85 जैन संतों पर क्या अब केवल यही विकल्प बचा है , कि या तो आत्महत्या कर लो, या फिर वापस घर लौट चलो

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16 अगस्त 2022/ भाद्रपद कृष्ण पंचमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
शुरुआत तो इसकी 10 मार्च को हो चुकी थी , जब 85 जैन साधु घाटकोपर पहुंचे थे। एक लंबे विहार के बाद , पर जैसा अभी हाल में देश के सबसे बड़े अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के एक समाचार पत्र, मुंबई मिरर में प्रकाशित हुआ है।

उसमें लिखा गया है कि इन 85 साधुओं को बहिष्कृत किया गया है और इन साधुओं ने अभी सार्वजनिक बैठक कर स्पष्ट किया है कि यदि कोई साधु सत्य के लिए आवाज उठाता है, तो शक्तिशाली समुदाय के खिलाफ, जब भी उठी आवाज , तब मंदिर के ट्रस्ट ने कई सवाल उन पर खड़े कर दिए, दरवाजे बंद कर दिए और उनके पास अब कुछ ही विकल्प बचते हैं या तो अब उपाश्रय में रहने की बजाए सड़कों पर रहना शुरू कर दें, रेलवे में शिविर स्टेशनों पर अब ठहरना शुरू कर दें या फिर अपना यह जैन साधु का वेश छोड़ दें और घर को लौट जाएं या फिर एक और विकल्प है कि आत्महत्या कर ले।

वैसे विवाद अदालत की चौखट तक पहुंच चुका है। बात पहले इतनी बढ़ चुकी थी कि एक वरिष्ठ साधु के अस्पताल के बिस्तर को भी, सीढ़ियों से नीचे धकेल दिया था और तब हाथापाई खत्म करने के लिए पुलिस तक बुला दी गई थी । अब उपदेश नहीं सुने जाते, अब केवल मारपीट धक्का-मुक्की और साधुओं को बाहर निकालना , शायद कुछ कमेटियों का हर दिन का काम बन गया है। साधुओं का कहना है कि वह कई महीनों से आश्रयहीन है, जो कुछ भी हो रहा है , उसके खिलाफ बोलने के लिए ।

पर स्पष्ट कर दिया है हमारे रास्ते में आने वाले किसी भी अन्याय को हम सहन नहीं करेंगे। इस बारे में पूरी रिपोर्ट जानिए और देखिए बुधवार रात्रि 8:00 बजे चैनल महालक्ष्मी के विशेष एपिसोड में , कि ऐसा क्या हुआ कि 85 जैन संत अब आत्महत्या करने को मजबूर होना चाहते हैं या फिर घर जाना चाहते हैं, क्योंकि अब कोई उनकी नहीं सुन रहा ।

देखिएगा जरूर, चैनल महालक्ष्मी पर, बुधवार 17 अगस्त रात्रि 8:00 बजे।