22 जुलाई 2022/ श्रावण कृष्ण नवमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
5 मई को सरकारी एजेंसी प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो द्वारा जारी विज्ञप्ति में ऐसा खुलासा हुआ कि जिसे जैन समाज और हिंदू समाज एक सकते में आ गया। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 में यह आंकड़े दिए गए कि आज भारत देश में 83 फ़ीसदी पुरुष और 70 फ़ीसदी महिलाएं मांसाहारी हो गई है। हिला कर रख दिया इस बात से। जैन समाज जो शाकाहारी नहीं उससे भी ऊपर सीडी पर है जिस कारण शाकाहारी खाने के बाद एक ऊंची सीढ़ी पर जैन फूड्स को रखा गया है उन जनों को भी एक प्रकार से मांसाहारी कहकर पूरे समाज पर एक अशोभनीय कदम उठ गया कहा गया कि 15 फ़ीसदी यानी हर छटा आज जैनी भाई मांसाहारी है ।
यह आंकड़े कैसे थे, पर अब और दिशा शोचनीय है। चैनल महालक्ष्मी ने आरटीआई से इसकी जानकारी दी जिसके बारे में इस लिंक पर आप पूरी रिपोर्ट जान सकते हैं कि कैसे जैनों को भी मांसाहारी बना दिया और देश अब पूरे मांसाहार के गर्त में समाते जा रहा है ।
अब एक और बात सामने आ रही है कि पिछले कुछ वर्षों से छोटे-छोटे बच्चों को जो नासमझ है, जो बिस्कुट और अंडे का फर्क नहीं समझते । उनके लिए अब मिड डे मील में, अंडे परोसे जा रहे हैं और यह गिनती बढ़ती जा रही है । इस समय 12 लाख से ज्यादा सरकारी स्कूलों में प्राइमरी के एक से आठ तक पढ़ने वाले लगभग 12 करोड बच्चों को इस तरीके से मिड डे मील में अंडा परोसा जा रहा है यानी उन्हें जब वह नासमझ है। उन्हें मांसाहारी बना दिया जा रहा है और सरकार के इस खेल में वह दिन दूर नहीं , जब कहना होगा यह भारत देश जो असंख्य देवी देवताओं का देश रहा है, अब मांसाहार में डूब चुका है। सरकार की जो योजनाएं हैं वह हिंदुत्व का झंडा जरूर फहराती है। पर हकीकत में उसकी नींव में मांसाहार छिपा नजर आता है। आज 14 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में मिड डे मील के अंदर अंडा परोसा जाता है। इनमें कर्नाटक एक ऐसा नाम है जब सात और जिलों में अंडा परोसा जाएगा ।
कर्नाटक सरकार की स्कूलों में मध्यान्ह भोजन में अंडे देने की घोषणा. जागो जैनियों जागो, इस घोषणा का कडा विरोध करो.
निर्लज्ज, धर्म विरोधी पाखंडी कर्नाटक सरकार ने , गत वर्ष अपने 7 जिल्हे की स्कूलों मे, मध्यान्ह भोजन के लिये सरकार के तरफ से विद्यार्थीयो को अंडे खिलाने की घोषणा की थी.
इस वर्ष, कर्नाटक सरकार ने राज्य के सभी सरकारी और अनुदानीत स्कूलों में विद्यार्थियों को मध्यान्ह भोजन में अंडे खिलाने की घोषणा की है. कर्नाटक में 80% जैन समाज गांव में स्थायिक है. कर्नाटक राज्य में 60% जैन बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करते है. कर्नाटक में सबसे ज्यादा गरीबी जैनों में है. 50% से भी ज्यादा जैन परिवार गरीबी रेखा के निचे जी रहे है. यदि जैन समाज इस निर्णय का विरोध नहीं करेंगे तो समस्त जैन समाज का युवा वर्ग धर्म के मार्ग से भटक जाएगा. आज सरकार विद्यार्थियों को अंडे खिला रही है, कल मांस खिलाएगी. जागो जैनियों जागो, अपने वर्तमान के, और भविष्य के युवा पीढ़ी को बचाओ.
इस योजना के लिए केंद्र सरकार 60% पैसे दे रही है. हम जैन तो बीजेपी को वोट और नोट दोनों देते है, फिर हम क्यू ना इस योजना का विरोध करें? पुरे राज्य और देश के जैन धर्मियों ने इसका विरोध करना चाहिए. पहले ही जैन धर्म अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है. ऐसे धर्मसंकट में जैन समाज मौन रहेगा , चुप रहेगा तो धर्म की रक्षा नहीं, हानि ही होगी….!
सरकार के इस निर्णय के खिलाफ सभी जैन धर्म के आचार्य, साधू, भट्टारक जोर से विरोध करना चाहिए. सभी जैन धर्म के संघठन, राजनेता और समाज के वरिष्ठ लोग आगे आये और ठोस निर्णय लेकर बड़ी आंदोलन की विचार करें.
जागो जैन जागो, बचाओ अपने धर्म और धर्म के अस्तित्व को.
महेश जैन