जो पार्टी हमारे हितों को कुचलेगी,जैनों की आवाज़ क़ो रोंदेगी, अब जैन समाज को उन्हें अपने वोटों व प्रभाव से परास्त करना ही होगा

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23 मई 2022/ जयेष्ठ कृष्णा अष्टमी/चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
“”मिलकर चलोगे तो ओर निखर जाओगे,
वरना याद रखना कि तनकों की तरह बिखर जाओगे.””

भाजपा व संघ का अजेंडा उसका अपना हैं,वो रहेगा,रहना भी चाहिए,मग़र उनके एजेंडे से जैन धर्म,दर्शन व संस्कृति को अगर कोई नुक़सान या संकट खड़ा होता है और इस संकट को लादने का काम कुछ हमारे अपने ही करें तो बड़ी ठेस लगती हैं.

हमारे जैन वो कांग्रेस में रहे,भाजपा या आप में रहें,हमारे लिए बड़ी प्रसन्नता की बात होती हैं,मग़र इन पार्टियों में जाकर जैनों का सम्बल बनने की बजाय उन्हीं पार्टियों की चाहत के लिए समाज को अपाहिज व बर्बाद करने की किसी भी कोशिश का डरकर विरोध होना ही चाहिए.समाज किसी की बपौती नही और नही किसी को उसके हितों को बलि का बकरा बनने देंगे.किसी ने भी ऐसी हिमाक़त की तो उसके इन इरादों को भी कामयाब नही होने देंगे.यह शपथ हर जैनी को उठानी ही होगी.

आज भारतीय धरातल पर जैनों का राजनैतिक अस्तित्व पूरी तरह ज़मींदोज़ हो गया,हमारे तमाम तीर्थ षड्यंत्रपूर्वक हिन्दू तीर्थ बन रहे,हज़ारों हमारे जैन मंदिर व धर्मस्थल शिवलिंग लगाकर हड़पे जा रहे हैं और अतिवादी लोग हमें कुचल रहे और यह कार्य उन्ही राज्यों में हो रहा है,जहाँ बहुमत में भाजपा सरकारें हैं और जहाँ नब्बे प्रतिशत जैनों के बोट व नोट भाजपा को ही मिलते,फिर यह अन्याय व अत्याचार क्यों बरपाया जा रहा हैं और क्यों भाजपा के जैन नेता जैन धर्म व जैन जगत को बचाने में तनिक काबिल व समर्थ नही हो पा रहे हैं और जैन जगत क्यों जैन विरोधी शक्तियों को सत्ता में बिठाने का आत्मघात कर रहा हैं.

समय की माँग हैं कि हमारी जैन क़ौम को अपना अस्तित्व,अस्मत और अस्मिता बचाने के लिए आगे आकर अपना कर्तव्य निभाने और इसका नेतृत्व करना ही होगा.कोई कहता हैं कि आप भाजपा का विरोध न करे और कोई कहता हैं कि कांग्रेस का विरोध मत करों,ऐसा कहकर आप क़ौम का हित नही केवल अपनी अपनी पार्टियों का हित साध रहे,मग़र अब यह नही चलेगा,

जो पार्टी हमारे हितों को कुचलेगी,जैनों की आवाज़ क़ो रोंधेगी,अब जैन क़ौम को उन्हें अपने बोटों व प्रभाव से परास्त करना ही होगा.अब हमारे सामने चुनौती हैं कि अब जो जैनों के सर्वांगीण हितों को बर्बाद कर रहे हैं.अगर हमारी धमनियों में जैन धर्म,दैव,गुरु,जैन दर्शन,संस्कृति व विरासत के प्रति तनिक भी दर्द हों,दिल के किसी कौने में थोड़ी सी तड़फ़न और रगों में पीड़ा और प्राणों में जिनत्व की थोड़ी सी साँसे बाक़ी हों तो हर जैनी को अपनी मानसिकता में बदलाव का,परिवर्तन का,आँखें दिखाने और वोटों से पार्टियों क़ो घुटनों पर ला पटकने का कायाकल्प करना ही होगा.

सोहन मेहता’क्रान्ति’जोधपुर,राज०- सोशल मीडिया पर प्राप्त एक पोस्ट