02 अक्टूबर 2023/ अश्विन कृष्ण चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /
वर्तमान में जैन समाज नेतृत्व विहीन है और विषम परिस्थितियों से गुजर रही है। जब से भाजपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार केन्द्र में पदासीन हुई है तभी से देश भर के विभिन्न राज्यों के जैनधर्मायतन पर अवैध कब्जा करने की खबरों से समाज का आम व्यक्ति चिंतित है।
पहली सदी ई.पू. जिस कलिंग राज्य में महापराक्रमी जैन सम्राट खारवेल ने खंडगिरि उदयगिरि की गुफाओं का निर्माण कराकर जैनधर्म का परचम लहराया वहां की गुफाओं में बाबाओं ने कब्जा जमाकर भगवान पारसनाथ की खड्गासन प्रतिमा को गेरुआ रंग से रंग कर कपड़े पहनाकर देवी का रूप दे दिया है । कोर्ट से फैसला भी जैन समाज के पक्ष में आ गया पर हमारा नेतृत्व आज तक उस पर कब्जा नहीं ले पाया।
नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री क्या बने हमारा प्रसिद्धि निर्वाण क्षेत्र श्री गिरनार जी भी हमारे हाथ से फिसल गया है । उनके वरदहस्त ने गिरनार जी से हमारा अस्तित्व ही समाप्त कर दिया।सन् 2004 से न्यायालय में केस दायर है,स्टे भी मिला पर प्रशासन की मिली भगत से भ.नेमीनाथ के चरण ढंक कर वहां दत्तात्रेय की मूर्ति विराजमान कर दी गई। अब तो हद हो गई जब प्रशासन द्वारा गिरनार पर्वत को दत्तात्रेय पर्वत घोषित कर भ.नेमीनाथ का एक तरह से अस्तित्व ही मिटा दिया गया । पांचों टोंकों पर भी सभी के नाम बदलकर भगवाकरण कर दिया है । वहां अब पण्डों ने डेरा जमा लिया जो जैन मतावलंबियों से लड़ – झगड़ कर धमकाते रहते हैं और उन्हें फटकने भी नहीं देते। इस केस की तारीख पर तारीख मिलती रही पर अभी तक सुनवाई नहीं हुई।
इंदौर स्थित गोमटगिरी घोषित रूप से जैन तीर्थ रहा है परंतु हमारे क्षेत्र के बगल में गुर्जर समाज ने अपना मंदिर बना लिया है और अब गोमटगिरी क्षेत्र की जमीन से जबरन रास्ता निकालने पर आमादा है। हाई कोर्ट ने सभी तथ्यों को बारीकी से देखकर अपने आदेश में जैन समाज को संरक्षण देने की बात कही है परंतु प्रशासन गुर्जर समाज को जमीन देने के लिए गोमटगिरी ट्रस्ट पर दबाव बनाए हुए है और हमें हमारी जमीन पर ही दीवाल नहीं उठाने दे रहा है। यही हाल भोपाल का है जहां मनु आभान टेकरी पर जैन तीर्थ के समीप राजपूत समाज को जमीन आवंटित कर आपसी सद्भाव को समाप्त करने की दिशा में भाजपा सरकार ने कदम बढ़ा दिया है ।
गुजरात के पालीताणा और पावागढ़ में विषम स्थिति पैदा करने में परोक्ष रूप से प्रशासन का ही हाथ दिखाई दे रहा है । राजस्थान में रणकपुर मंदिर पर तो कुदृष्टि है ही ऋषभदेव केसरिया जी का केस जीतने के बाद भी अभी तक जैन समाज के हाथ कुछ नहीं लगा वहां सब पण्डों के हाथ में है जो चढावे की भारी- भरकम राशि का दुरुपयोग कर रहे हैं।
ग्वालियर के किले में स्थित जैन मंदिर पर सिंधिया ने कब्जा कर रखा है। विगत 7 – 8 वर्षों से चरणबद्ध तरीके से विभिन्न राज्यों के जैन तीर्थों पर कब्जा करने की बदनियत स्पष्ट दिखाई दे रही है। छुटपुट घटनाओं का होना तो आम बात है अभी हाल में खजुराहो के प्रसिद्ध जैन मंदिर भी हमसे छीनने का कुत्सित प्रयास प्रशासन द्वारा शुरु हो गया है। तीर्थराज सम्मेद शिखर पर भी प्रशासन की गिद्ध दृष्टि है उसे पर्यटन केंद्र घोषित कर वहां हमारे विरुद्ध आदिवासियों को खड़ा कर दिया गया है ।
मध्यप्रदेश के कुण्डलपुर में यक्ष यक्षिणी की मूर्ति को रुक्मणी की मूर्ति बताकर वहां भी भगवाकरण केन्द्रीय मंत्री की छत्रछाया में हो रहा है।चारों ओर से जैन समाज भगवाकरण की गिरफ्त में है। जैन समाज का केन्द्रीय नेतृत्व किंकर्तव्यविमूढ सा सब कुछ देखते हुए भी कुछ ठोस नहीं कर पा रहा है यह अनबूझ पहेली बनी हुई है।
साधु संतों का ध्यान नित नये तीर्थों के निर्माण पर ही केन्द्रित है जिन पर भारी भरकम राशि खर्च की जा रही है पर आ.श्री सुनील सागर जी के अतिरिक्त अभी तक किसी अन्य साधु ने आवाज नहीं उठाई है। युवा वर्ग धर्म से विमुख हो रहा है फिर इन विशाल नव निर्मित तीर्थों का क्या हस्र होगा चिंतन का विषय है।
श्री महावीर ग्रुप सोशल मीडिया से लिया गया लेख