8वीं शताब्दी तक हजारों जैन साधुओं को सूली पर चढ़ाकर मारा और लाखो द्रविडो को मारा या दलित बनाया, हजारों मंदिर नष्ट किए गए और कई बदल दिए गए

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2034

द्रविड़ याने कि मूलनिवासी दक्षिण भारत में 8वीं शताब्दी तक सारे जैन थे, कुछ बौद्ध भी, लेकिन कोई तथाकथित हिंदू या वैदिक नही था। ऊपरी जगह पर हजारों जैन साधुओं को सूली पर चढ़ाकर मारा और लाखो द्रविडो को मारा या दलित बनाया। उनके हजारों तादाद में मंदिर नष्ट किए गए और कई बदल दिए गए।

यह ब्राह्मणों का आतंक भरा इतिहास है, जो इतिहास के पन्नो से और पाठ्यक्रम से मिटाया गया। आज भी पुरातत्व की खोज करने वालो को डरा धमका कर इस इतिहास को बाहर आने से रोकते है।। और सारा इल्जाम मुसलमानों पर थोप दिया।

आज दक्षिण के सारे मंदिर जो हिंदुओ के हाथ में है जैसे की तिरुपति , कामाक्षी, कपालीश्वर, पद्मनाभ, अय्यपा, नागराज सब द्रविड़ सभ्यता के जैन मंदिर थे। इसमें १०% बुद्ध मंदिर भी थे। ऐसे मंदिरों के काल्पनिक भगवानों के नाम आज भी किसी हिंदू या वैदिक मुख्यधारा की किताबो, पुराणों, उपनिषद में उपलब्ध नहीं है।

गलत और भी होता है जब इस इतिहासिक लाखो मुलनोवासियो के कत्ल का जश्न आज भी मनाया जाता है। यह जगह मदुरई के चिंतामणि इलाके में है, जिसे रक्तशमणम भी कहते है इसका मतलब हुआ श्रमणो का रक्त या खून करने की जगह।

– सोशल मीडिया पर प्राप्त पोस्ट से