गुणस्थानों में जीवों की संख्या- तीन कम नौ करोड मुनिराज सभी भावलिंगी ही होते है

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* प्रथम गुुणस्थान में जीवों की संख्या अनंतानंत है |
* द्वितीय गुणस्थान में जीवों की संख्या पल्य के असंख्यातवे भाग प्रमाण है
* तृतीय गुणस्थान में जीवों की संख्या पल्य के असंख्यातवे भाग प्रमाण है |
* चतुर्थ गुुणस्थान में जीवों की संख्या पल्य के असंख्यात्वे भाग प्रमाण है
* पंचम गुुणस्थान के जीवों की संख्या पल्य के असंख्यात्वे भाग प्रमाण है
* द्वितीय गुणस्थान में मनुष्यों की अपेक्षा संख्या बावन (52) करोड प्रमाण है |
* तृतीय गुणस्थान में मनुष्यों की अपेक्षा संख्या एक सौ चार (104) करोड प्रमाण है |
* चतुर्थ गुुणस्थान में मनुष्यों की अपेक्षा संख्या सात सौ (700) करोड प्रमाण है |
* पांचवे गुणस्थान में मनुष्यों की अपेक्षा संख्या तेरह (13) करोड प्रमाण है
* छटवे गुणस्थान में जीवों की संख्या पांच करोड़ तेरानवें लाख अठानवें हजार दो सौ छह (59398206) है |
* सातवें गुणस्थान में जीवों की संख्या दो करोड छियानवे लाख निन्यानवे हजार एक सौ तीन (29699103) है |
* उपशम श्रेणी के 8, 9, 10,11 वें गुणस्थानो के जीवों की संख्या दो सौ निन्यानवे (299, 299, 299, 299 ) है |
* उपशम श्रेणी के चारों गुणस्थानों के जीवों की संख्या ग्यारह सौ छियानवे (1196) है |
* क्षपक श्रेणी के 8 ,9 ,10,12, वें गुणस्थानों मे जीवो की संख्या पांच सौ अठानवें (598 ,598 , 598 ,598) प्रमाण है
* क्षपक श्रेणी के चारों गुणस्थानों के जीवों की संख्या 2392 है |
* तेरहवें गुणस्थान में जीवों की संख्या आठ लाख अन्ठानवें हजार पांच सौ दो (898502) है |
* चौदहवें गुणस्थान में जीवों की संख्या पांच सौ अन्ठानवें (598) है |
छटवे गुणस्थान से चौदहवें गुणस्थान तक के दिगम्बर मुनिराजों की संख्या का जोड तीन कम नौ करोड़ है |
* तीन कम नौ करोड की मुनिराजों की संख्या का जोड इस प्रकार है
5,93,98,206 + 2,96,99,103 + 1,196 + 2,392,+8,98,502,+ 598 = 8, 99 , 99 , 997 मुनिराजों की जय
* तीन कम नौ करोड मुनिराज सभी भावलिंगी ही होते है
संख्या की अपेक्षा दो आचार्यों के दो मत है एक आचार्य मानते है कि छह महीने आठ समय में छह सौ आठ (608) जीव मोक्ष जाते है | दूसरे आचार्य मानते है छह महीने आठ समय में पांच सौ अन्ठानवें (598) जीव मोक्ष जाते है। तीन कम नौ करोड मुनिराज की संख्या 598 की अपेक्षा से है
सभी द्रव्य लिंगी मुनिराज मात्र पहले गुणस्थान में ही नहीं होते दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें गुणस्थान में भी होते है।

चतुर्दशी पर्व पर सभी दिगम्बर मुनिराजों के चरण कमलों में त्रियोग पूर्वक, त्रिकाल में, त्रिवार , नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु।