सभी तीर्थंकरों के कल्याणक हो चुके, तो आज क्या नकली काम कर रहे हैं – आचार्य श्री सुनील सागरजी

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॰ तीर्थों के संरक्षण के लिए तीर्थक्षेत्र कमेटी के हाथ मजबूत करें

16 अप्रैल 2025 / बैसाख कृष्ण तृतीया /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/ शरद जैन /
‘लोग कहते हैं धन, पैसा साथ रखो, बुरे वक्त में काम आयेगा।
ज्ञानी कहते हैं धर्म, ध्यान साथ रखो, बुरा वक्त ही नहीं आएगा।।’


यह कहते हुए ईडर के भव्य पंचकल्याणक में आचार्य श्री सुनील सागर जी ने धर्म सभा को असली-नकली के प्रश्न से हो रहे पंचकल्याणकों के महत्व को सरलता से स्पष्ट किया।
उन्होंने कहा कि सभी 24 तीर्थंकरों के पंचकल्याणक हो गये, तो क्या हम नकली काम कर रहे हैं? पंचकल्यणक जरूर हो गये, पर वे हम नहीं कर पाये। अब जो हम आदिनाथ जी के, नेमिनाथजी के पंचकल्याणक कर रहे हैं, वो असली हैं क्या? नकली हैं क्या? यह पंचकल्याणक असल की जिरोक्स कापी है। जैसे अदालत में मूल की तरह जिरोक्स कापी भी मान्य होती है। उसी तरह यह कल्याणक की कापी है। जैसे किसी घटना के बाद पुलिस उस सीन को दोबारा रिक्रिएट कर उस असली सीन तक पहुंच जाती है, उसी तरह इस पंचकल्याणक के सीन को रिक्रिएट करके असल तक पहुंच जाते हैं।

मां-बाप को छोड़ना मत
वर्तमान में समाज की समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए आचार्य श्री ने कहा कि तीर्थंकर की मां 16 स्वप्न देखती है, आपकी मां एक-दो देखती होगी। आप अपने मां-बाप का एक सपना जरूर पूरा करना, अपने बूढ़े मां-बाप को अकेले मत छोड़ना। गर्भकल्याणक यानि गर्व करो, पर अहंकार मत करो। आज गर्भपात जैसी शर्मसार घटनायें हो रही हैं। गर्भपात न करना, न करवाना, न अनुमोदना करना, यह महापाप है।

गर्भपात – महापाप
उन्होंने कहा कि बताइये गृहस्थों के परिवारों की शोभा किससे है? उनके पीछे नाम लेने वाले कितने हैं? कन्या हो या कन्हैया, किसी भी बीज को नुकसान नहीं पहुंचाना। प्रत्येक जीव अपना भाग्य लेकर आता है। गर्भपात महा पाप है।

प्राचीन तीर्थों के संरक्षण व एक सहयोग राशि की अपील करते हुये आचार्य श्री ने कहा कि ईडर में यहां संत निवास की खुदाई करते एक नहीं, पांच जिनबिम्ब निकले। जहां कोई नहीं पहुंच रहा, वहां तीर्थों का संरक्षण करें। दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के हाथ मजबूत करें। प्राचीन मूर्तियां, जहां कोई अभिषेक करने वाला भी नहीं है, वहां से जिनालयों में स्थापित करें। पर आज कहीं प्राचीन जिनालय वाले देने को मना कर देते हैं, कहीं नये जिनालय लेने को तैयार नहीं होते। तीर्थों के संरक्षण में हर को भागीदारी करनी होगी। बड़े पंचकल्याणकों की एक राशि तीर्थक्षेत्र कमेटी को जीर्णोद्धार के लिये देनी चाहिये।

वाई-फाई है श्रद्धा
श्रद्धा का महत्व बताते हुए कहा कि श्रद्धा की तरंगे वाई-फाई की तरह हैं जो नहीं दिखती, पर कनेक्ट करते ही जैसे मोबाइल काम करने लगता है, इसी तरह आप जिनालय में दर्शन करने जाते हैं तो श्रद्धा से भगवान से कनेक्ट हो जाते हैं। अगर आज ईडर गढ़ के पहाड़ पर महोत्सव हो सकता है, तो गांवों के जिनालयों का जीर्णोद्धार क्यों नहीं हो सकता?

इस अवसर पर चैनल महालक्ष्मी ने तीर्थों के संरक्षण, संवर्धन, तीर्थक्षेत्र कमेटी में सबकी सहभागिता, चातुर्मासों में तीर्थ सुरक्षा कलश की स्थापना, जिनालयों में तीर्थरक्षा गुल्लकों की स्थापना, जनगणणा के धर्म कालम में जैन, आदि कई विषयों पर चर्चा की।