तीन तीर्थंकरों के गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान कल्याणक की भूमि हस्तिनापुर का मूल नाम क्या आप जानते हैं #hastinapur

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तीन तीर्थंकरों के गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान कल्याणक की भूमि हस्तिनापुर का मूल नाम क्या आप जानते हैं
9 अप्रैल 2022//चैत्र शुक्ल अष्टमी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/

आज की भाववन्दना में चलते हैं, एक ऐसे तीर्थ जिसका शास्त्रों में मूल नाम हस्तिनागपुर है, सामान्यतः लोग इसे हस्तिनापुर के नाम से ही जानते हैं ।

तो आइये भाव दर्शन करें – कुरुजांगल देश की राजधानी व तीन तीर्थंकरों की चार कल्याणक भूमि, हस्तिनागपुर, उप्र

श्री दिगंबर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर, तीर्थक्षेत्र समिति, हस्तिनागपुर, उत्तर प्रदेश (कल्याणक क्षेत्र)

हस्तिनागपुर एक प्राचीन, पवित्र स्थान है जो भगवान शांतिनाथ जी, कुंथुनाथ जी और अरहनाथ जी के गृह, जन्म, तप और ज्ञान कल्याणक का साक्षी है।

कल्याणक के अपने-अपने स्थानों पर तीनों तीर्थंकरों के पैरों की नक्काशी है। इस नगर में, भगवान मल्लिनाथ जी का समवसरण भी इस क्षेत्र पर आया है।

हस्तिनागपुर में ही राजा सोम श्रेयांश द्वारा दिए गए भगवान आदिनाथ जी को आहार (इक्षुरस) दिया गया है, यह अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है।

मुनिराज अकंपनाचार्य के साथ 700 मुनियों के उपद्रव का समाधान मुनि विष्णुकुमार ने यहीं पर किया था, यह प्रकरण रक्षा बंधन के रूप में मनाया जाता है ।

बड़ा मंदिर के स्वर्णिम द्वार से प्रवेश होते ही 31 फुट ऊँचा मानस्तम्भ बना हुआ है | चारो और जिनमंदिर है तथा बीच में मुख्य मंदिर है | मंदिर लगभग चार फ़ीट ऊँची चौंकी देकर बनाया गया है , और मंदिर के चारो और रेलिंगदार चबूतरा है |

मंदिर में केवल एक है खंड है, और यह काफी बड़ा है | इस मंदिर में केवल एक ही वेदी है | वेदी तीन दरवाजे की है और काफी विशाल है | मूलनायक प्रतिमा भगवान शांतिनाथ की है | यह श्वेत पाषाण की लगभग एक हाथ लम्बी पदमासन प्रतिमा है |

इसके दायी और भगवान अरहनाथ और बायीं और भगवान कुंथुनाथ की मूर्ति स्थापित है | वेदी में पांच बालयति (भगवान वासुपूज्य , भगवान मल्लिनाथ, भगवान नेमिनाथ, भगवान पार्श्वनाथ व् भगवान महावीर स्वामी ) है |

मध्य की प्रतिमा पदमासन और दो प्रतिमा खड्गासन है | दो प्रतिमाये खंडित है | सम्भवतः मुस्लिम काल में मुज्जफरनगर के भारग गाँव के जंगल में मिली थी, जो यहाँ पर ले आई गई | प्रतिमा पर कोई लेख नहीं है , इसलिए लोग चतुर्थ काल की मानते है |

मंदिरों की संख्या: परिसर में 15 मंदिर है, मंदिर से बाहर 100 मीटर दूरी पर मुख्य मार्ग पर 131 फीट ऊंचे कैलाश पर्वत की कृति में 75 मंदिर बने हुए हैं ।

जम्बूद्वीप जैन तीर्थ

जम्बूद्वीप की स्थापना 1972 में ज्ञानमती माताजी ने की थी और जम्बूद्वीप का मॉडल 1985 में पूरा हुआ था। इसके परिसर में विभिन्न जैन मंदिर हैं जिनमें सुमेरु पर्वत, कमल मंदिर, तीन मूर्ति मंदिर, ध्यान मंदिर, बड़ी मूर्ति, तीन लोक रचना और कई अन्य पर्यटक आकर्षण शामिल हैं।

अष्टापद तीर्थ

श्री अष्टापद तीर्थ का निर्माण श्री हस्तिनापुर जैन श्वेतांबर तीर्थ ट्रस्ट के तत्वावधान में किया गया था ।
यह 46 मीटर ऊंची (151 फीट) संरचना है, जो इसकी जटिल वास्तुकला और पत्थर की नक्काशी के लिए उल्लेखनीय है।

इसकी पंच-कल्याणक प्रतिष्ठा दिसंबर २००९ में गच्छदीपति आचार्य नित्यानंद सुरिश्वरजी की कृपा से हुई थी। यह अष्टापद तीर्थ – हिमालय पर अष्टापद पर्वत के भूगोल को दर्शाता है, जो शास्त्रों के अनुसार, वह स्थान है जहाँ प्रथम तीर्थंकर, ऋषभदेव ने मोक्ष (निर्वाण) प्राप्त किया था।

निकटतम शहर:- मेरठ: 38 किमी, दिल्ली: 110 किमी, मुजफ्फरनगर: 55 किमी
संपर्क नंबर:- 01233-280133/280188/280999

एक बार इस कल्याणक क्षेत्र के दर्शन का लाभ अवश्य लें ।
दीपक जैन (BOI) भोपाल