6 जनवरी 2022/ पौष शुक्ल पूर्णिमा /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /-
हस्तिनापुर तीर्थ के संदर्भ में whatsapp पर एक वीडियो देखने में आया। इस बारे में सभी को यह बताना है कि जंबूद्वीप तीर्थ अपनी विशिष्ट रचनाओं और अतिसुन्दर बनावट के कारण आज विश्वविख्यात जैन तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध है। इस तीर्थ को देखने का जैन-अजैन सभी जनमानस में विशेष आकर्षण रहता है। इसी के चलते 1 जनवरी 2023 को नये साल के मौक़े पर जंबूद्वीप तीर्थ को देखने के लिए दस से बीस हज़ार लोग हस्तिनापुर पहुँचे। पिछले कोरोना काल के बाद यह एक अप्रत्याशित भीड़ हुई।
प्रातः 11 बजे तक जंबूद्वीप तीर्थ पर कोई विशेष यात्री-संख्या नहीं थी लेकिन धीरे-धीरे अचानक भीड़ बढ़ती गयी, जिसको उचित नियंत्रण के साथ जंबूद्वीप के पदाधिकारियों और स्टाफ ने बखूबी सम्भाला। अधिक से अधिक लोगों को व्यवस्थित दर्शन लाभ मिले, इस दृष्टि से मध्याह्न 2 बजे प्रवेश द्वार को कुछ देर के लिए बंद किया गया। उपरांत दूसरे गेट से यात्रियों को बाहर निकालकर पुनः मुख्य प्रवेश द्वार से क्रमशः प्रवेश दिया गया। इसी मध्य यदि किन्हीं जैन यात्रियों को बाहर इंतज़ार करने में तकलीफ़ हुई है तो उसके लिए हम खेद व्यक्त करते हैं।
दिन-प्रतिदिन जंबूद्वीप तीर्थ की बढ़ती प्रसिद्धि को देखते हुए दर्शनार्थियों के आवागमन के अनुरूप आगे से इस प्रकार के विशेष अवसरों पर कमेटी द्वारा अतिरिक्त स्वयंसेवक, सिक्योरिटी गार्ड एवं बैरिकेटिंग आदि विशेष व्यवस्थाओं का प्रबंध भी किया जायेगा। साथ ही सभी को यह भी विदित कराना है कि जंबूद्वीप तीर्थ की धार्मिकता, पवित्रता और शुद्धि का पिछले 50 वर्षों में सदैव ध्यान रखा गया है और आगे भी रखा जाएगा। मंदिरों में कोई भी जूते-चप्पल पहनकर ना कभी गया है और ना ही जाता है, अतः ऐसी ग़लत अफ़वाह पर विश्वास ना करें।
कृपया यह भी ध्यान रखें, हस्तिनापुर कहीं से कहीं तक कोई पर्यटन स्थल नहीं है बल्कि आज जंबूद्वीप तीर्थ के कारण हस्तिनापुर को पूरे देश-दुनिया में जाना जा रहा है। ये केवल 1 किमी का अत्यंत छोटा-सा क़स्बा है, जहाँ ना तो कोई रेल सुविधा है, ना कोई होटल है, ना कोई विशेष मार्केट है, ना कोई ख़ास सुविधाएँ हैं और ना ही कोई अन्य दर्शनीय या आकर्षण के स्थान हैं। लेकिन जंबूद्वीप जैसे जैन समाज के इस गौरवशाली तीर्थ को देखने के लिए शासन-प्रशासन और देश-विदेश से इस तीर्थ की विशिष्ट ख्याति के चलते यहाँ राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमन्त्री, मंत्रीगण तथा जैन भूगोल को जानने-सीखने और जैन धर्म में शोध करने के लिए विदेशी रिसर्च स्कॉलर्स आदि भक्तों, श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आगमन सतत होता रहा है।
यहाँ यह भी समझना आवश्यक है कि सम्मेदशिखर तीर्थ की अपेक्षा जंबूद्वीप तीर्थ का विषय बिलकुल पृथक् है। इसे आपस में जोड़ा ना जाए और कोई दिग्भ्रमित भी ना होवे। जहाँ तक प्राप्त जानकारी के अनुसार 1 जनवरी 2023 को प्रायः अनेक विशेष तीर्थों पर अतिरिक्त भीड़ हुई है जिसके कारण जैन यात्रियों को कुछ असुविधाओं का सामना भी करना पड़ा है। इसलिए कोई भी असुरक्षा का भाव महसूस ना करें, यही सभी से कहना है।
-डॉ. जीवन प्रकाश जैन, प्रबन्ध मन्त्री-जंबूद्वीप जैन तीर्थ, हस्तिनापुर