“वीर निर्वाण संवत” भारत का प्रमाणिक संवत है, जिसकी पुष्टि सुप्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता डॉ गौरीशंकर हीराचंद ओझा द्वारा वर्ष 1912 में अजमेर जिले में बडली गाँव (भिनय तहसील, राजस्थान) से प्राप्त ईसा से 443 वर्ष पूर्व के “84 वीर संवत” लिखित एक प्राचीन प्राकृत युक्त ब्रहमी शिलालेख से की गयी! शिलालेख अजमेर के ‘राजपूताना संग्रहालय’ में संगृहीत है!
24वें तीर्थंकर वर्धमान महावीर भगवान के निर्वाण के अगामी दिवस “कार्तिक शुक्ल एकम” से भारत का प्राचीन संवत् “वीर निर्वाण संवत्” आरंभ हुआ था!
ईसा से 527 वर्ष पूर्व के ‘वीर संवत’ के सैकड़ो वर्षो बाद “विक्रम संवत् – 57 ई.पू., शक संवत् – 78 ई., गुप्त संवत् – 319 ई. व हिजरी संवत् – 622 ई. आरम्भ हुआ था!
जैन पंचांग भी हिंदू पंचांग की तरह चंद्र-सूर्य पर आधारित है। पृथ्वी के संबंध में चंद्रमा की स्थिति के आधार पर महीने और इसे हर तीन साल में एक बार एक अतिरिक्त महीना (अधिक मास) जोड़कर समायोजित किया जाता है, ताकि मौसम के साथ चरण में महीने लाने के लिए सूर्य के साथ संयोग किया जा सके। इसकी तीथि चंद्रमा चरण को दर्शाता है और महीना सौर वर्ष के अनुमानित मौसम को दर्शाता है। जैन कैलेंडर में महीने इस प्रकार हैं- कार्तक, मगसर, पोष, महा, फागन, चैत्र, वैशाख, जेठ, आषाढ़, श्रवण, भादरवो, आसो।
चैनल महालक्षी और सांध्य महालक्ष्मी परिवार की ओर से हार्दिक मंगल कामनाएं