19 सितंबर 2024/ अश्विन कृष्णा दौज /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/
आज हर की जुबान पर एक ही बात है कि तीर्थों की सुरक्षा के लिये तीर्थक्षेत्र कमेटी कर क्या रही है? ये हवा-हवाई बात नहीं है, स्वयं आंखों देखी है। पिछले लगभग 5 महीनों में चैनल महालक्ष्मी को भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष बाबू जम्बू प्रसाद जैन जी के साथ कुछ बैठकों व लगभग 20-25 तीर्थों पर जाने का अवसर मिला। इन जगहों पर तीर्थक्षेत्र कमेटी के अंचल अध्यक्षों की भी कई बार सहभागिता रही। इनमें से किसी तीर्थ की कमेटी ने यह नहीं कहा कि हमारी तरफ से अमुक सहयोग, अमुक राशि तीर्थक्षेत्र कमेटी को दी जा रही है। वहीं आधे तीर्थ-मंदिरों की अपेक्षा थी कि तीर्थक्षेत्र कमेटी उनका सहयोग करे। सबके पास कुछ ना कुछ, ऐसे कार्यों की सूची थी और दूसरी तरफ तीर्थक्षेत्र कमेटी की गुल्लक लगभग खाली। ऐसे में क्या दे, उसकी तो पहले ही जेब खाली है। चल रहे विवाद ही, दिन रात में इकट्ठी की गई राशि को, लेने को सदा तैयार रहते हैं। ऐसे में क्या किया जाये? जरूरी है तीर्थों के संरक्षण और संवर्धन की, उनकी सुरक्षा की। आर्थिक रूप से कमजोर तीर्थों को मजबूती कैसे प्रदान कर सके?
मंदिर-मंदिर गुल्लक योजना
ऐसे में ऐसा क्या किया जाए? 40-45 साल पहले की गुल्लक योजना में एक सुनहरी किरण दिखने लगी। पिछले 2-3 माह में कई मंदिर-तीर्थ आगे आये तीर्थक्षेत्र कमेटी की गुल्लक रखने के लिये, जिनमें श्री महावीरजी, अहिच्छेत्र, अयोध्या, गाजियाबाद, वसुंधरा, इन्दौर आदि तीर्थों ने पहल भी कर दी। यह है अच्छे दिनों की शुरूआत। वर्तमान में देश में लगभग 12,500 दिगम्बर जैन मंदिर हैं और हर में हो तीर्थक्षेत्र कमेटी का सहयोग पात्र (गुल्लक)। हां, कमेटियां, अपनी-अपनी स्थिति देखकर आज तीर्थक्षेत्र कमेटी का आर्थिक सहयोग तो वर्तमान में नहीं कर सकती। पर हां, हर मंदिर इतना तो कर ही सकता है। अगर इस साल यह बीज के रूप में बो दिया, तो अगले कुछ वर्षों में इसे हरा भरा फलदार वृक्ष बनने में देर नहीं लगेगी। यह फल भी देगा और छाया भी। छाया यानि हर तीर्थ, जो इस के नीचे आएगा, उसका संरक्षण और संवर्धन, साथ ही सुरक्षा का अहसास भी। साथ ही फल उनके लिये, जिन तीर्थों को जरूरत है, उनको आर्थिक स्वाद रूपी फल।
बस एक रुपया रोज,हर उस मंदिर से जुड़े व्यक्ति से
आज एक रुपये की क्या वेल्यू है, कुछ नहीं। आज कोई जैन बंधु ऐसा नहीं, जो रोज एक रुपया ना निकाल सके। बस यही एक रुपया मजबूत नींव का आधार बनेगा। रोज एक रुपये में दो शुभ कार्य होंगे। पहला, हर जैन के बीच रोज दान दने की आवश्यक कर्म की पूर्ति होगी, जिसके लिए रोज देव दर्शन के लिये हर जैन मंदिर जाएगा। यह संकल्प करना होगा, हम सबको, अपने धर्म की सुरक्षा के लिये, संस्कृति के संवर्धन के लिये, विरासतों के संरक्षण के लिये। इतना तो हर को करना ही होगा, जैन कुल में जन्म लेने का कर्तव्य पूरा करने के लिये। यह तो सबसे आशा की ही जा सकती है। इस तीर्थक्षेत्र कमेटी के सहयोग पात्र (तीर्थ सुरक्षा गुल्लक) में आप रोज, परिवार का हर जन एक रुपया डाले या एक साथ पूरे माह का, वह आपकी इच्छा पर निर्भर करता है। हां, जो अपना ज्यादा सहयोग करना चाहते हैं, तीर्थों की सुरक्षा में समर्पित होना चाहते हैं, वे अधिक दान दें, पुराने तीर्थों की सुरक्षा में दिया गया दान, वर्तमान के पण्डाल, खान-पान, बैंड बाजा में दी राशि से कई गुणा पुण्य का संयोजन करेगी, यह तो विश्वास से कह ही सकते हैं।
एक रुपया रोज से होगा क्या?
हां, एक सवाल हर के जहन में जरूर उठ रहा होगा, कि हर जैन भाई से एक रुपया रोज, बस सब आर्थिक समस्याओं का समाधान। जी हां, यह संभव है। वर्तमान में दिगंबर जैनों की संख्या एक करोड़ से कहीं ज्यादा होगी। वर्तमान में जैनों में 70 फीसदी आज भी दिगंबर जैन हैं। एक करोड़ रोजाना आएंगे। साल में, बताने की जरूरत नहीं। पर यह तभी संभव है, जब हर भाई-बहन, मां-बाप, बेटा-बेटी, अपने तीर्थों की सुरक्षा के लिये एक रुपये रोज देंगे। और इस तरह 2-3 वर्ष में ही, काया-पलट होने में देर नहीं लगेगी। यह शुरूआत हम सबको आज ही से करनी होगी। करेंगे आप सब।
शुरूआत मंदिर कमेटियों से
चैनल महालक्ष्मी हाथ जोड़कर सभी मंदिर कमेटियों से निवेदन करता है कि अपने-अपने मंदिर में दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्रों के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु सहयोग पात्र (दान पेटिका) को भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी से 9833671770, 9958002782 पर सम्पर्क करेंगी, कल नहीं, आज ही। यह जिम्मेदारी, हर मंदिर की कमेटी को निर्वहन करनी चाहिये। यह पूरे समाज के प्रति, कमेटियों की जिम्मेदारी बनती है। एक नई सुबह की किरण, नजर आने लगी है, और सुनहरे कल का हर को इंतजार भी उत्सुकता के साथ है।