जैन तीर्थो की समस्याएं – समस्या का समाधान- पदाधिकारियों की जिम्मेदारी

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बंधुओं आज हमारे जितने भी तीर्थ स्थल है, उनमे से अधिकतर सुनसान या अजैन समाज के बीच में है या कालांतर में हो गए हैं, जहाँ जाने के रास्ते संकीर्ण है, बस या बड़ी कार जाने में परेशानी होती है।
कई क्षेत्रों में भोजन या चाय नाश्ते की व्यवस्था या रुकने की व्यवस्था नही हो पाती।
कुछ क्षेत्रों में मुख्य कर्मचारी अजैन है।

समस्या का समाधान जैन यात्रियों द्वारा
1 यात्रियों की सतर्कता।
2 यात्री समूह में यात्रा करे।
3 क्षेत्रो में केवल क्षेत्र के भोजनालय में भोजन करे। चाय नाश्ता करे भले ही वो महंगा या कम स्वादिस्ट ही क्यों न हो।
4 भिखारियों को भीख या खाने पीने का सामान बिलकुल न दे।
5 क्षेत्र में बाजार की किसी भी दुकान चाहे उसमे जैन धर्म का नाम या भगवन का नाम क्यों न लिखा हो बिना परखे कि वो जैन है कुछ भी न ख़रीदे। आप अपनों को उपहार देने के चक्कर में कई गलत लोगो को बढ़ावा दे देते है।।
6 अपने लोगो का ध्यान रखे।
7 यात्रा करते समय किसी से भी व्यर्थ विवाद न करे।
8 परेशानी होने पर तुरंत क्षेत्र के पदाधिकारियों को सूचित करे।
9 अपने खाने पीने का सामान लेकर चले, संयम से रहे। फालतू ख़रीदी और खाने पीने का सामान क्षेत्र के आजु बाजु की अजैन लोगो से न ले तथा वाहन का इंतजार किसी अनजान जगह में बैठकर न करे।
10 जो भी सामान लेना हो वह क्षेत्रो के पहले आने वाले नगर या बस्ती से लेवे, क्षेत्र में नही लेना।

अब क्षेत्रो के पदाधिकारियों की जिम्मेदारी
1 आप अपने क्षेत्र में जैन मैनेजर रखे।
2 भोजन की या अल्पाहार की आपातकालीन व्यवस्था करे।
3 यात्रियों को जोखिम के लिए सावधानी रखने कहे।
4 अपने क्षेत्र के सम्बंधित पुलिस अधिकारी डीएम एसपी या बड़े नेता से सदा संवाद रखे।
5 किसी भी अप्रिय घटना होने पर तन मन धन से उसे निपटाये और दुबारा न हो ऐसा सबक सिखाये।
6 आप समय समय पर क्षेत्रो में जाये और समस्याओं को हल करे।
7 किसी बड़े शहर के पास तीर्थ है तो वे बस स्टैंड रेलवे स्टेसन के पास तीर्थ की दुरी तथा जाने के साधन और हेल्प लाइन नम्बर को होर्डिग में दे।
8 सभी क्षेत्रो की कमेटी एक दूसरे से जुडी रहे और सहयोग करे।यात्रियों को आगे जाने के मार्ग और वहाँ की व्यवस्थाओं की जानकारी दे।

– सचिन जैन, बड़ौत