पाकिस्तान के बशारत के पास प्रसिद्ध चेल अब्दल पहाड़ी से प्राचीन जैन प्रतिमाएं व जैन चरण चिन्ह प्राप्त होना जैन संतो का कश्मीर व कैलाश विहार का प्रमाण

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15 मार्च/फाल्गुन शुक्ल द्वादिशि /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/

पाकिस्तान के चकवाल जिले में बशारत के पास स्तिथ प्रसिद्ध चेल अब्दल पहाड़ी (40 संत तीर्थ) से प्राचीन जैन प्रतिमाएं व बलुआ पाषण पर जैन चरण चिन्ह प्राप्त होना सिद्ध करता कि जैन संतों द्वारा कश्मीर, तक्षशिला व कैलाश आदि की और विहार करते हुए इस स्थान पर उस समय स्तिथ जैन मंदिर में प्रवास किया जाता था!

प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु ह्वेन त्सांग द्वारा भी इस स्थान से कुछ दुरी पर प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ कटास के पास स्तिथ मूर्ति (प्राचीन सिंहपुरा) में जैन मंदिर में दिगम्बर जैन संतो को देखे जाना का उल्लेख वर्ष 630 की अपनी यात्रा के वर्णन में किया गया है! मूर्ति से प्राप्त मन्दिर की सामग्री लाहोर म्यूजियम में स्थापित है! बौद्ध भिक्षु द्वारा अपनी यात्रा के वर्णन में भगवान महावीर के मूर्ति स्तिथ प्राचीन जैन मंदिर में प्रवास किये जाने का भी उल्लेख किया गया है!

पाकिस्तान की हजारा यूनिवर्सिटी के पुरातत्व विभाग में शोधकर्ता मुज्जफर अहमद द्वारा चेल अब्दल की यात्रा के दौरान स्थानीय निवासी से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 1971 में चेल अब्दल पहाड़ी के पास से प्राचीन जैन प्रतिमाएं प्राप्त हुई थी जिन्हें लाहौर संग्रहालय ले जाया गया था, संभवत: जैन चरण चिन्ह वाला यह ब्लाक भूलवश प्रतिमाओं के साथ नही ले जाया गया!

प्राप्त चरण चिन्ह विष्णु या बौद्ध पद के चरण चिन्ह के बनावट के समान नही है और न ही इस पर विष्णु या बौद्ध पद पर पाए जाने वाले चिन्ह आदि अंकित है इसीलिए हजारा यूनिवर्सिटी व नजारत तालीम स्कूल सिस्टम्स के शोधकर्ताओं ने इन्हें जैन चरण चिन्ह घोषित किया!
संकलनकर्ता : संजय जैन मो.: 9312278313