जैन धर्म का पालन करने वाले कुछ समूह (जैन धर्म में ना वर्णव्यवस्था है, ना ऊंची या नीची और ना जाति व्यवस्था) #jaincaste

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03 अक्टूबर 2022/ अश्विन शुक्ल अष्टमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /

जाति क्या है?
जाती की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है: एक ऐसा समूह जिसके सदस्यों विवाह संबध ज्यादातर उसी समूह में होते हैं.

जैन धर्म में जातिव्यवस्था का कोई स्थान नहीं है, फिर भी जैन समाज में विभिन्न जातियां दिखाई देती हैं. यह जातियां अलग-अलग समूहों द्वारा जैन धर्म अपनाने और अपने समूह का स्वतंत्र अस्तित्व रखने के कारण है. प्रदेश, भाषा और स्थानीय संस्कृति के कारण जातियों का अस्तित्व बना रहा. लेकिन जैन धर्म में ना वर्णव्यवस्था है और ना जाति व्यवस्था, इसलिए कोई जैन जाति ऊंची या नीची नहीं है और ना ही इनमें कोई सामजिक भेदभाव है.

यहां मैंने जैन जातियों की सूचि दी है. यह सूचि आज जो जातियां जैन के रूप में जानी जाती है या जिन जातियों में जैन धर्म के अनुयायी बड़ी संख्या में हैं ऐसे समुदायों के आधार पर बनाई गयी है.

भारत सरकार के भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण इस संस्था ने किये हुए सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 110 से अधिक समुदाय ऐसे है जो जैन धर्म का पालन करते हैं. मैंने वह सूचि तो देखी नहीं है. मैंने जो सूचि बनाई है वह मेरे सामजिक ज्ञान और प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष संपर्क के आधार पर बनाई है. ध्यान रहें की यह सूचि अधूरी है, और इनके अलावा भी कई समुदाय हैं, जो जैन धर्म का पालन करते हैं.

यह सूचि देने के पीछे मेरा उद्देश्य जातिवाद को बढावा देना बिलकुल नहीं है, बल्कि सामान्य जानकारी से अवगत कराना और जैन धर्म किसी विशेष समुदायों और प्रदेशों तक सिमित नहीं है यह दिखा देना इतना ही है.
वह जातियां जनसंख्या के दृष्टी से बड़ी या मध्यम है. अन्य जातियां संख्या की दृष्टी से छोटी हैं. ब्रॅकेट में उस जाति के मूल स्थान/प्रदेश का नाम दिया गया है.

अरसु (कर्णाटक)
असाटी
ओसवाल (राजस्थान)
अग्रवाल
इंद्र (कर्णाटक)
बंट (कर्णाटक)
बघेरवाल/लाड (राजस्थान, विदर्भ-महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश)
बोगार (कर्णाटक)
भावसार (गुजरात)
भाभडा (पंजाब)
भोजक
चरनगारे
चतुर्थ (कर्णाटक, महाराष्ट्र)
चिप्पिगा (कर्णाटक)
चित्तौड़ा (राजस्थान)
धर्मपाल (राजस्थान, मध्य प्रदेश)
धाकड (विदर्भ-महाराष्ट्र)
गंगेरवाल (पश्चिम विदर्भ-महाराष्ट्र)
गोलसिंघारे (बुंदेलखंड-मध्य प्रदेश)
गोलापूर्व (बुंदेलखंड-मध्य प्रदेश)
गोलालारे (बुंदेलखंड-मध्य प्रदेश)
गुरव (कोंकण-महाराष्ट्र)
घांची (गुजरात, राजस्थान)
हंबड /हुमड (गुजरात, राजस्थान)
जैन ब्राह्मण (कर्णाटक)
कोष्टी (विदर्भ-महाराष्ट्र)
जैसवाल
कच्छी ओसवाल (कच्छ-गुजरात)
कंदोई
कासार (महाराष्ट्र )
कांबोज (कर्णाटक, महाराष्ट्र, )
कुरुबा/कुरुंब (कर्णाटक)
खरौआ (भदावर-मध्य प्रदेश)
खंडेलवाल (राजस्थान)
लमेचू (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश)
मेवाडा (राजस्थान)
मीणा (राजस्थान)
नवनात (केनिया-आफ्रिका)
नागदा (राजस्थान)
नेमा (मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान)
नैनार (तमिल नाडु)
परवार (बुंदेलखंड-मध्य प्रदेश)
परमार क्षत्रिय (गुजरात)
पंचम (कर्णाटक, महाराष्ट्र)
पोरवाल (राजस्थान)
पल्लीवाल (राजस्थान)
पद्मावती पुरवाल (उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान)
मातंग (महाराष्ट्र)
रंगिया (ओरिसा)
सराक (झारखण्ड, प. बंगाल, बिहार, ओरिसा)
सेवक
सादरु (कर्णाटक)
सैतवाल (महाराष्ट्र)
श्रीमाली (राजस्थान)
उपाध्ये/उपाध्याय/पंडित (कर्णाटक, महाराष्ट्र)
वक्कलिगा/गौडा/गंगटकर/नामधारी (कर्णाटक)
वरैय्या/बरैय्या
वीरवाल (राजस्थान)
व्यास

इनके अलावा नीचे दी गयी बडी जातियों में जैन धर्म का पालन करनेवाले लोग बड़ी संख्या में पाए जाते हैं:

पाटीदार/पटेल (गुजरात, खानदेश-महाराष्ट्र, पश्चिम मध्य प्रदेश)
जाट (हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश, उत्तर राजस्थान) (पढिये: जाट समाज और जैन धर्म )
राजपूत (राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य कई प्रदेश) (पढिये: राजपूत और जैन धर्म )
गुर्जर (राजस्थान, गुजरात, पंजाब)
खत्री (पंजाब)

महावीर सांगलीकर