भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जैन वीरों का योगदान
सन् 1857 की जनक्रान्ति से प्रारम्भ हुआ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सन् १९४७ ई. तक चलता रहा। ९० वर्षों की इस आजादी की लड़ाई में अनेक जैन देशप्रेमियों ने जेलों की यातनाएँ सहीं, पुलिस के डंडे की मार सही एवं अन्त में हँसते—हँसते मौत को गले लगाकर शहीद होने का गौरव प्राप्त किया। यद्यपि हमारा जैनधर्म अहिंसा प्रधान है। दयावृत्ति को धारण करने वाला जैन श्रावक एक चींटी को भी नहीं मारता, किन्तु राष्ट्र के सम्मान पर जब—जब आँच आई, तब—तब जैन धर्मावलम्बी कभी पीछे नहीं रहे। भारत की आजादी के आन्दोलन में अनेको जैन शहीदों ने अपना बलिदान देकर तथा लगभग 5000 जैन पुरुष—महिलाओं ने संघर्ष करते हुए जेल जाकर आजादी के मार्ग को प्रशस्त किया। इनमे से कुछ का विवरण इस प्रकार है |
क्र– नाम – शहीद के
१. लाला हुकुमचन्द जैन, कानूनगो, हाँसी, जिला—हिसार (हरियाणा) – १९ जन. १८५८
२. फकीरचन्द जैन, उम्र—१३ वर्ष, हाँसी, जिला—हिसार (हरियाणा) – १९ जन. १८५८
३. अमरचन्द बांठिया जैन, जिला—ग्वालियर (म. प्र) – २२ जून, १८५८
४. मोतीचन्द शाह जैन, सोलापुर (महा.) – मार्च, १९१५इनकी अंतिम दो इच्छाएँ थीं—१. मुझे जैन मंदिर के दर्शन कराये जायें।२)मुझे नग्न दिगम्बरअवस्था में फाँसी दी जाये।
५. सिंघई प्रेमचन्द जैन, सेमरा बुजुर्ग, जिला—दमोह (म. प्र) – ९ मई, १९४१
६. साताप्पा टोपण्णावर, ग्राम—कड़वी, शिवापुर बेलगाँव (कर्ना.) – १५ अगस्त, १९४२
७. वीर उदयचन्द जैन, महाराजपुर, जिला—मण्डला (म. प्र.) – १६ अगस्त, १९४२
८. साबूलाल जैन बैसाखिया, उम्र—१९ वर्ष, ग्राम. गढ़ाकोटा, सागर (म.प्र.) – २४ अगस्त,१९४२
९. नाथालाल शाह जैन, ग्राम—रामपुर, अहमदाबाद (गुज.) – ९ नवम्बर, १९४३
१०. कु. जयावती संघवी जैन, अहमदाबाद (गुज.) – ५ अप्रैल, १९४३
११. अण्णा पत्रावले, जैन, उम्र—१७ वर्ष, हातकणंगळे, जिला—सांगली (महा.) – २४ जुलाई, १९४३
१२. मगनलाल ओसवाल, जावरा (म. प्र.) – २३ दिस., १९४५
१३. भूपाल अणस्कुरे जैन, ठिकपुर्ली, कोल्हापुर (महा.) – सन् १९४५
१४. वंधीलाल जैन, सिलौंड़ी, जिला—जबलपुर (म. प्र.) – १५ सित. १९३०
१५. मुलायमचन्द जैन, जबलपुर (म. प्र.) – सन् १९४२
१६. चौ. भैयालाल जैन, दमोह (म. प्र.)
१७. चौथमल भण्डारी, कायथा, जिला—उज्जैन (म. प्र) -२२ जुलाई, १९४३
१८. भूपाल पण्डित जैन, हैदराबाद (आंध्रप्रदेश)
१९. भारमल जैन, ग्राम मुरगुड़, जिला—कोल्हापुर (महा.) – १३ दिस., १९४२
२०. हरिश्चन्द दगडोवा, मानवत, जिला—परभणी (महा.) – सन् १९४६
इन सभी वीर शहीदों के साथ ही हम नमन करते है एवं श्रद्धा सुमन अर्पण करते हैं.
-साभार-बुन्देलखण्ड जैन समाज संगठन