लाल पत्थर से बन रहा, सीमेंट-कांक्रीट या लोहे का इस्तेमाल नहीं , मंदिर की छत पर रखी ‘चाभी, अब बनेगा शिखर

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गुना , कैंट स्थित जिनालय के पुनर्निर्माण का शनिवार देर शाम को एक अहम चरण पूरा हुआ। इसके तहत मंदिर की छत का अंतिम हिस्सा रखा गया। पूरी तरह पत्थरों से बनने वाले मंदिर के इस हिस्से को चाभी ’ कहा जाता है। मंदिर समिति पदाधिकारी जैनेंद्र झांझरी ने बताया कि करीब चार फीट व्यास वाले इस हिस्से को उठाने के लिए हाईड्रॉलिक क्रेन को बुलाया गया था। इस पूरी प्रक्रिया में एक घंटे लगे। उन्होंने बताया कि इस दौरान मुनिश्री प्रसाद सागरजी अपने संघ के साथ मौजूद रहे। पाषाण से बनने वाले मंदिरों में “चाभी’ रखने की प्रक्रिया मुनियों की मौजूदगी में होती है। शास्त्रों में यही विधान है। इसलिए हम लंबे समय से मुनिसंघ के आने का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने बताया कि अब बाहरी ढांचे का अंतिम काम यानि शिखर का निर्माण शुरू हो सकेगा।
कैंट जिनालय का पुनर्निर्माण 2021 में पूरा होगा
हाईड्रोलिक क्रेन से रखी गई चाभी।
250 किमी के दायरे में एकमात्र पाषाण जैन मंदिर
श्री झांझरी ने बताया कि जिले का यह एकमात्र जिनालय है जो पूरी तरह लाल पत्थर से बन रहा है। इसमें कहीं भी सीमेंट-कंक्रीट या लोहे का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। आसपास भी 250 किमी तक कोई भी मंदिर इस तकनीक से नहीं बना। इस जैसा एक मंदिर दमोह के कुंडलपुर में है। उन्होंने बताया कि शहर में सबसे पहले कैंट का ही जैन मंदिर बना था। इसकी पुरानी इमारत बहुत ज्यादा जर्जर हो चुकी थी, इसलिए उसकी जगह नए सिरे से निर्माण करवाना पड़ा।
संकलन अभिषेक जैन लुहाड़िया रामगंजमंडी