जैन समाज की इकलौती महिला मेट्रो लोको पायलट ने पांच वर्षों में एक लाख किलोमीटर से अधिक मेट्रो ट्रेन चलाकर बनाया अनोखा रिकॉर्ड

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जैन समाज की इकलौती महिला मेट्रो ट्रेन ऑपरेटर (लोको पायलट) ने आज पांच साल पूरे किए। श्रीमती कविता मंजय्या जैन सागर ने पिछले पांच वर्षों में एक लाख किलोमीटर से अधिक मेट्रो ट्रेन चलाकर एक अनोखा रिकॉर्ड बनाया है।

कर्नाटक की मालनाड झील में गरजा सागर काव्य सागर तालुक में जन्मा है, जो हर रोज हरियाली के हरे-भरे जंगलों से घिरा है। कृषि परिवार के श्री नील कुमार और श्रीमती सुमित्रा दंपति राजकुमारी के रूप में बड़े होकर उजीरे एसडीएम कॉलेज में तकनीकी शिक्षा प्रदान की। इसके बाद कविता ने गुरु बड़ों के सामने एक सागर मंजय्या से विवाह किया। दाम्पत्य जीवन की लहर में मस्ती के पल बिताए मंजय्य दंपति को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

बाहुबली टेक्निकल कॉलेज, श्रवणबेलागोला, जैन धर्म के एक महान निर्वाचन क्षेत्र में उन्होंने अपने कैरियर में गाया। इस नौकरी के बीच बेंगलुरु मेट्रो रेलवे डिवीजन ने प्रोफेशनल सीईटी परीक्षा पास की। इसी के परिणामस्वरूप, उन्होंने 16 दिसंबर 2016 को मेट्रो रेल में एससी/टीओ (स्टेशन कंट्रोलर और ट्रेन ऑपरेटर) के रूप में अपने कैरियर में नई कहानी लिखना शुरू किया। जैन समाज की इकलौती महिला पायलट होने की क्षमता रखती है।

कविता मंजय्या जैन सागर ने बी. एम. आर सी सर्वश्रेष्ठ लोको पायलट (ट्रेन ऑपरेटर) पुरस्कार जीता है।

अखिल कर्नाटक महिला संघ ने उनका गौरव से सम्मान किया है।
कर्नाटक जैन एसोसिएशन सहित कई जैन संगठनों ने मान्यता दी और सम्मानित किया।

कविता मंजय्या भविष्य में सफलतापूर्वक उपलब्धि के मार्ग पर अग्रसर हो और अपने कैरियर में अपनी अनन्य सेवा दे। इस लेखक की इच्छा सामाजिक रूप से सिद्धियों की उपलब्धियों के लिए प्रेरणा बनकर चमकना है।

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