19 दिसंबर 2024/ पौष कृष्ण तृतीया /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
अभी हाल में उत्तर प्रदेश के महोबा से तीर्थंकर प्रतिमायें निकली, पर उन पर बौद्ध प्रतिमा कहकर दावा किया जा रहा है। कहा जा रहा है भारत के कण-कण में बुद्ध हैं। इन प्रतिमाओं को देखकर स्पष्ट दिख रहा है कि ये तीर्थंकर प्रतिमायें हैं।
गौतम बुद्ध की प्रतिमायें कभी वीतराग दिगंबर स्वरूप में नहीं होती। क्योंकि उनकी प्रतिमाओं पर वस्त्र की आकृति उकेरी होती है। हाथों की ध्यानस्थ मुद्रा, तीर्थंकर प्रतिमाओं से भिन्न होती हैं।
एक प्रतिमा में खड्गासन दिगम्बर स्वरूप में प्रतिमा है, दूसरी में स्पष्ट श्रीवत्स का चिह्न है। पदमासन मुद्रा, नासा दृष्टि, वक्ष पर वत्स चिह्न, दिगंबर प्रतिमा पर वस्त्र नहीं, हाथ पर हाथ ध्यानस्थ रूप में। बिना विवाद के ये प्रतिमायें जैन समाज को शीघ्र दे देनी चाहिए।
(इसका पूरा विवरण चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 3031 में देख सकते हैं)।