चल-अचल तीर्थों की सुरक्षा के लिये 17 दिसंबर – चलो दिल्ली प्रात: 1 1 बजे – रामलीला मैदान

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आचार्य श्री सुनील सागरजी के सान्निध्य में बड़ौत समाज ने सौंपा बागपत सांसद को ज्ञापन
16 दिसंबर 2023 / मार्गशीर्ष शुक्ल चतुर्थी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ प्रवीन कुमार जैन /

बड़ौत मंडी में आज प्रात: धर्मसभा में बागपत सांसद श्री सत्यपाल सिंह ने आचार्य श्री सुनील सागरजी ससंघ के पावन दर्शन किया तथा आचार्य श्री के आशीर्वाद स्वरूप उनके द्वारा रचित पुस्तकें प्राप्त की। बड़ौत जैन समाज ने सामूहिक रूप से सासंद महोदय को चल-अचल जैन तीर्थों की सुरक्षा का आह्वान करते हुए गिरनार पर्वत पर जैन अनुयायियों के दर्शन-पूजन के अधिकार के कोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिये शासन-प्रशासन से अपील की।

आचार्य श्री सुनील सागरजी ने कहा कि 17 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में जो जन – आंदोलन के रूप में चल-अचल तीर्थों की सुरक्षा के लिये जनक्रांति लाई जा रही है, उसमें सबको समम्मिलित होना है और उसमें हम भी किसी न किसी रूप में उपस्थित होंगे। कोर्ट से आर्डर हुए हैं कि गिरनार में सबके दर्शन हो, लेकिन अब जैन समाज की मांग है कि कोर्ट के आर्डरों को शासन-प्रशासन माने। गिरनार, गोम्मटगिरि चाहे गोपाचल हो, प्राचीन तीर्थों के उद्धार में जैन तीर्थों का भी नम्बर आएगा। राम जन्म भूमि होगी, मथुरा में काम चालू हो गया कभी न कभी जैन तीर्थों के पुनरुद्धार का काम जनता के सामने आएगा। वो भी बहुत पुराना है, और वो भी बहुत जरूरी है।

आचार्य श्री ने कहा आज यहां उपस्थित बागपत के सांसद महोदय समाज, शासन, प्रशासन तीनों ही जगह प्रसिद्ध हैं। बड़ौत में अनेक शिक्षण संस्थान है, जिसमें लोग जैन शिक्षा ग्रहण करते हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य के लिये काम होना चाहिए जिसके साथ शाकाहार – सदाचार का भी संदेश जन-जन में जाता है। आज भगवान महावीर इस धरा पर 2550 साल पूर्व विचरते थे और इतने वर्षों के बाद भी उनका संदेश जियो और जीने दो विश्व भर में प्रसिद्ध है।

आचार्य श्री ने सांसद महोदय से कहा कि 1947 के समय तीर्थों की जो स्थिति थी, उसे वैसे ही बरकरार रहना चाहिए। जनकल्याण की ढेरो बातों को समेटे प्राचीनतम प्राकृत सम्पदा को जीवित रखने के लिये प्राकृत बोर्ड का गठन होना चाहिए। राजस्थान, दिल्ली में इसके लिये कार्य चल रहा है। ऐसी भाषा लिपि, संस्कार, संस्कृति को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हम सबकी है। हम अपने आचार-विचार को पवित्र करते हुए आगे बढ़े, सहज शांत जीवन के लिये संयम बहुत जरूरी है, मन -वचन – काया तीनों का संयम हो। एक बात ध्यान रखना चाहिए कि हम लोग माचिस की तीली नहीं है, एक बार रगड़े तो आग लग जाए, हमें ऐसा होना चाहिए कि एक बार रगड़ भी लग जाए तो भी आग नहीं लगना चाहिए।

सासंद श्री सत्यपाल जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आचार्य श्री के विशाल संघ से बड़ौत धर्मनगरी बन गई है। आज बड़े बंगले, जायदाद से सुख-शांति नहीं मिलती है, यह सुख तो धर्म से मिलता है।

इस अवसर पर प्रख्यात विद्वान डॉ. श्रेयांस जैन ने आचार्य श्री सुनील सागरजी का गुणानुवाद किया और कहा कि बड़ौत समाज 24 दिसंबर को तपस्वी सम्राट आचार्य श्री सन्मति सागरजी का समाधिदिवस एवं आचार्य श्री सुनील सागरजी का पट्टाचार्य दिवस जोर-शोर से मनाएगी।