ग्वालियर (मध्यप्रदेय) स्थित गोपाचल पर्वत पर उकेरी हुई दिगम्बर तीर्थकर प्रतिमाओं की हो रही लगातार अवमानना – दोषी अधिकारी-कर्मचारियो पर हो सख्त कार्यवाही ASI को पत्र

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28 सितम्बर 2023/ भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी /
दिनांकः 25 सितम्बर, 2023
महानिदेशक
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण,
मुख्यालय, धरोहर भवन, 24 तिलक मार्ग
नई दिल्ली – 110001

विषयः ग्वालियर (मध्यप्रदेय) स्थित गोपाचल पर्वत पर उकेरी हुई दिगम्बर तीर्थकर प्रतिमाओं की हो रही लगातार अवमानना – दोषी अधिकारी-कर्मचारियो पर हो सख्त कार्यवाही

माननीय महोदय,

सादर जयजिनेन्द्र


उपरोक्त विषय आपकी जानकारी में पहले से ही होगा, पर लगातार उनपर, अविनय, विद्रूप होती भगवानों की मूर्तियों को देख अपने आखों से निकले आसूओं में पानी नहीं, खून बरसता है। इस धर्मप्रधान देश भारत में हर कोई ईश्वर, भगवान, तीर्थंकर, गुरु, ख़ुदा को अपने अपने रूप में पूजता, मानता है, ऐसे में एएसआई, जो सरकार की ही एक ईकाई है और अल्पसंख्यको के प्रति, पुरातत्व रूपी प्रतिमाओं के प्रति जिम्मेदारी जिसकी कई गुना बढ़ जाती है, उससे जैनो की अनदेखी क्यों ?

ग्वालियर के किले की बाहरी के दीवारो पर (गोपाचल पर्वत) उकेरी विशाल दिगंबर तीर्थकंर प्रतिमाओं विशालता व शिल्पकला के रूप में विश्व के अद्भुत आश्चर्यों में मानी जाने योग्य है। 13वीं- 14वीं सदी को इन तीर्थकेर प्रतिमाओं को खण्डित करने का दुस्साहस भी हुआ, पर आज भी कई की पूजा भी होती है, जिसमे आपका सहयोग सुरक्षा सफाई, संरक्षण के रूप में रहता है। पर आज भी वहॉ इस कार्यनीति रीति में, लापरवाही ही नहीं, गैर जिम्मेदाराना कार्य हो रहा है, और गलत देखकर उचित कदम उठाने की बजाय चुप्पी रखकर उस घृणित, अपमानित दुष्कार्य की मानो स्वीकृति देते है।

आपसे नही छिपा होगा कि किले (गोपाचल पर्वत) पर बने केन्द्रीय मंत्री सिन्धियाजी परिवार के प्रतिष्ठित स्कूल से गंदा पानी लगातार इन भगवानों की मूर्तियों पर गिर रहा है, जिनके ऊपर प्रासुक (शुद्ध) जल से अभिषेक किया जाता है। क्या आपका उनकी पुज्यता के हनन को रोकना कर्तव्य नहीं हैं ?
इस पर चुप रह सकते है, पर इस तरह उन मूर्तियों का क्षरण हो रहा है, उसकी तो पूरी जिम्मेदारी आपकी है।
इस पर आंखे मंूदना, कार्यवाही न करना अपने कर्तव्यहीनता का बोध कराती है। किसका दवाब है आपके ऊपर ? अनेक बार शिकायतें आने के बावजूद कार्यवाही न होना, धर्म प्रधान देश के एक जिम्मेदार संस्थान की अपने उद्देश्य से भटकना, भूलना ही है व गैरजिम्मेदारी का दोष
भी हैं।

यही नहीं, जैसा संलगन फोटो से भी दिख रहा है, आप द्वारा नियुक्त सफाई कर्मचारी, सड़क आदि कीे सफाई करने वाले झाड़ू को लेकर प्रतिमा के ऊपर, खड़े होकर सफाई करना निदंनीय ही नहीं, प्रतिमा के निरादर, असम्मान के कारण बहुत गंभीर अपराध है। क्या भगवान की मूर्तियों को पत्थर समझ लिया गया है ? वहाँ पर प्रवेश पर ही जूते चप्पल का निषेध होने के बावजूद आपके द्वारा नियुक्त कर्मचारी ही जूते – चप्पल लेकर धूमते हैं। (फोटो संलग्न) यह सब अधोहस्ताक्षरी ने स्वंय अपनी आखों से देखा है। ऐसे दोषी कर्मियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही होनी ही चाहिए व उचित दिशा निर्देश जारी हों।

आपके या राजकीय पुरातत्व विभाग की ये गैरजिम्मेदाराना द्रश्य पूरे जैन समाज मे रोष उत्पन्न करते हैं। और यही अहिंसक, शांतिप्रिय समाज वंदनीय प्रतिमाओं के साथ यह अनादर असम्मान, उन्हें आवाज उठाने के लिये बाध्य करने को मजबूर कर रहा है। दोषी आपके विभाग के स्पष्ट दिखते हैं। कृपया उचित त्वरित कार्यवाही करें, इसे कोई भी धर्मप्रेमी, किसी भी धर्म का हो, यह स्वीकार्य नही कर सकता। अगर ऐसा किसी अन्य धर्म को होता, तो समाज यह पत्र से अनुरोध नही करते, स्वयं विरोध में खड़ा हो गया होता।
अविलम्ब कार्यवाही का अतिआवश्यक कदम उठाया जाये।

पुनः जय जिनेन्द्र

भवदीय

(शरद जैन)
महामंत्री तथा
(संपादक चैनल महालक्ष्मी/सांध्य महालक्ष्मी)
Email: info@channelmahalaxmi.com