जैन समाज का राजनीतिक अस्तित्व – अपना अस्तित्व स्वयं दर्शाएं, एकता के सूत्र में बंधकर जैन प्रत्याशियों का करें समर्थन , फूट आपको कहीं का न छोड़ेगी

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14 जून 2022/ आषाढ़ कृष्ण एकम /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
स्वतंत्रता उपरांत संसद में बहुत बड़ी संख्या में जैन सांसद हुआ करते थे, हरएक विधान सभा में जैन विधायकों की सम्मानीय उपस्थिति हुआ करती थी। महानगर पालिकाओं, नगर निकाय में जैन समाज को बड़े सम्मान के साथ आमन्त्रित कर टिकिट दिया जाता था, मुख्यमंत्री, मंत्री, महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष बनाया जाता था। धीरे-धीरे जैन समाज को बड़ी सफाई से किनारे करने का एक अघोषित अभियान सभी राजनीतिक दल ने चलाया और सफलता पूर्वक जैन समाज को राजनीतिक क्षितिज से बाहर कर दिया गया।

आज संसद से लेकर विधानसभाओं तक जैन प्रतिनिधियों की संख्या उंगलियों पर गिनने लायक रह गई है। इसमें राजनीतिक दलों से ज्यादा दोष हमारे अपने लोगों का अपनी समाज का है। राष्ट्र निर्माण में बड़ा आर्थिक सहयोग करने बाली जैन समाज को कोई टिकिट नही देना चाहता। जिस दल का हम सभी समर्थन करते हैं वह भी जैन समाज को किसी राज्यसभा सदस्य, किसी निगम, मण्डल अथवा अन्य संस्था का मुख्य नही बनाना चाहता। कल झटका लगा जब सागर जैसे जैन बहुल क्षेत्र से तक महापौर हेतु बीजेपी द्वारा किसी जैन को टिकिट नही दिया गया।

हम देखते हैं चुप हो जाते हैं और खींसे निपोरकर वापिस घर बैठ जाते हैं। जैन समाज को इस बारे में गम्भीर चिंतन करना चाहिए । अपना अस्तित्व स्वयं दर्शाएं। समाज एकता के सूत्र में बंधकर जैन प्रत्याशियों का समर्थन करें। हमारी समाज मे देश भर में हज़ारों लोग विशेष राजनीतिक योग्यता प्राप्त, तन-मन-धन से मजबूत एवम राजनीतिक दलों में जबरदस्त पकड़ बाले सक्रिय लोग हैं फिर भी चुनाव के बक्त पार्टियां आपको बो तबज्जो नही देती जो देना चाहिए। ये फूट आपको कहीं का न छोड़ेगी।

देश मे जैन राजनीतिक मंच भी हैं इसके अलावा जो भी सक्षम लोग हैं उनको इस बारे में चिंतन करने की जरूरत है वर्ना अभी आप केवल हांसिये पर हैं धीरे-धीरे नाम लेने बाला भी न मिलेगा।

अनिल जैन बड़कुल, ए बी जैन न्यूज़ समूह