॰ सोने-चांदी के आभूषणों की लूट
॰ पुलिस वालों व मंत्री की मौजूदगी में शर्मसार हादसा
26 अगस्त 2024// भाद्रपद कृष्णा अष्टमी//चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/शरद जैन /
किसी भी जैन तीर्थ पर भयावह दर्दनाक शर्मसार घटना आज तक नहीं देखी-सुनी गई, जब जैन यात्रियों को जैन कर्मचारियों ने ही बुरी तरह पीटा हो। इस घटना ने कई ज्वलंत मुद्दों पर सवालिया निशान लगाकर कमेटियों, समाज को चिंतन पर विवश कर दिया है :-
॰ ऐसे महंगे तीर्थ, जहां न्यूनतम 5100 रु. देकर ही अभिषेक कर सकते हो, वहां हर माडर्न सुविधा के बावजूद क्यों यात्री असुरक्षित, क्या ऐसे तीर्थों पर सामान्य जैन यात्री जाएगा?
॰ तीर्थों पर मनोरंजन की अतिरिक्त सुविधायें, तीर्थों और यात्रियों की सुरक्षा के लिये खतरा तो नहीं?
॰ अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस, पर सीसीटीवी कैमरे मौके पर बंद या खराब क्यों रहते हैं?
॰ अगर ऐसी कोई घटना होती है, तो कमेटी व पुलिस भी यात्रियों को सुरक्षा नहीं दे सकती?
॰ क्या आज श्रावकों के लिये तीर्थ असुरक्षित हो गये हैं?
इस बारे में यू-ट्यूब चैनल महालक्ष्मी पर एपिसोड नं. 2811 में पूरा घटनाक्रम देख सकते हैं।
3000 वर्ष प्राचीन प्रतिमायें म.प्र. की शिवपुरी में तहसील खानियांधाना से लगभग 9 किमी पर एक छोटी पहाड़ी पर नव अत्याधुनिक विकसित क्षेत्र है गोलाकोट। लगभग 264 सीढ़ियां चढ़ने के बाद गोलाकोट मंदिर पहुंचा जाता है। मंदिर में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ की मूलनायक प्रतिमा चमत्कारी है। यहां मंदिर परकोटे के दो दालनों में अनेक प्रतिमायें मूर्ति भंजकों की दास्तान कहती है, जिनके सिर काट लिये थे।
हां, इसी गोलाकोट पर शनिवार 17 अगस्त 2024 को जो हुआ, वो आज तक किसी तीर्थ पर नहीं देखा होगा। ललितपुर से लगभग 15-16 परिजन जिसमें बच्चे-महिलायें भी शामिल थीं, यहां दर्शन करने आये।
ललितपुर के मऊठाना मौहल्ला के 38 वर्षीय विक्रांत मोदी ने सान्ध्य महालक्ष्मी को बताया कि हम लोग सायं 5.30 बजे के लगभग मंदिर के पास तालाब में बोटिंग करने गये, तो पहले दो टिकट 300 रु. की ली, जिसमें 12 लोग बोटिंग कर सकते थे, पर हम 11 ही थे। फिर हमारे जीजाजी एक और टिकट 150 रुपये की लाये। वे 4 बड़े और एक 3 साल का बच्चा था। वहां नाव वाला 4 लोगों वाली बोट लाया और बोला 4 ही जाएंगे, बच्चा नहीं। इस पर विवाद हुआ, हमने कहा एक उतर जाता है, दो चक्कर लगा लिये, हमारी जगह बच्चे को बिठा लो।
इस पर तू-तू, मैं-मैं शुरू हो गई। टिकट 6 की, कुल 5 जनें, पर नाव वाले शिव शर्मा से विवाद हुआ, थोड़ी गाली-गलौज भी। खैर वहां से हम सब खाना खाकर वापस मंदिर प्रांगण में आये। तब एक ने सूचना दी, अभी जाना मत, बाहर कई लाठी-डंडे लेकर इंतजार कर रहे हैं। इधर भोपाल से आई महिलाओं को मंदिर से बाहर भेज दिया, सबको कहा मंदिर बंद हो रहा है, आप जाओ। यानि सबको एक साजिश के तहत बाहर निकाल दिया। हम एक छोटे कमरे में चले गये। दरवाजा बंद कर लिया, स्लाइडिंग खिड़की भी बंद की। पुलिस को फोन किया। कमेटी को सूचना दी। मंत्री डॉ. चक्रेश जैन अपने युवा बेटे के साथ आये भी, उनको हमने अपनी सारी बात बता दी। तब उन्होंने कहा कि आपकी बात सुन ली, अब उनकी भी सुन लें। हमने सोचा 4-5 लोग आयेंगे, उनकी तरफ से, पर फिर क्या हुआ लाइट चली गई और वो सौ डेढ़ सौ डण्डे-रॉड से लैस एक साथ टूट पड़े। सभी मंदिर का स्टॉफ था। मां-बहन की गंदी गालियां देने लगे। हमने गाली देने को मना किया, बस फिर उन्होंने हमला कर दिया। इसके लिये प्राथमिकी भी दर्ज कराई, जो उस रात 12 बजकर 12 मिनट पर मेडिकल के बाद दर्ज हुई।
सान्ध्य महालक्ष्मी के पास उस प्राथमिकी की प्रति है, उसमें लिखा है कि अनिल ने डण्डा मारा, जो अविनाश की नाक पर लगा, खून निकला, दूसरा डण्डा मारा जो कमर में लगा मुदी चोट आई। मयंक जैन कर्मी ने समय जैन को डण्डा मारा, जो सिर पर लगा, खून निकल आया। सिद्धार्थ ने लोहे की रोड मारी जो आयुष जैन के सिर पर लगी, नाक व सिर से खून निकला। मनोज झा ने डण्डा मारा जो चक्रेश जैन के सिर में लगा, दाहिनी तरफ आंख के पास भी लगा, खून निकला। राहुल जैन-सवि जैन बचाने आये तो सिद्धार्थ ने लोेहे की रॉड सवि को मारी, माथे से खून की धार निकल गई। मनोज झा ने भी बाये हाथ पर डंडा बरसा दिया। अनिल जैन ने राहुल जैन के दाये कंधे पर डण्डा मारा। उन्होंने धमकाया कि अगर थाने में रिपोर्ट की तो जान से खत्म कर देंगे। सोने की चैन-अंगूठी भी छीन लिये। महामंत्री के युवा बेटे को भी डण्डा मारा गया।
इस पर सान्ध्य महालक्ष्मी ने प्रभारी, खानिया धाना थाने के सुरेश शर्मा से बात की और कहा कि तीन पुलिस वालों की मौजूदगी में ये जैन यात्री पीटे गये, वो रोक नहीं पाये, न ही दोषी पकड़े गये। तब उन्होंने कहा कि जब इतना बड़ा मॉब हमला करता है, तो केवल 3 क्या कर सकते हैं, फिर भी उन्होंने पूरी कोशिश की। क्या कोई सोच सकता है अहिंसा परमो धर्म तीर्थ पर ऐसा हिंसा का ताण्डव हो सकता है। दोषियों की गिरफ्तारी का भी उन्होंने आश्वासन दिया।
गोलाकोट के मंत्री डॉ. चक्रेश जैन ने सान्ध्य महालक्ष्मी को बताया कि ऐसी घटना आज तक नहीं हुई। सभी दोषी तीर्थ के पुराने कर्मचारी ही हैं और उनका बैक रिकॉर्ड जरा भी खराब नहीं। उन्होंने पीड़ित लोगों का मेडिकल करवा कर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। फिर अगले दिन सुबह निर्यापक श्रमण सुधा सागरजी के पास जाकर सारे घटनाक्रम की जानकारी दी। उन्होंने पूछा कि शिकायत दर्ज करा दी क्या? और हमारी सहमति के बाद कहा कि कानून अपना कार्य करें। सान्ध्य महालक्ष्मी ने जब उनसे सीसीटीवी रिर्काडिंग के बारे में पूछा तो मंत्री जी का जवाब था कि उस जगह के कैमरे खराब थे।
सान्ध्य महालक्ष्मी ने गोलाकोट के ट्रस्टी राजीव जैन जी से भी बात कर उनसे कहा कि तीर्थयात्रियों पर गोलाकोट के सभी कर्मियों का यह पूरा सुनियोजित हमला था, जिसमें बिजली भी बंद कर दी गई, तब उन्होंने सफाई दी कि आप चैक करा लें, बिजली विभाग से बत्ती गई थी, फिर जनरेटर चलाने में दो मिनट लग गये, फिर आ गई, तो जनरेटर के बाद कनेक्शन में 2 मिनट लग गये और इन 4-5 मिनट में सबकुछ हो गया। सीसीटीवी क्यों बंद था, कोई जवाब उनके पास नहीं था।