आज या कल किसी भी समय किसी को भी मैरी क्रिसमस की पोस्ट लिखने या फॉरवर्ड करने से पहले एक मिनट मौन रहकर, उन 22000 जैन बंधुओं को भी याद कर लेना, जिन्होंने जैन धर्म को छोड़ने की बजाय मृत्यु को गले लगाना स्वीकार कर लिया चाहे, उसमें छोटा बालक भी था या उस देश का राजा।
एक अज्ञात ऐतिहासिक तथ्य 500 साल पहले हुई दिल दहला देने वाली घटना है। जैन राजा कुमुद गोवा पर शासन कर रहे थे। पुर्तगालियों ने उसे जबरन हटाकर गोवा पर कब्जा कर लिया।
कैथोलिक पादरियों ने पुर्तगाली सेना के साथ बड़ी संख्या में निर्दोष लोगों का धर्म परिवर्तन करने के लिए हमला किया। पुरोहितों ने पूरे गोवा शहर पर कब्जा कर लिया, लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए धमकाया और मजबूर किया। जिन्होंने धर्म परिवर्तन का विरोध किया और धर्म परिवर्तन से इनकार कर दिया, उन्हें बेरहमी से मार डाला गया।
ईसाई मिशनरियों ने जैन राजा कुमुद और गोवा के सभी 22,000 जैनियों को 6 महीने के भीतर ईसाई धर्म में परिवर्तित करने, जैन धर्म को त्यागने और ईसाई धर्म स्वीकार करने या मृत्यु का सामना करने की धमकी दी, लेकिन राजा कुमुद और जैन मरने के लिए तैयार थे और धर्मांतरण से इनकार कर दिया।
छः महीने के दौरान ईसाई जेवियर्स ने जैनों का धर्म परिवर्तन करने के लिए साम-दाम, दंड-भेद जैसे सभी प्रयत्न कर देखे । तब एक जैन ईसाई बनने के लिए तैयार नहीं हुआ। तब क्रूर जेवियर्स पोर्तुगीझ लश्कर को सभी का कत्ल करने के लिए सूचन किया। एक बड़े मैदान में राजा कुमुद जैन और जसिं धर्मी श्रोताओं, बालक-बालिकाओं को बांध कर खड़ा कर दिया गया। एक के बाद एक को निर्दयता से कत्ल करना शुरू किया। ईसाई जेवियर्स हस्ते मुख से संहरलीला देख रहा था। ईसाई बनने के लिए तैयार न होनेवालों के ये हाल होंगे। यह संदेश जगत को देने की इच्छा थी। बदले की प्रवृति को वेग देने के लिए ऐसी क्रूर हिंसा की होली जलाई थी।
केथलिक ईसाई धर्म के मुख्य पॉप पोल ने ईसाई पादरी जेवियर्स के बदले के कार्य की प्रसंशा की और उसके लिए उसने बहाई हुई खून की नदियों के समाचार मिलते पॉप की खुशी का अंत नहीं रहा। जेवियर्स को विविध इलाक़ा देकर सम्मान किया। जेवियर्स ने सेंट जेवियर्स के नाम से घोषित किया और भारत में शुरू हुई अंग्रेजी स्कूल और कॉलेजों की श्रेणी में सेंट जेवियर्स का नाम जोड़ने में आया। आज भारत में सबसे बड़ा स्कूल नेटवर्क में सेंट जेवियर्स है।
हजारों जैनों और हिंदुओं के खून से पूर्ण एक क्रूर ईसाई पादरी के नाम से चल रही स्कूल में लोग तत्परता से डोनेशन की बड़ी रकम दे कर अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज रहें है। कैसे करुणता है। और जेवियर्स कि बदले की वृत्ति को पूर्ण समर्थन दे रहे पाटुगिझो को पॉप ने पूरे एशिया खंड के बदले की वृत्ति के सारे हक दे दिए। धर्म परिवर्तन प्राण की बलि देकर भी नहीं करने वाले गोवा के राजा कुमुद जैन और बाईस हजार धर्मनिष्ठ जैनों का ये इतिहास जानने के बाद हम इससे बोध पाठ लेने जैसा है।
आज की रहन-सहन में पश्चिमीकरण ईसाईकरण का प्रभाव बढ़ रहा है। भारत की तिथि-मास भूलते जा रहें है। अंग्रेजी तारीख पर ही व्यवहार बढ़ रहा है। भारतीय पहेरवेश घटता जा रहा है ।पश्चिमीकरण की दीमक हमें अंदर से कमज़ोर कर रही है। धर्म और संस्कृति रक्षा के लिए फनाहगिरी संभाले ।(स्त्रोत : ह्रदय परिवर्तन दिसम्बर 2017)
हजारों जैनियों और हिंदुओं के खून से लथपथ एक क्रूर ईसाई पादरी के नाम से चलाए जा रहे स्कूल में लोग बड़ी मात्रा में चंदा देकर अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजने को तैयार हैं. इस इतिहास को जानने के बाद हमें उनसे प्रेरणा लेकर धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
आज के जीवन में पश्चिमीकरण और ईसाई धर्म का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। लोग जैन पंचांग की तारीख-महीने को भूल रहे हैं। जैन पहचान कम हो रही है। पश्चिमीकरण के दीमक हमें अंदर से कमजोर कर रहे हैं।
–सोशल मीडिया पर आई एक पोस्ट से