(22-11-2021 नागरिक उड्डयन मंत्री ज़ी कों पत्र लिखा गया है, इस संधर्म में प्रधानमंत्री ज़ी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री, गुलबर्गा के संसद ज़ी कों भी पत्र दिया गया है.)
भारत के इतिहास में गुलबर्गा जिले की अपनी एक समृद्ध सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत है।
भारत के हजारों वर्षों के इतिहास के दो सबसे बड़े साम्राट चंद्रगुप्त मौर्य और राष्ट्रकुट के अमोघवर्षा नृपतुंग रहे हैं। किसी भी राज्य ने इतने विशाल भू-भाग पर शासन नहीं किया जितना मौर्य और राष्ट्रकूट साम्राज्य ने किया हो, विशेष बात- दोनों साम्राज्य जैन धर्म के थे
राष्ट्रकूट साम्राज्य की राजधानी वर्तमान के गुलबर्गा जिल्हे में है। राष्ट्रकूट साम्राज्य के समय कन्नड़ साहित्य का लेखक जैन कवियों द्वारा किया गयी है। इस प्रकार से राष्ट्रकूट साम्राज्य सिर्फ गुलबर्गा ही नहीं बल्कि कर्नाटक और भारत की शान है।
नवनिर्मित गुलबर्गा हवाई अड्डा राष्ट्रकूट साम्राज्य की राजधानी मलखेड से सिर्फ 20 किमी दूर है। पूरे गुलबर्गा लोगों और जैनियों को इसके लिए प्रयास करना चाहिए कि इस हवाई अड्डे को इन तीनों में से एक नाम दिया जाए-
1- आचार्य वीरसेन हवाई अड्डा (Aacharya Veerasena Airport)
2- राष्ट्रकूट हवाई अड्डा (Rashtrakuta Airport)
3- सम्राट अमोघवर्ष नृपतुंगा हवाई अड्डा ( Samrat Amoghavarsha Nripatunga Airport)
आचार्य वीरसेन, जो जैन धर्म के इतिहास के महान आचार्यों में से एक थे, आचार्य जिनसेना के राष्ट्रकूटों के अमोघवर्ष राजा के शिक्षक थे। कहने को तो हजारों बातें हैं, इतिहास बहुत बड़ा है। संक्षिप्त में भी वर्णन ना कर पाऊ ईतनी बड़ी राष्ट्रकुट की विरासत है.
राष्ट्रकूटों के साम्राज्य का एक समृद्ध इतिहास है जिसका संक्षेप में वर्णन नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रकूट काल के दौरान निर्मित लगभग 1 लाख जैन बसादियों का राष्ट्रकूट का 230 वर्ष का शासन, जिसका इतिहास इतिहास के पन्नों से पता लगाया जा सकता है
जैन धर्म के पवित्र धवळ ग्रन्थ की रचना महान आचार्य वीरसेन ने राष्ट्रकूट काल में की थी। आचार्य वीरसेन ने 60 हजार से अधिक श्लोक लिखे हैं। आचार्य वीरसेन आचार्य जिनसेना के गुरु थे। आचार्य जिनसेन सम्राट अमोघवर्ष के स्वामी थे। इसलिए प्रत्येक जैन प्रयत्न करे की सरकार ऐसे इतिहास जिल्हे के हवाई अड्डे को ऊपर वर्णित तीन नामों में से एक का नाम दे। यह हमारा कर्तव्य है……
महेश जैन, श्री दिगंबर जैन ग्लोबल महासभा