण करता रहता है, कर्मों को बांधता है और चारों गतियों में दुख ही दुख उठाता है। दो प्रकार का संसार है एक द्रव्य तो दूसरा भाव। द्रव्य संसार में चारों गतियां – नरक, तिर्यंच, मनुष्य, देव गति आती हैं तो भाव संसार में राग, द्वेष, मोह हुआ करते हैं। जब तक हम अपने अंदर से इनका विसर्जन नहीं करते तब तक हमारा द्रव्य संसार भी नहीं छूटता।
रात्रि सभा में स्वर सम्राट रूपेश जैन ने भजन संध्या से सबका मन मोह लिया। दर्शक उनके भजनों पर नृत्य करने लगे। पंचकल्याणक समिति ने श्री रूपेश जैन का अभिनंदन किया। चौथे दिवस के भोजन पुण्यार्जक श्रीमती अंजुली जैन – पंक जैन – रिया जैन रहे।
01 फरवरी : मोक्ष कल्यणक – प्रात: भगवान आदिनाथ की पूजा, निर्वाण कल्याणक पूजन, हवन क्रियायें सम्पन्न हुई। भगवान जी का मोक्ष गमन हुआ। अग्नि कुमार देवों द्वारा निर्वाण कांड किया गया। सभी जिनबिम्बों को दातार अपने मस्तक पर रखकर विधिपूर्वक नवीन वेदियों में विराजमान किया।
प्रधान श्री राजेन्द्र जैन व उपप्रधान श्री राजेश जैन एलआईसी वालों ने बताया कि यहां पर सभी जनकपुरी वासियों की भावना हुई थी कि यह ऐसा पावन त्रयशिखर वाला पावन मंदिर बनना चाहिये। उनकी भावना को साकार करते हुए यहां दो और वेदियों का निर्माण हुआ। पहले मूलनायक श्री महावीर स्वामी भगवान तो विराजमान थे ही अब उनके दोनों तरफ एक-एक और नवीन वेदी में भगवान मल्लिनाथ और भगवान नमिनाथ को विराजमान कर समाज का सपना आज साकार हो गया है। मंदिरजी के भवन में भव्य ख्याति निर्वाण कांड में वर्णित सिद्ध क्षेत्रों की सम्पूर्ण मनोहारी रचना की गई है।
सम्पूर्ण पंचकल्याणक समिति के सदस्यों का तन-मन-धन से सहयोग मिला। इसके अलावा सी-2ए जनकपुरी की वर्धमान महिला मंडल, श्री एस.एस. जैन सभा, श्री सौभाग्य संस्कार संगठन, स्याद्वाद क्लब, धर्म जागृति मंडल उत्तम नगर, संत सेवा समिति दिल्ली प्रदेश, जनकपुरी धार्मिक और सामाजिक महासंघ, अहिंसा यात्रा संघ, विवेकानन्दपुरी, चिन्तामणि पार्श्वनाथ संघ जनकपुरी समेत पंचकल्याणक में आसपास के सभी समाजों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। वयोवृद्ध श्रीमती कैलाशवती जैन (99 वर्ष) अपने धर्म कार्य में है, समिति द्वारा पंचकल्याणक में उनका सम्मान किया गया। प्रधान श्री राजेन्द्र जैन व उपप्रधान श्री राजेश जैन ने सभी सहयोगियों का धन्यवाद प्रेषित किया है।