13 दिसंबर 2023 / मार्गशीर्ष शुक्ल एकम/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
आगामी रविवार, 17 दिसंबर, हर किसी को अपने अपने क्षेत्र में, मुख्य रूप से, दिल्ली के रामलीला मैदान पर , तीर्थ बचाओ, धर्म बचाओ, के नारे के साथ , एक जन आंदोलन करना है।
सभी के वंदनीय आचार्य श्री विद्यासागर जी के परम आशीर्वाद से, आवाज है यह आचार्य श्री सुनील सागर जी की, आवाज है यह मुनिश्री सुधा सागर जी की,मुनि श्री प्रमाण सागरजी, आवाज है यह आचार्य श्री कुंथुसागर जी , श्री आचार्य श्रीगुणधर नंदी जी की, आज आवाज है यह आचार्य पुष्पदंत सागर जी, आचार्य श्री प्रसन्न सागरजी, आचार्य श्री पुलक सागर जी, आचार्य श्री सौरभ सागर जी की आवाज है यह मुनि श्री संभव सागर जी, मुनि श्री अक्षय सागर जी, मुनि श्री विनम्र सागरजी,मुनि श्री आदित्य सागर जी की आवाज है यह , आचार्य श्री विराग सागर जी, आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी, मुनि श्री प्रणम्य सागर जी की, आचार्य देवनंदी, आचार्य श्री गुप्तिनंदी जी,आचार्य श्री प्रज्ञा सागर जी , आचार्यश्री अनेकांत सागर जी, आचार्य श्री अतिवीर जी,आचार्य निर्भय सागर जी, आचार्य सौभाग्य सागर जी, आचार्य श्री भारत भूषण जी, गणानी आर्यिका श्री ज्ञान मति माताजी, सुप्रकाश माताजी, विद्याश्री माताजी, स्वस्ति भूषण माताजी, सौभाग्य मति माताजी और 1800से ज्यादा दिगंबर संत ही नहीं, बीस हजार से ज्यादा श्वेताम्बर संतो की। यह आवाज विश्व जैन संगठन या चैनल महालक्ष्मी की ही नही हर कमेटी की है, आपकी भी है।
क्यों भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात हो रहा है ?
क्यों जैन तीर्थों से छेड़छाड़, बदलाव हो रहा है ,चाहे वह गिरनार जी रहा हो, या चाहे उदयगिरि, खंडगिरि, मंदार गिरी हो, चाहे वह गोमट गिरी हो, ऐसे एक नहीं आज , अनेकों तीर्थ की कतार बन गई है ।
जहां बदलावों की चेष्टा अब होने लगी है, सबको एकजुट होना है । भारत का वैभव , उसकी प्राचीन संस्कृति से पहचाना जाता है और जैन संस्कृति, इस भारत को ही नहीं, पूरे विश्व को अनमोल देन है। उसका बदलाव कर, न केवल भारत की संस्कृति से छेड़छाड़ है , बल्कि जैन समाज की धार्मिक क्रियाओं से, संस्कृति से, परंपराओं से भी, गंभीर कुठाराघात है, जिस पर सट्टा प्रशासन पुलिस को रोकने के लिए उचित कार्यवाही करनी चाहिए बल्कि ऐसी कोई कोशिश भी ना हो, इस बारे में कड़े कदम भी उठाने चाहिए ।
आज इसीलिए जैन समाज आंदोलन को मजबूर हो रहा है । आज, आजाद भारत के अल्पसंख्यक में भी अति अल्पसंख्यक, जैनों के तीर्थों पर छेड़छाड़ होती है, कल आपके तीर्थ पर भी हो सकती है। यह बात जैन धर्म नहीं, बौद्ध धर्म, सिख धर्म , यहां तक कि हिंदू धर्म के लिए भी लागू होती है ।
किसी तीर्थ से, किसी के पुरातन से, किसी के इतिहास से , कोई छेड़छाड़ ना हो। इसलिए सबको एकजुट होकर, आगे आना होगा तीर्थों को बचाना होगा। अपने-अपने धर्म की सुरक्षा करने के लिए, हर को सहयोग देना होगा। 17 दिसंबर, रविवार, अपने-अपने क्षेत्र में सांसदों के निवास के आगे अपनी आवाज अहिंसात्मक रूप से शांति के साथ उठाएं, अपने ज्ञापन दीजिए कि किसी भी तीर्थ से छेड़छाड़ नहीं हो। अब घर नहीं बैठना, 17 दिसंबर को हमें इस जन आंदोलन से जुड़ना है।
यही संतों की आवाज है , यही पूरे सकल जैन समाज की , धार्मिक समाज की आवाज है। चैनल महालक्ष्मी को आप अपनी इस तरह आंदोलन की फोटो वीडियो व्हाट्सएप 9910690823पर जरूर भेजे । अपने जगह , व स्थान के साथ, एक विवरण के साथ वीडियो बनाकर हम देश के सभी सांसदों तक उसको पहुंचने का पूरा प्रयास करेंगे। यह आवाज जन जन की , संसद तक जरूर पहुंचनी चाहिए।