कर्नाटक में अल्पसंख्यक जैन समाज की दयनीय अवस्था, इसके लिए जिम्मेदार कौन?

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कर्नाटक सरकार की एक रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटका में जैन समाज की हालत देखिए.

कर्नाटक में कुल 79.9% जैन समाज गाॅंवों में रहता है।

कर्नाटक में कुल 50% जैन समाज गरीबी रेखा में आते है. कर्नाटक का कुल 25% आबादी गरीबी रेखामें है, मतलब जैन समाज की गरीबी राज्य की कुल गरीबी से दूँगना है।

कर्नाटक में सभी अल्पसंख्यक समाज में, सबसे ज्यादा गरीबी जैन समाज में है। मुस्लिम -29.9%, क्रिस्चियन – 13.5%. SC/ST में 30% यानी कर्नाटक में सबसे गरीब जैन है

जैन समाज के 59.18% बच्चें सरकारी स्कूल में कन्नड़ माध्यम से पढ़ते है, और जैन समाज के सिर्फ 0.98% बच्चें इंग्लिश माध्यम से पड़े है।

सबसे दुःखद कर्नाटक में सभी अल्पसंख्यक समाज में, सबसे ज्यादा विधवा जैन समाज में है. जैन समाज के 11.93% महिला विधवा है. मुस्लिम- 10.17%, क्रिस्चियन- 11.23%

सरकारी नौकरी में भी जैन समाज की हिस्सा 0.5% से कम है, दूसरे अल्पसंख्यक मुस्लिम 5.5%, क्रिस्चियन- 3.9% की हिस्सेदारी सरकारी नौकरी में है.

देखिये वोट बैंक की राजनीति, जैन समाज को सरकार की मदत की सख्त जरुरत है, फिर भी जैन समाज को अल्पसंख्यक की 2% भी लाभ नहीं मिला है, और जैन समाज को जॉब में रिजर्वेशन भी नहीं है, जैन समाज को भी 2B में रिजर्वेशन मिलना चाहिए

कर्नाटक सरकार अल्पसंख्यक विभाग से पिछले 8 साल में Rs.12000 करोड़ से भी ज्यादा पैसा मिला है, जैन समाज को इसका 2% भी नहीं मिला है. कम से कम Rs.1000 करोड़ जैन समाज के कर्नाटक में डूब गये है, सही ढंग से अल्पसंख्यक के फायदे और इतने पैसे मिलते तो पूरा जैन समाज की गरीबी हट जाती थीं ।

गुलबर्गा में अपने हक़ केलिए 4 बार आंदोलन करें है, आगे भी आंदोलन जारी रहेगा. *इस महीने के अंत मैं फिर से आंदोलन करेंगे

महत्वपूर्ण मांगे-

1- जैन समाज को अल्पसंख्यक के विभाग कुल बजट के 20% पैसा जैन समाज को मिलना चाहिए।

2- जैन समाज को सरकारी नौकरी में रिजर्वेशन मिलना चाहिए.- जैन समाज को 2B केटेगरी में शामिल करना चाहिए।

3- जैन समाज को देश के संसद और राज्य के विधानसभा, के साथ, सभी लोकल इलेक्शन – महानगर पालिका, ग्राम पंचायत में रिजर्वेशन कोटा(Political reservation) मिलना चाहिए।

ये तीनो महत्वपूर्ण विषय है. इस विषय को लेकर राज्य के साथ पूरा देश में जैन समाज को एक की आवाज़ उठानी चाहिए. हमारी अस्मिता , स्वाभिमान और अस्तित्व के लिए हमें लड़ना पड़ेगा नहीं तो समाज कब मिट जाएगा पता भी नहीं चलेगा

महेश जैन