सिंधिया परिवार के नियंत्रण में चल रहे शिक्षा मन्दिर से गंदे पानी की उचित निकासी व्यवस्था न होने से धर्म मन्दिर के भगवानों का अपमान

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केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी को गोपाचल पर्वत पर तीर्थंकरो की प्रतिमाओं पर लगातार गिरते गंदे पानी के लिए जैन धर्म संरक्षण महासंघ की ओर से लिखा गया पत्र

दिनांक: 27 फरवरी 2022

श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी,
माननीय उड्डयन मंत्री,

भारत सरकार,
राजीव गांधी भवन, सफदरजंग एयरपोर्ट क्षेत्र,
नई दिल्ली-110003

विषय -आपके संसदीय क्षेत्र में आपके सिंधिया परिवार के नियंत्रण में चल रहे शिक्षा मन्दिर से
गंदे पानी की उचित निकासी व्यवस्था न होने से धर्म मन्दिर के भगवानों का अपमान

माननीय महोदय,

रविवार, 27 फरवरी को दिल्ली में उतर रहे यूक्रेन से लौटे छात्रों को सम्बोधित करते हुए आपने मार्मिक उद्बोधन में बहुत सही कहा कि ना आप, ना मोदी सरकार जब तक चैन की सांस नहीं लेगी, जब तक, वहां पर फंसा हर व्यक्ति मातृभूमि पर सुरक्षित नहीं लौट आयेगा। धन्यवाद आपके इस सराहनीय प्रयास व संकल्प को।
महोदय, जहां आपने चंद हजार बच्चों के लिये त्वरित उचित कदम उठाये, चैन से ना बैठने का संकल्प लिया, वहीं बरसों से 45 लाख जैन ही नहीं, वरन 130 करोड़ इस मातृभूमि पर रहने वाला धार्मिक समाज भी अभी तक चैन की सांस नहीं ले पा रहा है।

ग्वालियर पोर्ट पर बने आपके परिवार द्वारा संचालित द सिंधिया स्कूल में प्रशासनिक जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं हो रहा। स्कूल में गंदे पानी की निकासी की उचित व्यवस्था नहीं है, जिससे स्कूल से सारा गंदा पानी इसी गोपाचल पर्वत पर सदियों पुरानी भगवान की प्रतिमाओं, प्राचीन पुरातत्त्व के रूप में दर्ज जैन तीर्थंकरों (भगवानों) पर वह पानी पड़कर देश के ही नहीं, विश्व के धर्म प्रेमियों को अपमानित कर रहा है।

अभीहाल में आप कुडलपुर में बड़े बाबा के दर्षन करने गये थे, फिर दूसरे दिन ग्वालियर के ही एक पंचकल्याणक महोत्सव में भी गये । आपने अनेक बार देखा होगा कि जैन समाज भगवान की प्रतिमाओं पर केवल शुुद्ध वस्त्र पहनकर प्रासुक (शुद्ध) जल से ही अभिषेक करता है और ये प्रतिमायें मन्दिर में छत्त के नीचे या खुले में (जैसे श्रवणबोलगोल में बाहुबली स्वामी) हो, जिनसे छूकर, वह जल गंधोदक बन जाता है और मस्तक पर उसे लगाकर लोग शांति व आनंद की अनुभूति प्राप्त करते हैं।

जहां दूसरी ओर इसी गोपाचल पर्वत में इन प्रतिमाओं के दर्शन के लिये जूते पवित्रता बरकरार रखने हेतू चप्पल तक उतारकर जाने का नियम है, वहीं आपके स्कूल के नीचे इस तरह अपमान असहनीय है।

भगवान कोई भी हो ऋषभनाथ जी हो या महावीर स्वामी, श्रीकृष्ण जी हों या श्रीराम जी, सभी का आदर करना 130 करोड़ भारतीय अच्छी तरह जानते है। पर आपके इस स्कूल का गंदा पानी, इन ऐतिहासिक धरोहरों भगवान की प्रतिमाओं पर पड़कर भगवान का निरादर व धार्मिक भावनाओं का अपमान कर रहा है। क्या इस तरह निरादर कर, इन बच्चों को क्या षिक्षा दी जा रही है। बाबर ने तो 1557 में बाहर से आकर निरादर किया था, पर आप तो स्वतंत्र धर्ममय भारत में निरादर कर रहे हैं।
आपसे विनम्र अनुरोध है कि निकासी की तत्काल उचित व्यवस्था कर अहिंसक-शांतिमय जैन समाज ही नहीं, वरन पूरे धार्मिक समाज की भावनाओं का मान रखें।

भगवान की प्रतिमाओं का अपमान, नहीं सहेगा धर्ममय हिन्दुस्तान।
उचित कार्यवाही के साथ आपके त्वरित उत्तर की अपेक्षा में,
भवदीय
(शरद जैन)
महामंत्री
Mail id :info@channelmahalaxmi.com