जैन गुफाओं को रंग रहे हरा, बदल रहे पहचान ॰ 2200 वर्ष प्राचीन जैन गुफाओं पर मुस्लिम बनाने की कोशिश

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॰ मुरगन मंदिर व सिकंदर बदुशा दरगाह के विवाद में जैनों पर निशाना
॰ पुरातत्व विभाग ने दर्ज की प्राथमिकी
29 जनवरी 2025/ माघ कृष्ण अमावस /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी / शरद जैन /
तमिलनाडु में मदुरै जिले के थिरुपरनकुंड्र्म पहाड़ी पर ईसा पूर्व दूसरी सदी की अनेक गुफायें हैं और इन पर पंच पांडव जैन बेड्स (जैन साधु विश्रामस्थल) यहां तीर्थंकरों की अनेक प्रतिमायें उकेरी हुई हैं। 8वीं – 9वीं सदी की महावीर-पारसनाथ की प्रतिमायें हैं।

गत् 22 जनवरी को तमिलनाडु पुलिस ने मुस्लिम लोगों को पहाड़ी पर स्थित सिकंदर बदुशा दरगाह पर बलि के लिये पशुओं को ले जाने पर रोक के आदेश जारी किये। वैसे मुस्लिम समुदाय को पका हुआ मांस ले जाने और पहाड़ी पर खाने की अनुमति है। पर उसके बाद आईयूएमएल सांसद नवाज काजी कुछ के साथ मांसाहारी भोजन करने गये और क्षेत्र में धार्मिक तनाव पैदा हो गया, क्योंकि इसी पहाड़ी पर दरगाह के पास प्राचीन मुरगुन मंदिर भी है।

इस बलि और मांसाहार के कारण धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का स्थल थिरुपरनुकुंद्रम पहाड़ी विवाद और अपवित्रता का केन्द्र बिन्दु बन गया है। यही पश्चिमी भाग में प्राचीन जैन शैय्यायें हैं, जिन पर तमिल ब्राह्मी शिलालेख भी हैं। अब इन प्राचीन जैन गुफाओं को हरा रंग देकर तोड़फोड़ करने वाले कुछ अराजक तत्वों ने तोड़फोड़ की।

यह जानकारी तब मिली, जब अस्थायी रखरखाव कर्मचारी राजन गुफा मंदिरों में रखरखाव करने गया था। उसने पाया कि अज्ञात असामाजिक तत्वों ने पुरातत्व विभाग के नियंत्रण में आने वाली गुफाओं को हरा रंग दिया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 (ए एम ए एस आर अधिनियम) और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम 1984 (पीडीपीपीए) के तहत मामला दर्ज किया है।

अब एक बार फिर जैन विरासतों को कब्जाने की कोशिशें शुरू कर दी गई हैं और एक विशेष समुदाय के लोग जैन गुफाओं पर अपनी सिकंदरा गुफायें कहकर दावा करने लगे हैं।

इसकी पूरी जानकारी चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 3120 में देखें।