कर्नाटक सरकार ने CM पैकेज से इमाम माँजन को Rs.3000 देने की घोषणा की है. जैन समाज के पंडितों को क्यू नहीं मिलना चाहिए मदत? जैन समाज के आधा से भी ज्यादा पंडित परिवार गरीब रेखा के निचे वाले है. ऐसे परिस्थितियों में पंडित कैसे बचेंगे जैन समाज में? इसके बारे में किसी का ध्यान है? जैन समाज के आधे से ज्यादा पंडितों की महीने के आमदनी Rs.15000 से भी कम है. इतने कम आमदनी लेकर कोन पंडित का काम करना चाहेगा? आज के जैन धर्म के पंडितों का वास्तव स्थिति ऐसी है, कोई भी पंडित अपने बच्चों को पंडित बनाना नहीं चाहते है. ऐसे ही स्थिति रही तो अगले 10-15 साल में जैन धर्म के पंडित पुरे ख़तम हो जाएंगे!
दुसरी तरफ कर्नाटक सरकार की तरफ से हर साल 11 हज़ार से भी ज्यादा इमाम और मुझेन को पैसे दिया जाता है. अब तक कर्नाटक सरकार से Rs.130 करोड़ से भी ज्यादा पैसा मस्जिद के इमाम, माँजन को दिए है. क्या सिर्फ मुस्लिम ही अल्पसंख्यक है, बाकि अल्पसंख्यक के लोग क्या भिक मांगना चाहिए? वैसे तों वास्तव में अल्पसंख्यक धर्म तों जैन धर्म ही है. परन्तु वोट बैंक की राजनीति की वजैसे जो वास्तव में अल्पसंख्यक है उनको सरकार पूरी तरह से नजर अंदाज किया है.
अल्पसंख्यक धर्म की सहायता और सुरक्षा का जिम्मेदारी सरकार की होती है परन्तु, संस्कृति, राष्ट्र और धर्म विरोधी राजनेता अपने वोट बैंक के चक्कर में पूरा राष्ट्र के संस्कृती, राष्ट्र और सनातन धर्म को सर्वनाश करने में लगे हुवे है.
दुसरी तरफ आज तक जो जैन समाज को जो नेतृत्व मिला है, ज्यादा तर नेतृत्व करने वाले समाज के भलाई से ज्यादा धर्म के हानी करने वालों की हात में गया है. जिनके हात में कुछ करने क्षमता है ओ लोग धर्म के भलाई से ज्यादा सरकार से खुद के भलाई के उपर ध्यान दिए है और सरकार से खुद के सब काम करवाके लिये है…..
जैन समाज के पंडितों को भी सरकार हर महीने कम से कम Rs.12000 रूपए की सहायता करना चाहिए. इसके लिए बजट से पाहिले सरकार को पत्र भी लिखा गया था, परन्तु सरकार कोई निर्णय नहीं लिया है. इसलिए जैन धर्म के सभी लोगों का ये कर्तव्य है, सरकार के उपर दबाव बनाकर जैन धर्म के पंडितों को न्याय दिलाना चाहिए……
महेश जैन, कार्याध्यक्ष युवा महासभा, कर्नाटक राज्य
श्री भारतवर्षीय दिगंबर जैन महासभा, दिल्ली.