6 मई 2022/ बैसाख शुक्ल पंचमी /चैनल महालक्ष्मीऔर सांध्य महालक्ष्मी/
सराकोद्धरक राष्ट्रसन्त आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज की जन्म जयंती अगाध श्रद्धा पूर्वक मनाई गयी
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आयोजित हुए श्रुत संवर्द्धन शिविर
श्रुत संवर्द्धन ज्ञान संस्कार शिक्षण शिविरों के समापन में हुए मेधावी पुरस्कृत, विद्वान हुए सम्मानित
शिविरों से होता है नैतिकता का विकास और संस्कारों का बीजारोपण अद्वितीय, अद्भुत संत थे आचार्य श्री ज्ञानसागर : आचार्य ज्ञेयसागर
बरनावा जिला बागपत। परम पूज्य सराकोद्धरक आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के जन्म जयन्ती दिवस 1 मई के प्रसंग पर छाणी परम्परा के सप्तम पट्टाचार्य एवं आचार्य श्री ज्ञानसागर जी द्वारा दीक्षित ज्ञेयसागर जी महाराज ससंघ के सान्निध्य में श्री चंद्रप्रभ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बरनावा जिला बागपत में ब्र. अनीता दीदी, ब्र. मंजुला दीदी के निर्देशन में दो दिवसीय समारोह विविध सफलतम आयोजनों के साथ संपन्न हुआ। जिसमें आचार्यश्री पर केंद्रित चित्र प्रदर्शनी, कैरियर काउंसलिंग, सराक सम्मेलन, श्रुत संवर्द्धन ज्ञान संस्कार शिक्षण शिविरों का सामूहिक समापन समारोह, बैंकर्स फोरम का कार्यक्रम, रात्रि में नाटिका, पुस्तक विमोचन, आचार्यश्री के चरण कमलों का लोकार्पण आदि प्रमुख रहे। संचालन बरनावा क्षेत्र के महामंत्री श्री पंकज जैन जी मेरठ ने किया।
30 अप्रेल को जहाँ कैरियर काउंसलिंग व सराक सम्मेलन , रात्रि में नाटिका आयोजित हुई वहीं 1 मई को आयोजित समारोह का शुभारंभ प्रातः बेला में आचार्यश्री की पूजन के साथ हुआ। जिसमें अनेक स्थानों से आए श्रद्धालुओं ने भक्ति-नृत्य के साथ पूजन की। इसके बाद आचार्यश्री के पद चिन्हों का लोकार्पण एवं प्रक्षालन श्रेष्ठि श्री रवि जैन गाजियाबाद ने सपरिवार एवं समाज श्रेष्ठियों ने किया। ज्ञानसागर कीर्ति स्मारक का लोकार्पण श्रेष्ठि श्री मुकेश जैन आगरा परिवार द्वारा किया गया।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आयोजित श्रुत संवर्द्धन ज्ञान संस्कार शिविरों का हुआ समापन समारोह : श्रुत संवर्द्धन ज्ञान संस्कार शिक्षण शिविर संयोजक मनीष विद्यार्थी शाहगढ़ व चेतन शास्त्री बंडा ने बताया कि सराकोद्धारक,षष्टमपट्टाचार्य आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में सप्तम पट्टाचार्य श्री ज्ञेयसागर जी महाराज की पावन प्रेरणा एवं मंगल आशीर्वाद से श्रुत संवर्द्धन संस्थान मेरठ के तत्वावधान में श्रुत संवर्द्धन ज्ञान संस्कार शिविर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों के जैन मंदिरों में 21 अप्रैल से 30 अप्रैल तक आयोजित किए गए। उक्त तिथियों में यह शिविर मेरठ,मुजफ्फरनगर,बड़ौत, खतौली, शाहपुर, बुढ़ाना, कांधला, कैराना , छपरौली, आदि नगर, कस्बों की विभिन्न कालोनियों में स्थित 13 जैन मंदिरों में आयोजित किए गए। इन शिविरों का स्थानीय स्तर पर समापन 30 अप्रैल को एवं सामूहिक समापन 1 मई को अतिशय क्षेत्र बरनावा जनपद बागपत में आयोजित किया गया , जिसमें प्रत्येक शहर-कालोनियों के प्रथम,द्वितीय, तृतीय स्थान पाने वाले शिविरार्थियों के साथ शिविर में प्रशिक्षण प्रदान करने वाले विद्वानों को, शिविर संयोजकों आदि को पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया। सर्वप्रथम विद्वानों एवं अतिथियों ने चित्र अनावरण तथा दीप प्रज्वलित किया। स्वागत भाषण श्रुत संवर्द्धन संस्थान मेरठ के महामंत्री हंसकुमार जैन मेरठ ने प्रस्तुत किया। संचालन डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर (उप निदेशक शिविर समिति) ने किया। इस मौके पर बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति की गई।
कृतियों का हुआ विमोचन : इस अवसर पर श्रुत संवर्द्धन संस्थान मेरठ द्वारा प्रकाशित प्राकृत वाङ्गमय में आध्यात्मिक चेतना (लेखक डॉ. शीतल चंद्र जैन जयपुर) का एवं ज्ञान दीपिका (प्रस्तुति डॉ. ब्र. डी. राकेश जैन सागर) कृतियों का विमोचन अतिथियों , विद्वानों द्वारा किया गया।
अद्वितीय, अद्भुत संत थे आचार्य श्री ज्ञानसागर : आचार्य ज्ञेयसागर इस अवसर पर परम पूज्य आचार्य श्री 108 ज्ञेयसागर जी महाराज ने कहा कि मेरे गुरुवर आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज अद्वितीय, अद्भुत संत थे। उनके अचानक जाने से जो शून्य पैदा हुआ है उसकी भरपाई सम्भव नहीं है। अब आप सब का दायित्व है जिनके पास जो दायित्व थे उनको आगे भी जारी रखें यही आचार्यश्री के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
ब्र. अनीता दीदी जी ने कहा कि पूज्य गुरुवर ने आयोजन उनकी प्रशस्त प्रेरणा एवं सान्निध्य में हुए। जिससे समाज में एक नई क्रांति देखी गयी। सैकडों कैदियों को सुधारने कि दृष्टि से आचार्यश्री जेलों में प्रवचन देते थे। जेल अधिकारी उस समय दंग रह जाते थे जब प्रवचन के दौरान कैदी रो पड़ते है और आजीवन , मांस , मदिरा , जुआ आदि का त्याग कर देते थे। वे सराकों के राम थे।
श्रमण संस्कृति संस्थान सांगानेर जयपुर के अधिष्ठाता, वरिष्ठ विद्वान डॉ. जयकुमार जैन जी मुजफ्फरनगर ने कहा कि उनके द्वारा किये गए ऐतिहासिक कार्यों से वे सदैव जीवंत और अमर बने रहेंगे। इन शिविरों से समाज में नई जाग्रति देखने को मिली है। शिविर पूज्य आचार्य श्री ज्ञानसागर जी की अनुपम देन है।
शास्त्रि परिषद के अध्यक्ष, व्याख्यान वाचस्पति डॉ. श्रेयांस जैन जी बड़ौत ने कहा कि अपने ज्ञान गुण के माध्यम से आचार्य ज्ञानसागर जी निरंतर चिंतनशील रहते थे। उन्होंने अनेको संस्थाओं के गठन में अपना आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन प्रदान किया साथ ही जिन आगम के चारों अनुयोगों के ग्रंथों को छपवाकर अनेक स्थानों पर भिजवाया । ऐसे व्यक्तित्व बहुत बिरले होते हैं जो आत्म साधना करते हुए हजारों लाखों लोगों के उद्धारक भी हों।
शास्त्रि-परिषद के महामंत्री एवं मुख्य शिविर संयोजक ब्र. जय कुमार जी निशांत भैया जी ने शिविरों के उद्देश्य पर प्रकाश डाला और कहा कि आज पाश्चात सभ्यता का इतना विकास हो गया है कि हमारा समाज और देश सब पतन की ओर बढ़ रहे हैं ,ऐसी स्थिति में इस प्रकार के आयोजन होना समाज और राष्ट्र को पुनः संस्कारित करने में माध्यम बनेगें।
प्रो. नलिन के शास्त्री जी लाडनूं ने आचार्यश्री के विराट व्यक्तित्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 प्रकाशन में श्रुत संवर्धन संस्थान का प्रकाशन देख कर मन उल्लासित हो गया| अक्षर साधना के लिए समर्पित गुरुदेव के चरणों में यह विनयांजलि मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ब्र. प्रदीप जी पीयूष ने कहा कि आचार्यश्री का अविस्मरणीय अवदान है समाज और संस्कृति को, उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।
मुनि श्री ज्ञात सागर जी महाराज एवं अक्षतमती माता जी आचार्य श्री ज्ञानसागर जी से जुड़े संस्मरण सुनाए।
डॉ. सुनील जैन संचय ललितपुर ने आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के अवदान को रेखांकित किया।
आचार्य श्री ज्ञानसागर की अनुपम देन : उल्लेखनीय है कि उक्त शिविर सन 2001 से परम पूज्य सराकोद्धारक,षष्टमपट्टाचार्य आचार्य श्री 108 ज्ञान सागर जी महाराज की मंगल प्रेरणा से निरंतर आयोजित होते आए हैं। उनकी अकस्मात समाधि होने के बाद शिविरों की यह श्रृंखला उनके द्वारा शुरू किए गए प्रकल्पों को निरंतर जारी रखने का एक प्रयास है।
इस मौके पर श्रुत संवर्द्धन संस्थान मेरठ के महामंत्री हंसकुमार जैन मेरठ, ज्ञान सागर जन्म जयंती समारोह के संयोजक प्रमोद जैन सरधना, योगेश जैन खतौली, विवेक जैन गाजियाबाद, संस्कृति संरक्षण संस्थान दिल्ली के राकेश जैन, अनिल जैन (हलुआ वाले) दिल्ली, नीरज जैन मेरठ, रवि जैन गाजियाबाद, मुकेश जैन आगरा, वकील चंद्र जैन खेकड़ा, मनीष जैन मुजफ्फरनगर , सुनील प्रवक्ता मेरठ, शरद जैन सान्ध्य महालक्ष्मी दिल्ली, बैंकर्स फोरम के जे के जैन, जीवंधर जैन, प्रवीण जैन, महेश चंद्र जैन, रजनीश जैन, नरेन्द्र जैन बुढ़ाना, संदीप जैन बरनावा, आलोक शास्त्री दिल्ली आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
जन्म दिवस समारोह बरनावा में लगी आचार्य श्री ज्ञानसागर जी की चित्र प्रदर्शनी : चंद्रप्रभ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र बरनावा जिला बागपत में सराकोद्धारक पूज्य आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के जन्म दिवस के प्रसंग पर दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस मौके पर आचार्यश्री पर केंद्रित एक बहुत ही महत्वपूर्ण चित्र प्रदर्शनी बरनावा में प्रदर्शित की गई है। जिसे देखकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
इस मौके पर दिल्ली, मेरठ, मुजफ्फरनगर, खतौली, सरधना, मुरैना,बड़ौत, शाहपुर, बुढ़ाना, कांधला, कैराना , छपरौली आदि अनेक स्थानों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। अनेक स्थानों से पधारे विद्वानों की गरिमामयी उपस्थिति रही। अनेक गणमान्य अतिथि मौजूद रहे। सराक क्षेत्र से आए सराक बंधुओं ने आचार्यश्री की पूजा की स्थापना में भूमिका निभाई। आचार्यश्री की पूजन में श्रद्धालुओं ने नाचते-गाते हुए अपनी श्रद्धा भक्ति प्रदर्शित की। ज्ञान युवा क्लब मुजफ्फरनगर ने भक्तों ने भी खूब भक्ति की।
बरनावा तीर्थक्षेत्र के महामंत्री पंकज जैन मेरठ ने आभार व्यक्त किया।
शिविर प्रशिक्षक : ब्र. अनीता दीदी, ब्र. मंजुला दीदी, ब्र. ललिता दीदी, ब्र. रश्मि दीदी, अभिषेक शास्त्री, गौरव शास्त्री, अनिरुद्ध शास्त्री, सचिन शास्त्री, रोहित शास्त्री,पारस शास्त्री, गौरव शास्त्री, विश्रुत शास्त्री, रूपांश शास्त्री, गौरव शास्त्री, सम्यक शास्त्री, पंडित जिनेन्द्र सिंघई, सिंघई शशांक शास्त्री, सम्यक शास्त्री, आदर्श शास्त्री, शीलचंद्र शास्त्री, अनुज शास्त्री, अंकित शास्त्री, स्वप्निल शास्त्री, महेंद्र शास्त्री, कपिल शास्त्री, प्रियांश शास्त्री, अमन शास्त्री, आदर्श शास्त्री, रोहित शास्त्री, सम्यक शास्त्री आदि त्यागी वृतियों-विद्वानों ने शिविरों में शिक्षण प्रदान किया, जिनका बरनावा में आयोजित सामूहिक शिविर समापन समारोह में सम्मान किया गया।