हिंदुस्तान में पहली बार जैन अनाथ आश्रम चालू -यहां पर 25 बालक है

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हिंदुस्तान में पहली बार जैन अनाथ आश्रम चालू हुआ है अभी तक सब अनाथ आश्रम ख्रिचन मिशनरी वाले के थे और सब बालक मांसाहारी बन रहे थे उनके धर्म का प्रचार बढ़ रहा था लेकिन हमारा सौभाग्य है की पांच जोधपुर की जैन बहन मिलके चालु किया और आज जोधपुर में 65 बालक सूरत में 25 बालक बेंगलुरु में 25 बालक आज जैन बन रहे है , 3 साल से भाड़े के मकान में रहते हैं मकान का भाड़ा जो 18000 का 20000 हो गया है
इसलिए बच्चों को रहने के लिए खुद का मकान ट्रस्ट को लेना बहुत जरूरी है
रो हाउस और इस आश्रम की वजह से बच्चे सदाचारी बनेंगे
मिथ्यादर्शनी सम्यक्दर्शनीय बनेंगे, मांसाहारी बच्चे साकारी बनेंगे . अजैन जैन बनेंगे, रोज डेढ़ घंटा पाठशाला चलती है
शाम को चोविहार कराते है. सुबह सूर्योदय के बाद ही नाश्ता देते और अनाथ आश्रम में कंदमूल भी आता नहीं है
पूरे जैनिज्म की हिसाब से बच्चों को जैन बनाया जाता है और भविष्य में यह बच्चों को जैन बंधुओं को ही दत्तक देने की ईच्छा है और अपने जैन शासन के उजडते हुए परिवार बस जाएंगे
जैन की बस्ती घट रही है

राजस्थान गुजरात और कर्नाटक में जैन आश्रम हुआ है और अभी एमपी में भी बनाना है अपनी संपत्ति का सदुपयोग करते हुए अनाथ के नाथ बने जिसकी मां नहीं है जिसका बाप नहीं है उसको अनाथ कहते हैं
आप बच्चों के माता-पिता बनने का लाभ लें
स्टोरी सुनने के बाद परम पूज्य गच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री विजय अभयदेव सुरीजी महाराजा के शिष्य परम पूज्य
मुनिराज जिनरत्न विजय जी मारा साहब की प्रेरणा से हमारे ट्रस्ट ने संस्था को मदद करने की जिम्मेदारी ली है