श्री शांति वीर शिवधर्माजीत वर्द्धमान सुर्रिभ्यो नमः
गणनी आर्यिका श्री ज्ञानमती जी जो ज्ञान तथा मति का भंडार है
ग्रहस्थ अवस्था मे बाराबंकी में आचार्य श्री देश भूषण जी के केशलोचन देख कर स्वयम केशलोचन करने लगी
आपने 18 वे वर्ष के जन्म दिन दिनांक 2 अक्टूम्बर 1952 को पर 7 प्रतिमा के व्रत लिये आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत तथा गृह त्याग किया
जिनकी क्षुल्लिका दीक्षा सन 1953 में श्री महावीर जी अतिशय क्षेत्र पर होने
से 5 नामो का एक नाम वीर प्राप्त होकर दीक्षा गुरु आचार्य श्री देश भूषण जी ने श्री वीर मति नामकरण किया
आर्यिका दीक्षा सन 1956 में प्रथमाचार्य आचार्य श्री शांति सागर जी के प्रथम पट्टाचार्य श्री वीर सागर जी ने क्षुल्लिका श्री वीर मति जी को आर्यिका श्री ज्ञान मति जी नामकरण किया
आपको यह गौरव प्राप्त है कि आचार्य श्री शांति सागर जी की परंपरा के सभी पट्टा चार्यो के आपने दर्शन किये है
पंचम पट्टा धीश आचार्य श्री वर्द्धमान सागर जी हमेशा महत्वपूर्ण अवसर पर प्रवचन में कहते है कि संन्यास मार्ग का श्रेय आर्यिका श्री ज्ञान मति जी को है
आपके परिवार से भी निम्न साधु है
1 स्वयं आप दीक्षा सन 1953
2 आर्यिका श्री रत्न मति जी माता
आचार्य श्री धर्म सागर जी से दीक्षित
3 आर्यिका श्री अभय मति जी
बहन आपने माताजी से क्षुल्लिका दीक्षा हैदराबाद में संवत 2021 में
आचार्य श्री धर्म सागरजी से दीक्षित होकर आर्यिका दीक्षा ली0
4 आर्यिका श्री चंदना मति जी
बहन आपकी आर्यिका दीक्षा आर्यिका श्री ज्ञानमती जी से हस्तिनापुर में 13 अगस्त 1989 को हुई
5 बाल ब्रह्मचारी श्री रविन्द्र जी
10 प्रतिमा धारी परिवार के अनेक सदस्य बाल ब्रह्मचारी ब्रह्मचारिणी है
राजेश पंचोलिया इंदौर