3 मई 2022/ बैसाख शुक्ल तृतीया /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
चित्र जरूर पुराना हैं,पर बात आज भी लागू होती है , 22 अप्रैल 2017 को दबासपेट से पार्श्व लब्धि धाम तक 31 किलोमीटर का विहार इन साधु भगवन्त ने किया। इनका नियम था कि मंदिर में भगवान के दर्शन किये बगैर मुँह में पानी नही डालना। अर्हम ग्रुप , बैंगलोर के वीर युवा साथ में थे।
एक दिन पहले इनको उपवास था। और आज 31 किलोमीटर का विहार था। इतने लंबे रास्ते में इन महात्मा को विश्राम करने की ज़रूरत पड़ी। पास में ऐसा कोई भी विश्राम स्थान भी नही था। इसलिये रास्ते पर ही कुछ मिनट के लिए विश्राम कर दिया।
तब की ये तस्वीर है। तस्वीर इसलिए निकाली गई ताकि हमे अपने खुद का स्तर मालूम पड़े। सोफे और गादी पर सोने वाले हम और ये वैरागी भगवन्त, श्री वीर प्रभु के अनुयायी जो सिर्फ अपनी आत्मा को केंद्र में रख कर धर्म प्रभावना करते है।
हमे तो शायद रास्ते पर बैठना भी पसन्द ना हो….
शर्म आ जाए की कोई देख लेगा, पर जैन साधु, जो फकीरी की मिसाल है, ऐसे जैन साधुओ को इंद्र देवेंद्र भी नमस्कार करते है। जैन साधु साध्वियों की अनुकम्पा नही होती, भक्ति होती है। भक्ति करनी है, तो जुडो विहार वैयावच्च सेवा में।