प्रशिक्षणरत इस बहन का नाम द्रौपदी है, ये न बोल सकती है न सुन सकती है मगर इनका सीखने का हौसला, और चेहरे की मुस्कान ये बयां करती है कि आगामी भविष्य में ये अपने कौशल्य ज्ञान से अपनी शारीरिक अक्षमता को दरकिनार कर सक्षम, कुशल व स्वावलंबी बनेगी ।
छत्तीसगढ के राजिम के निकट ग्राम नारी कोंकड़ी में अंत्योदय एवं स्वावलंबन के भाव से स्थापित हो रहे “गले मिले हथकरघा नारी केन्द्र” के लिए समस्त बुनकर साथियों की ओर से आचार्य श्री व सक्रिय सम्यग सहकार संघ का आभार ।